रायगढ़। जिला मुख्यालय रायगढ़ से महज तेरह किमी. दूर ग्राम गेरवानी में स्थित पशु-औषधालय अपनी बदहाली के आँसू बहाने को मजबूर है। बरसों पुराने बने भवन का सही देख-रेख व मरम्मत नहीं होने से यह धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। प्लास्टर उखडऩे से बारिश का पानी जहाँ पूरे कमरे में टपकता है तो वहीं स्टॉफ के लिए न तो बैठने के लिए कहीं जगह है और ना ही दवा रखने के लिए।
बताया जा रहा है कि बीते सालों में विभागीय अधिकारियों को मौखिक और लिखित रूप में कई बार अवगत कराया गया है किन्तु कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई। उल्लेखनीय है कि गेरवानी तथा उसके आस-पास शिवपुरी, पाली, देलारी, लाखा, चिराईपानी आदि ऐसे कई गाँव हैं जहाँ ग्रामीण किसानों के घर सैकड़ों मवेशी हैं और पशुओं के उपचार आदि के लिए उनका आना-जाना हमेशा लगा रहता है। इस अवांछनीय खबर की तह तक जाकर देखें तो यह जर्जर भवन कभी भी ढह कर एक बड़े हादसे का रूप ले सकता है और जान-माल की हानि हो सकती है।
खंडहर में तब्दील होता पशु-औषधालय
गेरवानी का पशु चिकित्सा केन्द्र हो रहा उपेक्षा का शिकार
