रायपुर। राजीव मितान क्लब को हुए भुगतान की सरकारी जांच शुरू होने से पहले ही दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। भास्कर ने रायपुर जिले में बने राजीव मितान क्लब योजना की जांच की तो पता चला कि क्लब के खातों के बजाय क्लब संचालकों के निजी खातों में रकम जमा कर दी गई। इतना ही दो साल में किसी भी क्लब का ऑडिट तक नहीं किया गया। क्लब वाले भी इसमें पीछे नहीं रहे। दो साल में न तो कभी बैठक की और न ही मिले फंड का हिसाब दिया। सरकार ने भी कभी आपत्ति नहीं की। किसी भी साल किसी भी क्लब का फंड तक नहीं रोका गया। युवाओं में खेल, संस्कृति और कैरियर बनाने को बढ़ावा देने के लिए रायपुर समेत राज्यभर के 33 जिलों में 13242 क्लब बनाए गए।
करीब तीन साल में इन क्लबों को 132 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया। केवल रायपुर शहर में ही 200 से ज्यादा क्लब बनाए गए और 2 साल में 24 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया। शहर के किसी भी क्लब की कभी जांच नहीं की गई कि क्लब वाले फंड का कर क्या रहे हैं। उसके दस्तावेज तक जमा नहीं कराए गए। दो साल तक अफसर सबकुछ ओके मानते रहे। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि अफसरों ने यह भी जानने की कोशिश नहीं कि क्लब का खाता क्यों नहीं खोला गया और सदस्यों के खातों में रकम क्यों जमा हो रही है।
इस समिति में हाई प्रोफाइल लोग, इसलिए कभी भी नहीं हुई जांच
युवा मितान क्लब में इतने हाई प्रोफाइल लोगों को रखा गया था कि कोई भी अफसर इसकी जांच तक करने में घबराता था। शासी निकाय का अध्यक्ष उस समय के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उपाध्यक्ष खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, लोकसभा सांसद दीपक बैज, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, विधायक देवेन्द्र यादव, विधायक विनय भगत, सीएस अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू को सदस्य तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग के सचिव को पदेन सदस्य सचिव बनाया गया था। इससे अफसर जांच करने से कतराते थे।
ऐसे समझें युवा मितान क्लब को
जनवरी 2020 में राज्य युवा महोत्सव के अवसर पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने योजना की घोषणा की थी। शुरुआत 18 सितंबर 2021 को हुई। इसमें 15 से 40 साल के 20 से 40 युवाओं को शामिल किया गया था। क्लब का काम था कि युवाओं में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ खेलों में भी आगे बढ़ाना था। इसके अलावा युवाओं को कैरियर में मार्गदर्शन के लिए भी क्लब की ओर से कई कार्यक्रमों का आयोजन करना था। इन कामों के लिए हर एक क्लब को तीन महीने में 25 हजार का अनुदान दिया गया था।
24 करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा
राजीव मितान क्लब की रकम निजी खातों में जाती रही, हिसाब न बैठक, सिर्फ लेते रहे पैसे
