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Reading: अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा 400 करोड से बना ट्रांसपोर्टनगर
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NavinKadam > रायगढ़ > अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा 400 करोड से बना ट्रांसपोर्टनगर
रायगढ़

अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा 400 करोड से बना ट्रांसपोर्टनगर

18 साल बाद भी नहीं बदल सकी तस्वीर, महत्वाकांक्षी योजना पूरी तरह नहीं उतर पाई धरातल पर

lochan Gupta
Last updated: November 26, 2023 1:55 am
By lochan Gupta November 26, 2023
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13 Min Read

रायगढ़। जिला मुख्यालय में ट्रांसपोर्टिंग के कारोबार को बेहतर सुविधा के साथ सर्व सुविधा युक्त बस स्टैंड की व्यवस्था देने का सपना अब तक साकार नहीं हो सका है। छत्तीसगढ़ शासन के ट्रांसपोर्ट नगर की महत्वाकांक्षी योजना पर रायगढ़ नगर निगम की स्थापना के बाद से इसके लिए 400 करोड़ से भी अधिक राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन अब भी ट्रांसपोर्ट नगर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहता नजर आ रहा है। नगर निगम की स्थापना के साथ ही तात्कालिक नगर निगम प्रशासक ने इसकी परिकल्पना रखी थी। तत्कालीन भाजपा सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को आकार रायगढ़ नगर निगम के प्रथम महापौर जेठू राम मनोहर के कार्यकाल में मिला। करीब 18 वर्ष का लंबा अर्सा गुजरने के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर की परिकल्पना को पूर्ण रूप से धरातल पर नहीं उतरा जा सका। किश्तों-किश्तों में निर्माण कार्य कराने के बाद भी ट्रांसपोर्टनगर में सुविधाओं की कमी यहां के पूर्ण बसाहट में आड़े आ रहा है। बताया जाता है कि आधारशिला रखे जाने के बाद से करीब चार बार विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं वही चार बार नगर निगम के चुनाव हुए हैं। रायगढ़ नगर निगम के प्रथम महापौर जेठूराम मनहर के कार्यकाल में करीब 400 करोड़ की लागत से ट्रांसपोर्टनगर में बस स्टैंड ट्रांसपोर्टर कारोबारी के लिए गोदाम लघु कारोबारी के लिए दुकानों का निर्माण किया गया। करीब 35-40 एकड़ के इस क्षेत्र को ट्रांसपोर्ट नगर के साथ बस स्टैंड का स्वरूप देना था, लेकिन वक्त के साथ ना तो समुचित सुविधा मुहैया कराई जा सकी और ना ही शहर के भीतर से कारोबार से जुड़े लोगों को बसाया जा सका। ट्रांसपोर्टनगर में 50-60 दुकानों और गोदामो का निर्माण कर इसका आवंटन की प्रक्रिया भी की गई, लेकिन समुचित सुविधा के अभाव में वहां शासन की मनसा के अनुरूप व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन नहीं हो सका। जिससे धीरे-धीरे गोदाम व दुकानों की हालत जर्जर होती चली गई। यह भी बताया जाता है की सुविधाओं की कमी के चलते कारोबारी दुकान का आवंटन होने के बाद भी व्यापारिक गतिविधियों के संचालन से गुरेज करते रहे। जिसका खामियाजा ट्रांसपोर्ट नगर को भुगतना पड़ा। मौजूदा दौर में ट्रांसपोर्टनगर उजाड़ बस्ती की तरह नजर आ रहा है। यहां समस्याओं का अंबार है।
बड़े पैमाने पर छोटे-छोटे दुकानों की झुग्गी टपरी नजर आते हैं। ट्रांसपोर्ट नगर में गोदामो-दुकानों का निर्माण तो किया गया, लेकिन ट्रांसपोर्टनगर के खाली हिस्सों का क्रांक्रीटीकरण नहीं किया जा सका। दूसरी तरफ बस स्टैंड को शेड निर्माण और अन्य सुविधाओं का समुचित रूप से विस्तार करने का काम नहीं हो सका। जिसमें एक मात्र शेड यात्रियों के प्रतीक्षालय की भूमिका का निर्वहन कर रहा है। यहां दो-चार गोदामों और दुकानों में व्यापारी कारोबार का संचालन कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टनगर की इस दुर्दशा की सुध ही जिला प्रशासन ने ली और ना ही निगम प्रशासन गंभीर दिखा। दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी साफ झलकती है। ऐसे में आने वाले दिनों में इसकी तस्वीर बदलने की उम्मीद कम ही है।

3 साल बाद किया गया उद्घाटन

ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण कार्य वर्ष 2009-10 में पूर्ण होने का दावा किया गया। बताया जाता है कि करीब 3 साल तक ट्रांसपोर्ट नगर का विधिवत उद्घाटन नहीं किया जा सका। अंतत: 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। उसके बाद भी इसको संवारने और व्यवस्थित करने की सार्थक पहल नगरीय निकाय विभाग की ओर से नहीं हो सका। बताया जाता है कि नगर निगम के प्रथम चुनाव तक अंबेडकर आवास और पानी टंकी के अलावा कुछ हिस्से में सडक़ का निर्माण किया जा चुका था प्रथम महापौर के कार्यकाल में नगर निगम के इस ट्रांसपोर्ट नगर को बसाने की कोशिश भी हुई, लेकिन पूर्ण सफलता नहीं मिली। बताया जाता है कि उसके बाद इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी, जिससे ट्रांसपोर्ट नगर की दुर्दशा के दिन शुरू हो गए जिससे मुक्ति नहीं मिल पाई है।

लोगों को हो रही असुविधा

ट्रांसपोर्टनगर में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय का संचालन करने वाले लोगों का कहना है की सुविधाओं की कमी के चलते कई लोग यहां से अपना कारोबार नहीं चला रहे हैं। कई दुकानों को बेचकर अन्यत्र चले गए हैं। वही छोटे-छोटे दुकानदार झोपड़ी और टापरी में होटल, पान दुकान, फल दुकान, चाय दुकान और अन्य रोजमर्रा की जरूरत के सामान बेचने दुकान चला रहे हैं। जबकि कई छोटे बड़े दुकान जर्जर होते नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की उदासीनता के चलते ट्रांसपोर्ट नगर पूरी तरह बसने से पहले उजाड़ होता जा रहा है। लोग यह भी कहते हैं कि इस चुनाव के बाद अब क्या स्थिति बनती है कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह अभी तक है कि अब ट्रांसपोर्ट नगर को बसाने के लिए सुविधायुक्त नहीं बनाया गया तो इसका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। उम्मीद की जा रही है कि इस चुनाव के बाद इस ट्रांसपोर्ट नगर की दशा सुधारने की दिशा में कोई सार्थक पहल हो सके। रायगढ़ जिला मुख्यालय के वाशिंदे इसकी उम्मीद तो कर सकते हैं, लेकिन पूर्व के वर्षों में जिस तरह की अपेक्षा सामने आई उसे यही लगता है कि छत्तीसगढ़ शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना पर एक बार फिर पानी फिर सकता है।

क्या कहते हैं रहवासी

इस संबंध में स्थानीय निवासियों का कहना है कि शाम होते ही यह क्षेत्र पूरी तरह से विरान हो जाता है। जिससे यह जर्जर दुकानेें शराबियों का अड्डा हो जाता है, ऐसे में रात होते ही जब शराब का सुरुर चढ़ता है तो गाली-गलौच का दौर शुरू हो जाता है, जिससे रात में महिलाओं को बाहर निकलना मुश्किल होता है, साथ ही यहां पुलिस गस्त भी नहीं होती, जिसके चलते इनका मनोबल और बढ़ जाता है। ऐसे में यहां पुलिस गस्त काफी जरूरी है।

दुकानों के सामने डंप हो रहा कचरा

गौरतलब हो कि ट्रांसपोर्टनगर में दुकानों के निर्माण का यह मकशद था कि जब बस स्टैंड पूरी तरह से आबाद हो जाएगा तब सभी दुकानें खुल जाएंगी, लेकिन बस स्टैंड आबाद नहीं होने के कारण दुकानें खंडहर हो गई, ऐसे में अब इन दुकानों के पास शहर के कचरे डंप होने लगा है, जिससे कई दुकानों में आसपास के कबाड़ चुनने वाले कब्जा कर लिए हैं। क्योंकि वहीं पर कचरा डंप होने के कारण पूरे दिन कचरे से कबाड़ चुनकर उसी में रखते हैं और उसे बेचकर वहीं पर शराबखोरी भी करते हैं। जिससे नशेडिय़ों के लिए यह एक सुरक्षित स्थल बन चुका है।

असमाजिक तत्वों का बना अड्डा

ट्रांसपोर्टनगर क्षेत्र में शाम होते ही शराबियों और जुआरियों जमघट लग जाता है। जिससे उसके आसपास रहने वाले लोग भी परेशान रहते हैं। इसके बाद भी नगर निगम द्वारा इन दुकानों को सहेजने किसी भी प्रकार की पहल नहीं कर रही है। पूर्व में जब ट्रांसपोर्ट नगर में इन दुकानों का निर्माण कराया गया था तो इसमें लाखों रुपए खर्च कर शटर भी लगाया गया था, लेकिन आज की स्थिति में एक भी दुकान में शटर नहीं है, क्योंकि कुछ शटर सडकऱ टूट गए हैं तो कुछ को आसमाजिक तत्वों द्वारा तोडकऱ बेच दिया गया है। हालांकि पूर्व में कई बार शिकायत होने के बाद निगम द्वारा निरीक्षण भी किया गया था, लेकिन उसके बाद आगे किसी प्रकार की पहल नहीं किया गया, जिसके चलते अब ये दुकानें गिरने की स्थिति में पहुंच गई है।

खंडहर हो गई निगम की दर्जनों दुकानें

नगर निगम द्वारा पूर्व में लाखों रुपए खर्च कर ट्रांसपोर्टनगर में करीब चार से पांच दर्जन दुकानों का निर्माण कराया गया था, ताकि यहां सारंगढ़ बस स्टैंड शिफ्ट होने के बाद दुकानों का आबंटन किया जाएगा, लेकिन करीब 10 बित जाने के बाद न तो बस स्टैंड आबाद हो सका और न ही दुकानों की आबंटन हो सकी, जिसके चलते सभी दुकानें अब खंडहर में तब्दील हो गई है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम द्वारा शहर के कई क्षेत्रों में लाखों रुपए खर्च कर बड़ी संख्या में दुकानों का निर्माण कराया गया है, लेकिन सालों बाद भी इन दुकानों का आबंटन नहीं हो पाने के कारण और देख-रेख के नहीं होने से सभी दुकानें खंडहर में तब्दील हो चुकी है। हालांकि कई क्षेत्र के दुकानों की मरम्मत के लिए भी बीच-बीच में राशि जारी होती है, लेकिन इसके बाद भी मरम्मत नहीं होने के कारण भारी-भरकम राशि का बंदबांट हो गया है। ऐसे में करीब 18 साल पहले शहर के सडक़ों की चौड़ीकरण के दौरान जुटमिल क्षेत्र में स्थित सारंगढ़ बस स्टैंड को यह कहकर ट्रांसपोर्टनगर में शिफ्ट किया गया कि यहां पूरी व्यवस्थित तरीके से बस स्टैंड बनेगा, जिससे जिला व जिले के बाहर जाने वाले यात्रियों को आसानी से बस की सुविधा मिलेगी, साथ ही इसके लिए ट्रांसपोर्टनगर में करीब चार से पांच दर्जन दुकानों का भी निर्माण कराया गया था, ताकि आबंटन होने के बाद निगम को अच्छा-खासा राजस्व का लाभ होगा, लेकिन इतने दिन बित जाने के बाद भी न तो बस स्टैंड आबाद हो सका और न ही इन दुकानों का आबंटन हो सका। ऐसे में अब ये दुकानें देख-रेख के अभाव में पूरी तरह से जर्जर स्थिति में पहुंच गई है। जिससे अब ये दुकानें जुआरियों और शराबियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बन चुके हैं। वहीं कुछ जर्जर दुकानों में तो कबाडियों का राज है।

बस स्टैंड में सुविधाओं का अभाव

ट्रांसपोर्ट नगर में ही सर्व सुविधायुक्त बस स्टैंड का संचालन की योजना बनाई गई थी। बताया जाता है कि सारंगढ़, बिलासपुर और रायपुर दिशा की ओर से आने जाने वाली बसों का संचालन इस बस स्टैंड से होता रहा है। मौजूदा दौर में कारीब 50 बसों का आवागमन इस बस स्टैंड में प्रतिदिन होता है, लेकिन इस बस स्टैंड में एकमात्र यात्री प्रतीक्षालय का शेड बनाया जा सका है इस बस स्टैंड में अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हुई। जिसका खामियाजा इस बस स्टैंड से यात्रा करने वाले यात्रियों को भोगना पड़ रहा है। बिजली-पानी के अलावा अन्य सुविधाओं का अभाव ट्रांसपोर्टनगर की दुर्दशा की कहानी बयां कर रही है।

कीचड़ और धूल के उड़ते गुब्बार

ट्रांसपोर्टनगर में सबसे ज्यादा दिक्कत कांक्रीटी करण नहीं होने से हो रही है। बड़े पैमाने पर भारी वाहनों का आवागमन और बसों की आवाजाही से जहां हर साल बरसात के मौसम में ट्रांसपोर्ट नगर परिसर जल भराव के साथ कीचड़ में तब्दील हो जाता है वहीं दिगर मौसम में यहां धूल के उड़ते बार ट्रांसपोर्ट नगर की पहचान बन चुकी है। बताया जाता है कि इस बार विधानसभा चुनाव से पहले ट्रांसपोर्टनगर के प्रवेश द्वार से अंबेडकर आवास तक कंक्रीट सडक़ का निर्माण किया गया है, लेकिन ट्रांसपोर्ट नगर के परिसर की ओर निगम प्रशासन की नजरे इनायत नहीं हुई। जिसमें मौजूदा दौर में बड़े वाहनों के आवागमन से समूचा क्षेत्र धूल के गुब्बार से भरा नजर आता है।

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