रायगढ। जिले में बाघ के पदचिन्ह मिलने के बाद वन विभाग की टीम लगातार ट्रैकिंग कर रही है। हालांकि, अब तक किसी ने बाघ को स्पष्ट रूप से देखा नहीं है। जानकारी के अनुसार, यह बाघ लैलूंगा रेंज के जंगल से ओडिशा की ओर आगे बढ़ गया है, जहां ओडिशा के जंगलों में भी उसी वन्यप्राणी के पदचिन्ह देखे गए हैं।
दरअसल, बाघ के पदचिन्ह सबसे पहले 29 जुलाई को छाल रेंज के हाटी गांव में देखे गए थे। इसके बाद यह पुरुंगा, सामरसिंघा होते हुए लैलूंगा रेंज की ओर बढ़ा। सोमवार को इसके पदचिन्ह नहरकेला और गेरूपानी के पास मिले।
ओडिशा में पहुंचा बाघ
वन विभाग ने अनुमान लगाया था कि, यदि बाघ आगे बढ़ता है, तो वह ओडिशा की सीमा में प्रवेश करेगा। यदि लौटता है, तो तमनार रेंज की ओर आएगा। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि बाघ लिबरा बीट के जुमना जंगल को पार कर ओडिशा के जंगल में पहुंच गया है। इस जानकारी के बाद धरमजयगढ़ वन मंडल के अधिकारियों ने ओडिशा के वन विभाग को इस बारे में सूचना दी है।
ट्रैप कैमरा और ड्रोन से खोज जारी
लैलूंगा क्षेत्र में बाघ की उपस्थिति की पुष्टि के लिए वन विभाग ने 10 ट्रैप कैमरे लगाए थे। संभावित जगहों जैसे गेरूपानी, नहरकेला और आसपास के इलाकों में कैमरे लगाए गए थे। हालांकि, सोमवार सुबह जब इन कैमरों की जांच की गई, तो किसी भी कैमरे में बाघ की तस्वीर नहीं मिली। इसके साथ ही ड्रोन के माध्यम से भी बाघ को खोजने का प्रयास किया गया, लेकिन वह भी असफल रहा।
ग्रामीणों को किया गया सतर्क
बाघ के पदचिन्ह मिलने के बाद वन विभाग ने गांव-गांव में मुनादी कराई है, ताकि कोई जनहानि न हो। हालांकि बाघ अब ओडिशा के जंगल में प्रवेश कर चुका है, फिर भी ओडिशा की सीमा से लगे गांवों में भी मुनादी कराकर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
एसडीओ बोले- अफवाहों से बचें
लैलूंगा सबडिवीजन के एसडीओ एम.एस. सिदार ने बताया कि, अभी तक किसी ने बाघ को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा है, इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें। उन्होंने कहा कि बाघ की पुष्टि के लिए ट्रैप कैमरे लगाए गए थे, लेकिन उनमें भी बाघ की तस्वीर नहीं आई है। अब बाघ लैलूंगा के जंगलों से आगे ओडिशा की ओर बढ़ चुका है। इस बारे में ओडिशा के वनकर्मियों को सूचना दे दी गई है।
रायगढ़ से निकलकर ओडिशा पहुंचा बाघ
जंगल में लगाए 10 ट्रैप कैमरे में नजर नहीं आया, अधिकारी बोले- अफवाहों पर ध्यान न दें
