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NavinKadam > रायगढ़ > धैर्य, विश्वास, प्रेम और समर्पण से मिलते हैं प्रभु- आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री
रायगढ़

धैर्य, विश्वास, प्रेम और समर्पण से मिलते हैं प्रभु- आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री

lochan Gupta
Last updated: September 25, 2023 12:43 am
By lochan Gupta September 25, 2023
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5 Min Read

रायगढ़। शहर के रेड क्वीन परिसर में प्रतिष्ठित श्री जिंदल परिवार के श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों के मोक्ष कल्याण की पवित्र भावना व श्रद्धा से सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। व्यासपीठ पर विराजित अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री निसदिन अपने दिव्य प्रवचनों से कथा स्थल में उपस्थित श्रद्धालुओं को मुग्ध कर रहे हैं।वहीं आज कथा समापन के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
प्रेम को समझते हैं श्रीराधे
रुक्मिणी विवाह प्रसंग से मुग्ध हुए श्रोता कथा प्रसंग के छठवें दिन कथा स्थल में रुक्मिणी विवाह प्रसंग को अत्यंत ही सरलता से सुनाए। आचार्य गोस्वामी जी ने कहा कि रुक्मिणी माता के हृदय के नि:स्वार्थ प्रेम को श्रीराधे समझते थे। वहीं रुक्मिणी ने भी श्रीराधे को अपना पति रुप में पाने का संकल्प लिया था तब प्रभु ने उनको हर कर वरण कर अर्द्धागिंनी बनाए। वहीं इस कथा को सुनते ही कथा स्थल जय श्री राधे के पवित्र मंत्र से गुंजित हो गया। इसी तरह कथा प्रसंग के दौरान जीवंत झांकी रुक्मिणी विवाह की निकाली गई व मंगल गीत के साथ भाव विभोर होकर झूमे।
श्रीमद्भागवत कथा का महत्व समझे
आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा नहीं अपितु संपूर्ण जीवन का महत्वपूर्ण सार है। इसे समझना जरुरी है। परंतु कोई इसे समझ नहीं पाते और जो समझ जाते हैं। वे इसकी धारा में बहकर प्रभु के शरण तक पहुंच जाते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि यह पवित्र कथा माता गंगा की तरह निर्मल है। जैसे सामान्य जल को गंगा जल में समाहित किया जाता है तो वह गंगा में पूरी तरह से मिल जाता है। ठीक उसी तरह से जीव भी चाहे कितना भी अपवित्र हो परंतु श्रीमद्भागवत की धारा में डूबकी लगाकर पवित्र और धन्य हो जाता है।
सुदामा की भक्ति से प्रसन्न हुए प्रभु
शास्त्री ने श्रद्धालुओं को सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि परमात्मा श्री माधव की कृपा सहजता से प्राप्ति नहीं होती इसके लिए गरीब सुदामा विप्र की तरह धैर्य, विश्वास, प्रेम और समर्पण चाहिए। भगवान श्री राधे ने गरीब सुदामा की तरह-तरह से परीक्षा लिए और गरीब सुदामा दाने-दाने के लिए तरस गया फिर भी उसका मन विचलित नहीं हुआ और ना ही परमात्मा के प्रति उसके प्रेम और श्रद्धा में कमी आई। परमात्मा मधुसूदन विप्र सुदामा की भक्ति देखकर अत्यधिक प्रसन्नचित हो गए और अंत में उसकी कुटिया को क्षण भर में राज महल में बदल दिए और विप्र गरीब सुदामा कंगाल से मालामाल हो गया। ऐसी है परमात्मा मधुसूदन की लीला इसलिए कहा भी गया है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता। वहीं सुदामा चरित्र सुनकर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं।वहीं कथा प्रसंग के अंतर्गत मनभावन जीवंत झांकी और पावन संगीतमयी भजन गीतों के साथ श्रद्धालुगण भावविभोर होकर झूमे।
जन्म से मृत्यु तक साथ में प्रभु हैं
आचार्य जी ने कथा प्रसंग के अंतर्गत बड़े ही सहज भाव से सैकड़ों उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि। मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ा महत्व प्रभु का है। और इस बात को मनुष्य नहीं जानता। क्योंकि प्रभु श्रीहरि ही हैं जो मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक साथ रहते हैं। वहीं मनुष्य को इस संसार में जब घर परिवार और सभी अपने लोग भी त्याग देते हैं तब भी परमात्मा मधुसूदन अपने भक्त को नहीं छोड़ते यही उनकी महानता है। इसलिए मनुष्य को उनकी शरण में हर क्षण रहना चाहिए।
जय राधे, जय श्री राधे संग झूमे
आज कथा प्रसंग के अंतर्गत आचार्य गोस्वामी मृदुल कृष्ण शास्त्री जी व टीम के कलाकारों ने जब मधुर स्वर से जय राधे, जय श्री राधे गीत को पवित्र मन से गुनगुनाए तो कथा स्थल में उपस्थित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण मस्त भाव विभोर होकर झूमे जिसे देखकर उपस्थित हर श्रोता का मन खुशी से झूमने लगा।
समापन के दिन उमड़ी भीड़
आज सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ आयोजन सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष की कथा के बाद भव्य इस धार्मिक आयोजन का समापन हुआ। व श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। वहीं आज समापन के दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ी। विधायक प्रकाश नायक भी कथा स्थल पहुंचे और कथा का आनंद ले दर्शन – पूजन किए।
इसी तरह सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजन को भव्यता देने में श्री जिंदल परिवार के सभी श्रद्धालुओं का सराहनीय योगदान रहा।

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