रायगढ़। जिला मुख्यालय रायगढ़ का इकलौता साप्ताहिक बाजार जहां अपने अस्तित्व बचाने के लिए प्रशासन की बाट जोह रहा है वहीं इतवारी बाजार के नाम से प्रसिद्ध इस साप्ताहिक बाजार में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। जिससे यहां दुकान लगाने वाले छोटे व्यापारियों से लेकर आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में जहां इतवारी बाजार के दुकानदारों को बारिश और कीचड़ से दो-चार होना पड़ता है। जबकि दिगर मौसम में उड़ती धूल और बैठक व्यवस्था व्यवस्थित नहीं होने के कारण दुकानदारों सहित साप्ताहिक बाजार आने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बताया जाता है कि इतवारी बाजार स्थल के विकास के लिए निगम की ओर से कई प्रस्ताव बनाए गए लेकिन अब तक इस साप्ताहिक बाजार की सूरत नहीं बदल पाई।
दरअसल रायगढ़ शहर के इकलौते साप्ताहिक बाजार को व्यवस्थित करने की दिशा में अब तक निगम प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। जिससे शहर के इस साप्ताहिक बाजार की दशा बद्त्तर होती जा रही है। बताया जाता है कि नगर निगम क्षेत्र में स्थित साप्ताहिक इतवारी बाजार परिसर का आधा हिस्सा कृषि उपज मंडी के स्वामित्व की जमीन है। जबकि आधा हिस्सा नगर निगम के स्वामित्व में है। इस दोहरे स्वामित्व के चलते इतवारी बाजार का कायाकल्प नहीं किया जा सका है। जिससे इतवारी बाजार में दुकान लगाने वाले छोटे-छोटे व्यापारियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में इस साप्ताहिक बाजार की दुर्दशा के चलते लोगों को बड़ी मुश्किल होती है। साप्ताहिक बाजार कीचड़ का रूप ले लेता है। बरसाती पानी के निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बारिश के पानी का जमाव लोगों और दुकानदारों को बेहद परेशानी होती है। दुकानदारों के लिए चबूतरा का निर्माण नहीं हो पाने से अव्यवस्थित तौर से पसार में दुकाने लगाई जाती है। बैठक व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में निगम प्रशासन की ओर से सिर्फ दावे किए जाते रहे लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका। दूसरी तरफ कृषि उपज मंडी और नगर निगम के स्वामित्व के चलते यहां लंबे अरसे से किया जा रहे अवैध कब्जा हटाने की सार्थक कार्रवाई नहीं किया जा सका है। बताया जाता है कि कृषि उपज मंडी के भवन की हालत जर्जर होने से मंडी समिति यहां से पटेल पाली शिफ्ट हो गई है। जिससे यहां स्थित कृषि उपज मंडी के पुराने भवन के पीछे के हिस्से पर अवैध कब्जा कर खटाल चलाया जा रहा है। इसी तरह इतवारी बाजार के चारों तरफ के हिस्से में अवैध कब्जा की भरमार है। शिकायत होने पर फौरी तौर पर निगम प्रशासन अपने हिस्से की जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई करती है। लेकिन पूरी तरह से कब्जा नहीं हटा पाने की स्थिति में अवैध कब्जा यथावत ही बना हुआ है। खास बात यह है कि इतवारी बाजार के समूच हिस्से को निगम प्रशासन के स्वामित्व में लेने की कोई सार्थक पहल नहीं की जा सकी। जिसके चलते निगम प्रशासन इस स्थल में विकास कार्यों को लेकर कृषि उपज मंडी के स्वामित्व के हिस्से में किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं कर पाने की दुहाई देता रहा। हालांकि 2021 में नगर निगम में इतवारी बाजार स्थल का कायाकल्प करने 9 करोड़ का प्रस्ताव परिषद द्वारा पारित किया गया था। परिषद के पारित प्रस्ताव को शासन से मंजूरी के लिए भेजा गया था। जिसकी मंजूरी अब तक निगम को नहीं मिल सकी। जिससे प्रस्ताव धरा का धरा रह गया। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार आ गई है, जिससे स्थानीय लोगों में इतवारी बाजार का कायाकल्प करने के लिए सार्थक पहल होने की उम्मीद बढ़ गई है।
इतवारी बाजार के लिए बना सिर्फ प्रस्ताव
इतवारी बाजार परिसर में निगम प्रशासन द्वारा टॉयलेट का निर्माण कराया गया था। करीब साल भर पहले निर्मित इस टॉयलेट का उपयोग ही नहीं किया जा सका और वह बंद पड़ा है। खुले में पानी की पाइपलाइन खींचकर एक टोंटी लगा दी गई है। इतने बड़े बाजार स्थल में अन्य किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि नगर निगम के हिस्से की जमीन पर करीब 5 लाख की लागत से कंक्रीट सडक़ का निर्माण छोटे से हिस्से में किया गया है। बताया जाता है कि नगर निगम इस साप्ताहिक बाजार में दैनिक सब्जी मंडी को शिफ्ट करने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। लेकिन कृषि उपज मंडी से अपने हिस्से को देने के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं दी जा सकी है। जिससे इस साप्ताहिक बाजार को संवारने के लिए बनाया गया करीब 30 लाख का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। बताया जाता है कि संजय काम्प्लेक्स परिसर स्थित दैनिक सब्जी मंडी का कायाकल्प करने के लिए वहां के सब्जी व्यापारियों को अस्थाई रूप से शिफ्ट करने की निर्णय लिया जा चुका है इसी के लिए 30 लाख से इतवारी बाजार स्थल में शैड और चबूतरा निर्माण की योजना बनाई गई है।
मवेशियों की धमा-चौकड़ी से बढ़ी परेशानी
इतवारी बाजार प्रांगण के पीछे हिस्से में अवैध तरीके से खटाल का संचालन किया जा रहा है। खास बात यह है कि खटाल का दरवाजा कृषि उपज मंडी के पुराने भवन की तरफ खोला गया है। जिससे इस प्रांगण में हमेशा मवेशियों का डेरा लगा रहता है। साप्ताहिक बाजार के दिन भी यहां मवेशियों का जमाना रहता है। जिससे बाजार में भीड़ के दौरान मवेशियों की धमा-चौकड़ी से अफरा-तफरी की स्थिति बन जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि चारों तरफ अवैध कब्जा होने से इतवारी बाजार का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। निगम प्रशासन भी इसकी सुध नहीं ले पा रहा है। जिससे साप्ताहिक इतवारी बाजार आने वाले लोगों की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
परिषद से पारित है प्रस्ताव : जानकी काटजू
इस संबंध में निगम प्रशासन का कहना है कि तिवारी बाजार में नगर निगम की हिस्से की जमीन से पूर्व में अवैध कब्जा हटाने की कार्रवाई की गई थी। महापौर जानकी काटजू ने कहा है कि इतवारी बाजार में शैउ और चबूतरा निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाया गया है। लेकिन कृषि उपज मंडी से उसके हिस्से में व्यापारियों को अस्थाई तौर पर दुकान लगाने की अनुमति नहीं मिल पाई है। जिससे निर्माण कार्य नहीं कराया जा सका है। उससे पहले भी नगर निगम के परिषद से इतवारी बाजार का कायाकल्प करने 2021 में करीब 9 करोड़ का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। लेकिन शासन से अनुमति नहीं मिल पाई जिसके चलते वहां किसी तरह का विकास कार्य नहीं कराया जा सका है।