रायगढ़। जनपद पंचायत पुसौर के सरपंचों ने आखिर वह कदम उठा ही लिया जिसकी चर्चा महीनों से गांवों के चैपालों में थी। बकाया 15वें वित्त की राशि, ठप मनरेगा मजदूरी मूलक कार्य और पंचायतों से धीरे-धीरे अधिकार छीने जाने के आरोपों को लेकर सरपंचों ने सामूहिक रूप से कलेक्टर रायगढ़ को ज्ञापन सौंपा है। शिकायतों में न सिर्फ वित्तीय अव्यवस्था का जिक्र है बल्कि जिला स्तर की व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
15वें वित्त की राशि एक साल से अटकी गांवों में पानी, बिजली और स्वच्छता चरमराई सरपंचों का कहना है कि पिछले एक वर्ष से 15वें वित्त आयोग की राशि पंचायतों को जारी नहीं की गई, जिसका सीधा असर गांवों में मूलभूत सेवाओं पर पड़ रहा है।
बिजली बिल बकाया पेयजल योजनाएँ रुक-रुक कर चल रही
स्वच्छता कार्य ठप छोटे मरम्मत व रखरखाव के कार्य बंद गांवों में शिकायतें बढ़ रही हैं, और सरपंचों का तर्क है कि बिना राशि के वे ‘नाम के जनप्रतिनिधि’ बनकर रह गए हैं।
ज्ञापन में यह भी आरोप है कि मनरेगा योजना के तहत मजदूरीमूलक कार्य लंबे समय से पंचायतों को नहीं मिल रहे, जिससे ग्रामीण मजदूर रोजगार से वंचित हो रहे हैं।
कई पंचायतों में स्थिति इतनी खराब बताई गई है कि कार्यस्थलों पर महीनों तक एक भी मस्टर खुला नहीं। 50 लाख तक के कार्यों को ठेकेदारों के हाथकृसरपंचों ने कहा, ‘हमारे अधिकारों पर सीधा प्रहार’ सरपंचों की सबसे बड़ी आपत्ति इस बात पर है कि पंचायत स्तर पर स्वीकृत 50 लाख तक के कार्यों को विभागीय टेंडर के माध्यम से ठेकेदारों को दिया जा रहा है।
पंचायतों की ‘बिजली-पानी’ पर रोक, अधिकारों पर लगाया ब्रेक
पुसौर जनपद के सरपंचों ने कलेक्टर को सौंपी शिकायत



