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Reading: पीआईएल का उद्देश्य सार्वजनिक हित में होना चाहिए -हाईकोर्ट
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रायगढ़

पीआईएल का उद्देश्य सार्वजनिक हित में होना चाहिए -हाईकोर्ट

बजरमुड़ा जमीन अधिग्रहण में मुआवजा मामला, सीबीआई जांच की मांग के लिए दायर याचिका खारिज

lochan Gupta
Last updated: August 23, 2025 12:06 am
By lochan Gupta August 23, 2025
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4 Min Read

रायगढ़। जिले के बजरमुड़ा गांव में जमीन अधिग्रहण के दौरान हुए अतिरिक्त मुआवजा घोटाले की जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। यह याचिका करीब 2300 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के लिए दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका में सीबीआई-ईडी से जांच, एफआईआर दर्ज करने और 300 करोड़ की वसूली की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता की इस मामले में निजी रुचि है, इसलिए यह वास्तविक जनहित याचिका नहीं मानी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने दोहराया कि जनहित याचिका का मकसद सिर्फ सार्वजनिक हित होना चाहिए, न कि किसी की निजी लाभ या प्रचार पाने की मंशा के लिए। कोर्ट ने इसे गैर-गंभीर याचिका मानते हुए खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता की जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त करने का भी आदेश दिया।
याचिकाकर्ता ने यह मांग की थी
याचिकाकर्ता दुर्गेश शर्मा ने पीआईएल दाखिल कर कहा था कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सीबीआई से कराई जाए। दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई हो। इसके साथ ही, जिन लोगों को अवैध 300 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा मिला है, उनकी संपत्ति जब्त कर उस राशि की वसूली की जाए। उन्होंने राजस्व विभाग, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, सीएसपीजीसीएल के प्रबंध निदेशक सहित कई अधिकारियों की भूमिका की जांच हो।
याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया
याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्होंने कई बार राजस्व मंडल, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों से शिकायत की, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सिर्फ सात अधिकारियों के खिलाफ सीमित विभागीय जांच की गई और अंत में केवल तीन पर ही कार्रवाई हुई, जबकि कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले में बराबर के जिम्मेदार थे। याचिकाकर्ता ने इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि पूरा मामला मनमर्जी से निपटाया गया। वहीं राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह जनहित याचिका नहीं, बल्कि याचिकाकर्ता की निजी रुचि से प्रेरित है।
हाई कोर्ट ने याचिका खारिज किया
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने कहा कि पीआईएल का मकसद सिर्फ वास्तविक जनहित होना चाहिए। अगर याचिका में याचिकाकर्ता का व्यक्तिगत फायदा, प्रसिद्धि या कोई निजी उद्देश्य नजर आता है, तो उसे मंजूरी नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई मामलों (जैसे बलवंत सिंह चौफाल, अशोक कुमार पांडे, गुरपाल सिंह, होलिका पिक्चर्स) में साफ कहा है कि झूठी या निजी लाभ के लिए दायर की गई पीआईएल से कोर्ट का समय बर्बाद होता है और असली पीडि़त न्याय से वंचित रह जाते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि दुर्गेश शर्मा की यह याचिका जनहित की बजाय निजी हित की है। हाईकोर्ट ने याचिका को गैर-गंभीर और व्यक्तिगत उद्देश्य वाली मानकर खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त करने का आदेश भी दिया। फिर भी कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर वास्तविक प्रभावित पक्ष चाहें, तो वे कानून के तहत सही मंच पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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