रायगढ़। अयोध्या में श्रीराम मंदिर एवं श्रीरामलला विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भारत देश सहित समूचे विश्व में उल्लास का भाव है। हर कोई इस अवसर पर प्रभु श्रीराम के प्रति अपनी आस्था से जोडक़र इसे देख रहा है। सनातन धर्म के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन वह स्वर्णिम क्षण के तौर पर माना जा रहा है, जिसका करीब साढे 5 सौ साल से इंतजार था। श्रीराम मंदिर निर्माण और उस पर श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को राष्ट्र के पुर्नस्थापना की दृष्टि से देखा जा रहा है। धर्म के बिना व्यक्ति के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती। इस अवसर को भारत में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पुनरुत्थान का मान बिंदु के तौर पर आम जनमानस में भाव है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। प्रभु श्रीराम सर्वव्यापी हैं, राम सबके हैं। यह समूचे राष्ट्र के लिए उत्सव का क्षण है। इस आनंदोत्सव में सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक लाभ की मंशा से जो लोग इस समारोह से अपनी दूरियां बना रहे हैं, उस पर सवाल भी उठ रहा है। इस आयोजन को लेकर किसी तरह का राजनीतिक विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के तौर पर देखा जा रहा है। श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर हमने शहर के गणमानय लोगों सहित राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों से उनकी प्रतिक्रिया ली है, प्रतिक्रिया के कुछ अंश यहां प्रस्तुत हैं-