रायगढ़। तमनार क्षेत्र के लोग दावा आपत्ति करने आए थे कलेक्टोरेट रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में चितवाही बारे-पेलमा रेल कारिडोर अंतर्गत भू-अर्जन प्रस्तावित है। प्रभावित क्षेत्र के निवासी प्रभावित भूमि एवं परिसंपत्ति के मुआवजा की गणना को लेकर खासे नाराज हैं। इसी क्रम में आज मंगलवार को रेल कॉरिडोर की जद में आने वाले करीब 10-12 गांव के प्रभावित ग्रामीण मुआवजा गणना पर दावा आपत्ति करने का कलेक्टोरेट पहुंचे थे। प्रभावित ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि प्रभावित भूमि एवं परिसंपत्ति के मुआवजा की गणना 2015 के एसओआर रेट पर की गई है जो उचित नहीं है। बताया गया कि मुआवजा 100 प्रतिशत गाइडलाइन के अनुसार गणना नहीं की गई है। जिससे प्रभावितों को बहुत ही कम मुआवजा राशि मिलने की आशंका है। जिससे ग्रामीणों ने रेलवे कॉरिडोर भू-अर्जन निराकरण अधिकारी के समक्ष मुआवजा गणना पर दावा आपत्ति करने आए थे। प्रभावित ग्रामीणों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि यदि भू-अर्जन 2022-23 में किया जा रहा है, तो मुआवजा की गणना भी चालू सत्र के गाइडलाइन के अनुरूप किया जाना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो प्रभावित ग्रामीण अपनी भूमि एवं परिसंपत्ति का किसी भी स्थिति भू-अर्जन नहीं होने देंगे। दरअसल रायगढ़ जिले के खरसिया से घरघोड़ा और घरघोड़ा से चितवाही एवं चितवाही से गारे-पेलमा रेल कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित थी। बताया जाता है कि खरसिया से घरघोड़ा और घरघोड़ा से चितवाही तक दो फेज में भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूर्ण की जा चुकी है। लेकिन चितवाही से गारे-पेलमा रेल कॉरिडोर के लिए स्थित भूमि एवं परिसंपत्ति के सर्वे उपरांत मुआवजा का गणना पत्रक भी तैयार किया जा चुका है। मुआवजा गणना पत्रक में मुआवजा की दर कम होने को लेकर प्रभावित ग्रामीण आपत्ति जता रहे हैं। इसी क्रम में अपर कलेक्टर/ रेल कॉरिडोर भू-अर्जन निराकरण अधिकारी रायगढ़ के द्वारा दावा/आपत्ति करने 5 दिसंबर से 20 दिसंबर 2023 तक तिथि निर्धारित की गई है। बताया जाता है कि तमनार क्षेत्र के चितवाही गारे-पेलमा, भालूमुड़ा, रोडोपाली, ढोलनारा, सकता और खर्रा सहित करीब 10-12 गांव के प्रभावित ग्रामीण मंगलवार को दावा आपत्ति प्रस्तुत करने कलेक्टोरेट पहुंचे थे। प्रभावित ग्रामीणों का कहना था कि मुआवजा राशि की गणना 2015 के एसओआर के रेट से किया गया है। जो उचित नहीं है। यदि मौजूदा दौर पर भू-अर्जन की कार्यवाही की जा रही है तो मौजूदा दौर में चालू गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा का निर्धारण और गणना किया जाना आवश्यक है। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि यदि उन्हें उचित दर पर मुआवजा नहीं मिलेगा तो वह किसी भी स्थिति में अपनी भूमि और परिसंपत्ति के भू अर्जन की कार्यवाही नहीं होने देंगे। बताया जाता है कि मौजूदा दौर में प्रभावित भूमि और परिसंपत्ति के लिए मुआवजा की गणना की गई है यह उचित नहीं है। इस गणना पत्रक में 2015 का रेट लगाया गया है, इस स्थिति में मौजूदा बाजार मूल्य से काफी कम मुआवजा राशि निर्धारित की गई है। इसकी आपत्ति की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कम मुआवजा राशि लेकर प्रभावित अपनी भूमि और परिसंपत्ति से कैसे विलग होंगे। प्रभावित मांग कर रहे हैं कि उन्हें चालू वित्तीय वर्ष की गाइडलाइन के अनुसार मुआवजा निर्धारित कर मुआवजा राशि की गणना कर समुचित मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। इस स्थिति में प्रभावित 10-12 गांव के लोग रेल कॉरिडोर के लिए भू-अर्जन पर सहमति जताएंगे।
अलग-अलग मुआवजा की दर
बाजरमुड़ा से गारे-पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक तमनार का मुआवजा पत्रक 13 में किए गए गणना का उल्लेख करते हुए ग्रामीणों का आरोप है की दर काफी कम है बताया जाता है कि बजरमुड़ा पटवारी हल्का नंबर-14 से काश्तकारों को अलग-अलग दर पर मुआवजा की गणना की गई है। पक्का कालम मकान की दर प्रति वर्ग मीटर 8903 रुपए, कच्चा एसवेस्टर की दर 2457 रुपए प्रति वर्ग मीटर, कच्चा मकान की दर 1261 रुपए प्रति वर्ग मीटर, पक्का खपरा मकान 2457, पक्का ढलाई आवास 7118, पोल्ट्री फार्म 6278, टीन सेड 3359, पक्का एसवेस्टर 3559, चबूतरा पक्का 3228, बाउंड्रीवाल कच्चा 4304, पक्का कोठा एसवेस्टर 3864 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर निर्धारित कर गणना की गई है। जिसे लेकर अलग-अलग काश्तकार अलग-अलग तरह की दावा आपत्ति कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि 2015 के एसओआर रेट से गणना की गई है, जो उचित नहीं है। नई दर से मुआवजा की गणना की मांग की जा रही है।