रायगढ़। कार्यक्रम की शुरुआत महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इस भव्य आयोजन कि संयोजक सारिका भूषण के स्वागत संबोधन से हुआ। मंच के संस्थापक नरेश नाज़, मकाम ट्रस्ट की अध्यक्ष नियति गुप्ता के सान्निध्य में एवं मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति माननीय दीपक रौशन की उपस्थिति एवं मकाम की वैश्विक अध्यक्ष नीतू सिंह राय की अध्यक्षता में वार्षिकोत्सव का आयोजन हुआ। मकाम की वैश्विक उपाध्यक्ष शालू गुप्ता एवं प्रहरी मंच के राष्ट्रीय सलाहकार मुकेश गुप्ता कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। झारखंड की प्रदेश अध्यक्ष मोना बग्गा और झारखंड की सभी इकाइयों की सदस्याएँ देश के अठारह राज्यों से आये प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
अतिथियों के द्वारा दीप-प्रज्वलन, माँ शारदे की मूर्ति पर माल्यार्पण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मंत्रोच्चारण, नाज़ सर की लिखी सरस्वती वंदना के गीत, स्वागत गान एवं झारखंड के बोकारो, हजारीबाग़, चतरा, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम जिला इकाइयों ने अतिथियों के स्वागत में अपनी-अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। सुधा कर्ण के स्वागत नृत्य से कार्यक्रम में चार चाँद लग गया। स्वागत भाषण में महिलाओं को संबोधित करते हुए सारिका भूषण ने कहा कि महिलाएं हमारे समाज की सबसे महत्वपूर्ण और मजबूत स्तम्भ है। इस मंच के माध्यम से महिलाएं अपने मन की बातें कविता के रूप में अपनी काव्यधारा में अभिव्यक्त की।
इस आयोजन में पूरे भारत के जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, असम, त्रिपुरा, गोवा, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड प्रदेशों के साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति और
प्रस्तुति से इस वार्षिकोत्सव को यादगार बना दिया। सभी इकाइयों की महिला रचनाकारों को अंगवस्त्र एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया और स्मृति स्वरूप मां शारदे की छोटी प्रतिमा भेंट की गयी। राष्ट्रीय अध्यक्ष सारिका भूषण ने अपनी उड़ान कविता के माध्यम से कहा तुम्हारी सीमाएं वहां नहीं जो तुम्हें दुनिया दिखाती है तुम्हारी सीमाएं वहां भी नहीं है जो तुम चौखट से देखती हो। तुम्हारी बाहों में संमदर है जहां से तुम उड़ान भरती हो। वैश्विक उपाध्यक्ष शालू गुप्ता ने कहा मैंने की थी पुरानी कलम से बेवफ़ाई पर मैं एक दिन नयी कलम ले आई। नियति गुप्ता ने अपनी कविता बादल को सुनाते हुए कहा बादल मेरा प्यारा दोस्त हैं जब भी मैं अकेले होती हूं उससे बातें करती हूं। वह कभी मुझे हंसाता है कभी रूलाता है और बीसों स्वरूप दिखाया है। मुख्य अतिथि न्यायाधीश दीपक रौशन ने सभी महिलाओं को धन्यवाद देते हुए बताया यह झारखंड राज्य की समृद्ध संस्कृति से परिचय कराया। मां काली और भोलेबाबा की धरती को नमन करते हुए उन्होंने ‘वह गांधी की लाठी,वह दांडी का डेरा वतन में लायें जो नया सवेरा’ सुनाया। मंच के संस्थापक नरेश नाज़ ने कहा महिला काव्य मंच विश्व की पहली संस्था है जिसमें सिर्फ महिलायें ही पदाधिकारी रहती हैं और जिसकी पूरे देश में डेढ़ सौ से ज़्यादा और विदेशों में भी 40 से ज़्यादा शाखाएं हैं। उन्होंने अपनी शानदार गायिकी से सभी को सम्मोहित कर दिया। उनके गीत के बोल ‘प्यार तुम्हें कितना है कृष्णा से, आज बताओ राधा जी / बंद करों न आंखें अपनी न शर्माओं राधा जी’ ने सभी को भावुक कर दिया।
एक अन्य पेशकश में उन्होंने सुनाया
जिंदगी ज्यादा परेशान न कर। वरना मैं तुझसे रूठ जाऊंगा / और पानी के बलबूते की तरह जल्द एक रोज फूट जाऊंगा। कार्यक्रम के अंत में त्रिपुरा इकाई और राजस्थान इकाई को सर्वश्रेष्ठ इकाई का सम्मान दिया गया। महिला काव्य मंच का संस्थापक अवार्ड राजस्थान की सुमन सखी दहिया को दिया गया। झारखंड की सभी सदस्याओं को अंगवस्त्र एवं सम्मान पत्र देकर नाज़ सर एवं मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष सारिका भूषण ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।
महिला काव्य मंच का छठा वार्षिकोत्सव व सम्मान समारोह संपन्न
रांची-महिला काव्य मंच का छठा वार्षिकोत्सव हिनू स्थित जेड स्क्वायर होटल में सफलता पूर्वक मनाया गया



