रायगढ़/धरमजगढ़। अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड की प्रस्तावित पुरुँगा कोल ब्लॉक जनसुनवाई को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को कोल ब्लॉक प्रभावित क्षेत्र के पुरुँगा, तेन्दुमुड़ी और सम्हारसिंघा ग्रामों के ग्रामीण बड़ी संख्या में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय धरमजयगढ़ पहुंचे और आगामी 11 नवंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग करते हुए एक बार फिर से ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों ने उस ग्रामसभा के कथित प्रस्ताव की प्रति मांगी, जिसके आधार पर जनसुनवाई का आयोजन तय किया गया है। ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें बताया गया कि उक्त प्रस्ताव की प्रति रायगढ़ जिला मुख्यालय में उपलब्ध है। इस जानकारी से ग्रामीण असंतुष्ट नजर आए और उन्होंने कहा कि अगर ग्रामसभा धरमजयगढ़ क्षेत्र की है, तो उसकी प्रति स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रामसभा की बैठक बिना उनकी जानकारी और सहमति के आयोजित दिखा दी गई, जिससे वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जनसुनवाई को तत्काल निरस्त नहीं किया गया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
इस प्रोजेक्ट की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार इस परियोजना के लिए प्रस्तावित कुल 868.99 हेक्टेयर क्षेत्र में से सबसे बड़ा हिस्सा वनभूमि है। पुरुँगा, कोकदर और साम्हरसिघा इन तीन गाँवों की ज़मीन इस परियोजना के दायरे में आ रही हैं। इनमें से सबसे अधिक 387.01 हेक्टेयर भूमि संरक्षित वन है और 234.32 हेक्टेयर राजस्व वन क्षेत्र है। इसके साथ ही, 220.79 हेक्टेयर निजी भूमि और मात्र 26.89 हेक्टेयर सरकारी भूमि इस परियोजना के लिए प्रस्तावित है। प्रभावित गाँवों में सबसे अधिक भूमि पुरुँगा गांव की है, जहाँ करीब 2 सौ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को परियोजना के लिए चिन्हित किया गया है। जानकारों का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर वन क्षेत्र में परियोजना संचालन गतिविधियों से स्थानीय जैव विविधता, जलस्रोतों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही स्थानीय आदिवासी समुदाय की पारंपरिक संस्कृति और धरोहर भी प्रभावित होंगे।
पुरुंगा कोल ब्लॉक की जनसुनवाई निरस्त करने को लेकर आंदोलन तेज
प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने एसडीएम को फिर सौंपा ज्ञापन



