सारंगढ़। छग पूर्व महाकौशल क्षेत्र में एक भी नगर पालिका संचालित नहीं था, उसे दौर में राजाधिराज छत्रपति महाराज जवाहिर सिंह के द्वारा सारंगढ़ में नगर पालिका की स्थापना की गई थी जब देश में अंग्रेजों का शासन था। नगर पालिका भवन 1919 में बनी थी, जिसमें जनप्रतिनिधि निर्वाचित होते थे। आज इस ऐतिहासिक भवन को जमींदोज किया जा रहा है।
इसका विरोध नगर पालिका में सत्तारूढ़ कांग्रेस नहीं कर रही है? क्योंकि नगर पालिका परिषद सारंगढ़ के कांग्रेसी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति और पार्षद अपनी कुर्सी बचाने के लिए उच्च न्यायालय के शरण में हैं। उनको भी एक साजिश की तहत जिला एडीएम के द्वारा निपटा दिया गया है। वे जन प्रतिनिधि अपनी कुर्सी बचाने के लिए न्यायालय की शरण में हैं और यहां मौका में चौका मारते हुए जिला अधिकारी एडीएम के निर्देश पर नगर पालिका के द्वारा ऐतिहासिक नगर पालिका भवन को तोड़ा जा रहा है। 1919 में बनी यह नगर पालिका जिसके प्रथम अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद थवाईत थे। आज वह ऐतिहासिक नगर पालिका भवन जिसे नपा के अधिकारी कर्मचारी तोड़ रहे हैं। ध्यान देने की बात यह है कि 2003 में नपा भवन को तोडऩे का बात सामने आयी और छग शासन नगरीय निकाय को पत्र व्यवहार किया गया, जहां पत्र के प्रति उत्तर में यह बात सामने आयी थी कि यह ऐतिहासिक नगर पालिका है इसे सुरक्षित रखा जाए, अब सरकार की मंशा और नियत दोनों समझ से परे है क्योंकि जिला प्रशासन इसे सुरक्षित रखने के बजाय जमींदोज कर रही है। शायद इस बात का पूर्वाभास पूर्व राजा और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा नरेश चंद्र सिंह को था।जिन्होंने जवाहिर भवन मेला स्थल में कहा था 1984 में कि मैं सारंगढ़ को जिला बनाना नहीं चाहता? क्योंकि जिला बनते ही इसकी शांति और सरलता समाप्त हो जाएगी। जो आज देखने के लिए मिल रही है, इसी के साथ साथ युक्तियुक्तकरण के नाम पर 1919 से पहले बनी पुत्रीशाला को भी शिक्षा विभाग ने बंद कर एक ऐतिहासिक स्कूल में ताला लगा दिया है। जिला कलेक्टर उक्त विषय पर थोड़ा संवेदनशील होकर विचार करें।
ऐतिहासिक नगर पालिका भवन हो रही जमीदोंज
ऐतिहासिक नगर पालिका भवन हो रही जमीदोंज
