रायगढ़। शहर के कोसमनारा बाबा धाम के पास करीब 93 लाख के लागत से बने बाबा धाम बाल उद्यान अभी भी एक पक्की सडक़ के लिए तरस रहा है। अपने लोकार्पण के 2 साल बाद भी बाबा धाम बाल उद्यान तक जाने के लिए सडक़ का निर्माण नहीं कर पाना निगम प्रशासन की जहां कार्यशैली को दर्शाता है। वहीं अमृत मिशन के तहत निर्मित इस बाल उद्यान में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की सोच को भी प्रदर्शित करता है। इस बाल उद्यान का लोकार्पण जनवरी 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था, लेकिन लोकार्पण के बाद भी निगम ने बाल उद्यान के मुख्य द्वार तक पहुंचाने के लिए सडक़ निर्माण कराने की सुध नहीं ली। जिसकी वजह से इस बाल उद्यान में सैर-सपाटा करने की मंशा से आने वाले लोगों की तादाद भी बेहद कम है। मौजूदा दौर में एक दिन में 10-15 लोग ही इस बाल उद्यान तक पहुंच पा रहे हैं। जिससे लगता है कि निगम प्रशासन इस बाल उद्यान के समुचित विकास को लेकर सजक नहीं है। रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगे कोसमनारा में करीब 93 लाख की लागत से अमृत मिशन योजना अंतर्गत बाल उद्यान का निर्माण करने की मंजूरी मिली थी। बताया जाता है कि कोसमनारा बाबा धाम मार्ग से लगे कलारमुंड़ा बस्ती के पास बच्चों के लिए एक बेहतर खेल क्षेत्र विकसित करने की मंशा से इस बाल उद्यान का निर्माण कराया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोसमनारा बाबा धाम से लगे इस स्थल पर बाल उद्यान का निर्माण होने पर ही इसे बाबा धाम बाल उद्यान का नाम दिया गया। जहां सोलर लाईट गार्डन में फव्वारा से पानी छिडक़ाव की व्यवस्था, पाथवे, पैगोडा का निर्माण किया गया। करीब 5 एकड़ क्षेत्र में फैले इस बाल उद्यान में बच्चों को बेहतर सुविधा के साथ मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराना था। लेकिन लोकार्पण के 2 साल बाद भी इस बाल उद्यान में बच्चों की दृष्टि से बेहतर व्यवस्था नहीं की जा सकी है। नाम बाल उद्यान दिया गया है, लेकिन तीन चार फिरसल पट्टी और छोटे झूले के अलावा बच्चों के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं की जा सकी है। खास बात यह है कि कोसमनारा बाबा धाम मार्ग से इस बाल उद्यान तक जाने के लिए करीब 100 फीट दूरी तक के लिए पक्की सडक़ का निर्माण नहीं कराया जा सका है। बताया जाता है कि लोकार्पण के दौरान आनन-फानन में खेत वाले हिस्से में कच्चा रास्ता तैयार किया गया था। इसी कच्चे रास्ते से आज भी बच्चे और यहां आने वाले लोग बाल उद्यान के मुख्य द्वार तक पहुंचते हैं। बाल उद्यान में चौकीदार के अलावा कुछ कर्मचारियों की तैनाती की गई है। चौकीदार का कहना है कि अभी तो एक दिन में 8-10 लोग ही आ पा रहे हैं। बाल उद्यान के लिए 5 रू. शुल्क निर्धारित है, लेकिन बच्चों के मनोरंजन के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। बताया जाता है कि शहर के बाहरी हिस्से में स्थित इस बाल उद्यान में बच्चों के लिए बेहतर व्यवस्था प्रदान कर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल इस तरह की कोई सार्थक पहल नहीं होने से शहर की एक बड़ी आबादी बाबा धाम बाल उद्यान से अभी दूर ही हैं।
बंद पड़ा है सोलर सिस्टम
इस बाल उद्यान में सोलर सिस्टम से प्रकाश व्यवस्था की गई है। लेकिन खास बात है कि सोलर सिस्टम पिछले कुछ महीनो से बंद पड़ा है। स्थानीय कर्मचारी बताते हैं कि सोलर सिस्टम काम नहीं कर रहा है। इलेक्ट्रिक से रोशनी की व्यवस्था है बताया जाता है कि इस बाल उद्यान में बच्चों के लिए जहां झूले और फिसल पट्टी लगाई गई है। उसके बगल में बड़ा गड्ढा है। जिसके चारों तरफ किसी भी तरह की घेराबंदी नहीं की गई है। बाल उद्यान में इस तरह की अवस्था से यहां आने वाले लोगों का अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता स्वाभाविक है। फिलहाल तालाब नुमा इस बड़े गड्ढे में पानी भरा हुआ है।
परिवार के साथ आने से कतराते लोग
कासमनारा कलारमुंड़ा मार्ग पर स्थित इस बाल उद्यान में बच्चों की संख्या बेहद कम ही रहती है। बताया जाता है कि शहर से दूर होने और पहुंचने के लिए सुगम रास्ता नहीं होने के कारण तो बरसात के चार-पांच महीने में सिर्फ युवा लोग ही नजर आते हैं। शहर से दूर इस बाल उद्यान की स्थापना जिस मनसा से की गई, फिलहाल उसे पूरा नहीं होता देख यहां परिवार के साथ आने वाले लोगों की संख्या बेहद कम है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाबा धाम बाल उद्यान में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे विकसित बाल उद्यान का रूप दिया जा सकता है। लेकिन निगम प्रशासन इसकी सुध क्यों नहीं ले पा रहा है। यह तो लोगों के समझ से परे है।
लोकार्पण के दो साल बाद भी नहीं संवर सका बाबा धाम बाल उद्यान
93 लाख के बाल उद्यान बाट जोह रहा पक्की सडक़ की , बच्चों के खेल और मनोरंजन के साधनों की कमी
