रायगढ़। अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट बनोरा आश्रम परिसर में आज बनोरा ग्राम वासियों ने परम्परा गत तरीके से श्रद्धा पूर्वक, उत्साह के साथ आँवला नवमी पर्व मनाया। तीन दशक पूर्व बनोरा ग्राम की माटी पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी के चरण रज पाकर धन्य हो गई थी। पूज्य बाबा जी के कर कमलों से बनोरा में ही अगर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की नींव रखी गई थी स्थापना काल से ग्राम वासी बनोरा वासियों का आश्रम ने आत्मीय नाता है उन्होंने स्थापना काल से ही आश्रम ने आंवला नवमी मानने की यह परंपरा जारी रखी है। इस क्रम में आज आंवला नवमी के दिन ग्रामवासी सुबह से ही आश्रम में एकत्रित हुए और विधिवत पूजा-अर्चना करते हुए सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण किया। ग्राम वासियों ने जानकारी देते हुए कहा आंवला नवमी जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है इस पर्व पर आंवले के पेड़ की पूजा अर्चना की जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की थी। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने और आंवला खाने का विशेष महत्व है, जो सुख, समृद्धि और अच्छी सेहत लाता है। देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थीं और उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने देखा कि विष्णु को तुलसी और शिव को बेल पत्र प्रिय है, और यह गुण आंवले के पेड़ में भी है। लक्ष्मी जी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर दोनों देवता प्रकट हुए। देवी लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाया और दोनों देवताओं को भोजन कराया, फिर खुद प्रसाद ग्रहण किया। यह तिथि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि थी तब से यह पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में निवास करते हैं। यह भी माना जाता है कि इसी दिन से सत्य युग की शुरुआत हुई थी और भगवान कृष्ण ने वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी। इस दिन आंवला खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और धार्मिक कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आंवला को धार्मिक ग्रंथों में पवित्र माना जाता है। आश्रम की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी और तब से प्रत्येक वर्ष गांव के परिवार एक साथ मिलकर आँवला नवमी पर पूजा-अर्चना और प्रसाद वितरण का आयोजन करते आ रहे हैं। इस वर्ष भी परंपरा को निभाते हुए गुरुवार को पूरे श्रद्धाभाव से यह धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ।

 
			
 
			

 
                                 
                              
		 
		 
		 
		 
		