रायगढ़ उत्कल ब्राह्मण समाज के एक व्यक्ति अलेख पंडा अपनी बीमारी हार्ट ब्लॉकेज से तंग होकर इलाज हेतु खर्च की मार को देखते हुए उन्होंने श्री जगन्नाथ महाप्रभु का स्मरण किया कि हे प्रभु या मुझे तार दे या मार दे ।
जगन्नाथ महाप्रभु की कृपा हुई दूसरे ही दिन स्वस्थ हुए और उन्होंने संकल्प ले लिया अपने ग्राम अमलीडीह से पूरी तक की पैदल यात्रा और कठोर दिनचर्या।
हम बात कर रहे हैं उत्कल ब्राह्मण समाज के एक व्यक्ति अमलीडीह विकासखंड घरघोड़ा निवासी अलेख पंडा पिता जगत राम पंडा जिनका हार्ट ब्लॉकेज हो गया और उन्होंने इलाज हेतु अस्पतालों के चक्कर काटे पता चला इलाज हेतु कम से कम 10 लाख की आवश्यकता होगी जिसे वहन करना उनके बस की बात नहीं थी,चिंता के सागर में डूबे अलेख को कुछ समझ नही आ रहा था,डॉक्टरों का कहना था ऑपरेशन तो लगना निश्चित है किंतु पूर्णरूप से स्वस्थ होने की गारंटी नही थी।
उन्होंने सोचा कर्ज लेकर इलाज करा भी लू और ठीक न हो पाऊं तो परिवार जन के ऊपर कर्ज का बोझ पढ़ जाएगा,
मन विचलित हो रही थी
उन्होंने अन्तर्मन से श्री जगन्नाथ महाप्रभु को स्मरण किया
कि हे प्रभु मुझे तार दे या मार दे।
जगन्नाथ महाप्रभु की कृपा देखिए दूसरे ही दिन उन्हें स्वस्थता का अहसास हुआ उन्होंने तत्काल रायगढ़ में ही जांच कराया रिपोर्ट में कोई ब्लॉकेज नही था,उन्होंने तसल्ली के लिये रायपुर कुच किया वहां के अस्पताल में जांच कराया वहाँ भी रिपार्ट नेगेटिव था,उन्होंने डॉक्टर को वो रिपोर्ट दिखाई जिसमे ब्लॉकेज दिखा रहा था ,डॉक्टर ने कहा अब ऐसा कुछ भी नही है जिसके कारण ऑपरेशन करना पड़े,सभी अचंभित हो गए परिवारजनों को तो कुछ समझ ही नही आ रहा था,
धीरे से सभी ने अलेख जी की बातों को मनन किया कि इन्होंने आस छोड़ कर श्री जगन्नाथ महाप्रभु से प्रार्थना की थी उसी का चमत्कार है, अलेख पंडा और उनके परिवारजनों ने जगन्नाथ प्रभु को घर से दंडवत प्रणाम किया,उसी वक्त अलेख पंडा जी ने एक संकल्प ले लिया कि अपने गृहग्राम इमलीडीह से पूरी तक की पैदल यात्रा करेगे रास्ते मे मांग कर खायेंगे और किसी के परछी बरामदे में ही विश्राम करेगे कही कोई होटल या ढाबा में नही खायेंगे और न ही रुकेंगे
दिनांक 18 सितंबर 2023 को प्रात: 7:00 बजे अलेख संकल्पित पदयात्रा के लिये निकले हैं उनकी कोई निश्चित समय सीमा नहीं है हो सकता है 15 से 20 दिन लगेगा या एक माह से भी ज्यादा दिन लग सकता है
बता दे कि वर्तमान में उनकी पैदल यात्रा चल रही है,बीते दिन बेलपहाड़ में वे रुके थे और इस तरह कठोर दिनचर्या के साथ वे पूरी पहुँचकर महाप्रभू का दर्शन करेगे,
हम अनुमान नही लगा सकते कि उन पर श्री जगन्नाथ की कैसी कृपा हुई और वे स्वस्थ हुए और उन्होंने यह प्रण ले लिया,कहना और सुनना आसान है किंतु अमल करना उतना ही कठिन।
उत्कल ब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष अरुण पंडा ने पूरे समाज की ओर से अलेख पंडा जी के स्वास्थ्य लाभ और कठोर दिनचर्या के साथ कठिन यात्रा को सुगम बनाने श्री जगन्नाथ जी से प्रार्थना की है,उन्होंने कहा कि आज संसार मे पूरी के श्री जगन्नाथ जी पर भक्तों को अटूट विश्वास है यही कारण है कि महाप्रभु भी भक्तों के साथ पग पग में उनके साथ है कई मान्यताये है जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे भक्तों के तारण हार बने हुए हैं श्री जगन्नाथ जी का कलेवर आज भी धडक़ता है और हर 12 वर्ष में कलेवर को पुनर्स्थापित किया जाता है उनके ध्वजा विपरीत दिशाओं में उड़ रहा है,अभड़ा प्रसाद में कभी कीड़े नही लगते आदि जिनसे यह शास्वत होता है कि महाप्रभु हम सभी के कष्ट दूर करने के लिये हैं, इसके साथ हम सभी को भी ईश्वर द्वारा सृजित प्रकृति से भी हमे छेड़छाड़ नही करना चाहिए।
हार्ट ब्लॉकेज से पीडि़त अलेख पंडा ने किया श्री जगन्नाथ जी को स्मरण- स्वत: ही हो गए स्वस्थ
गृहग्राम अमलीडीह से पूरी की यात्रा पैदल और होटल या ढाबा में न खायेंगे न सोएंगे का लिया प्रण, हे जगन्नाथ प्रभु मुझे तार दे या मार दे-अलेख पंडा
