रायगढ़। शहर का प्रसिद्ध जन्माष्टमी मेला आने में अभी एक माह से अधिक का समय बचा है और इसकी रौनक कहे जाने वाले मीना बाजार समय से पहले लगने भी शुरू हो गए हैं। हमेशा हो हल्ला आरोप प्रत्यारोप के साथ-साथ मोहल्लेवासियों की आपत्ति के अलावा हाईकोर्ट तक का हो हल्ला करने वाले लोग भी चुप हैं। साथ ही साथ मीना बाजार संचालको ने इस बार गजब की सेटिंग करते हुए पहले से ही कुछ ऐसे लोगों की जेब गर्म कर दी है जिसके कारण वे अपना मीना बाजार सजाना भी शुरू कर चुके हैं। मजे की बात यह है कि इन संचालकों के पास ना तो जिला प्रशासन की तरफ से अनुमती है और न ही नगर निगम की तरफ से फिर ये किस नेता या गुंडे के बल पर अपना साजो सामान सजाते जा रहे हैं।
सावित्री नगर हो या ट्रांसपोर्ट नगर का मैदान वहां लगने वाला मीना बाजार इस बार खासा चर्चा का विषय बना हुआ है जिसका प्रमुख दो कारण है, एक तो मीना बाजार लगाने या नही लगाने के पीछे हो हल्ला करने वाले बिल्कुल चुप हैं। वहीं जिला प्रशासन व निगम प्रशासन ने भी आंख मूंद ली है। जानकार सूत्र बताते हैं कि हर साल लाखों रूपये का लेनदेन करने वाले कथित मीना बाजार संचालक स्थानीय लोगों की शह पर अपना नंगा नाच करते हैं और निगम जाते हैं और इस बार तो बकायदा समय से पहले ही अपना साजो सामान सजाते हुए सबको चिढ़ा भी रहे हैं कि देखिये हमें न तो निगम प्रशासन की अनुमति की जरूरत है और ना ही जिला प्रशासन की और पुलिस की तो उन्हें परवाह भी नही है। चूंकि मीना बाजार लगने से लेकर उसके जाते तक रोजाना यहां होनें वाली छेड़छाड, मारपीट, चोरी चकारी, गुंडो का आतंक पुलिस निपटती है और उनसे कैसे सेटिंग होती है यह मीना बाजार संचालक से ज्यादा कोई जान भी नही पाता।
जानकार सूत्र बताते हैं कि इस बार सत्ता बदलते ही कुछ नामचीन लोग पहले से ही अपनी जेब गर्म करके मीना बाजार संचालक को खुली छुट देकर यह दावा कर रहे हैं कि आप लोग मीना बाजार लगाईये अनुमति हम दिलवायेंगे। जबकि हर साल इन संचालकों को पुलिस प्रशासन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद नगर निगम व एसडीएम के पास से विधिवत संचालन की अनुमति लेनी पड़ती है। पर इस बार सावित्री नगर के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट नगर के पास दोनों संचालकों का मीना बाजार आधे से ज्यादा सज चुका है और इसे रोकने वाला तो दूर कोई सवाल करने वाला अभी तक सामने नही आया। ऐसा लगता है कि हो हल्ला करने वाले गंूगे हो गए हैं और उनकी आंख इस सजते मीना बाजार को नही देख पा रही है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मीना बाजार के संचालक ने तो जिस मैदान पर अपना तंबू ताना है वहां के सेठ की जमीन के बदले लाखों रूपये पहले से ही एडंवास दिये जा चुके हैं। होना यह चाहिए कि जमीन पर किरायेनामा संबंधी जानकारी विधिवत निगम व एसडीएम के पास होनी चाहिए, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी सेठ की तिजोरी मोटी गड्डियों से भर गई है। इतना ही नही गड्डी के कई मालिक भी सावित्री नगर में मीना बाजार जल्द से जल्द लगे इसके लिये बकायदा चौकीदारी के साथ-साथ लामबंदी कर रहे हैं।
बहरहाल देखना यह है कि विष्णुदेव साय सरकार के मंत्री उनके साथी इस गड़बड़ झाला को लेकर कितने गंभीर होते हैं और यही सवाल जिला प्रशासन व निगम प्रशासन से भी है कि वे बाढ के नाम पर सडक़ो से बेजा कब्जा हटाने वाले लोगों को छोडक़र क्या इन मीना बाजार से पूछेंगे कि किसकी अनुमति से इतना बड़ा तंबू तान दिया है। शहर के सभी लोग भी इस बात को जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस बार सायलेंट तरीके से कैसे इन संचालकों को कौन मदद कर रहा है और विरोध करने वाले आखिर गए तो गए कहां!
पहली बार बिना विरोध लग रहा मीना बाजार
दलालों की जेबें गर्म, प्रशासन मौन
