सारंगढ़। मे. ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा. लि. की प्रस्तावित जनसुनवाई के विरोध में गुरुवार को जिले भर में उबाल देखने को मिला। हजारों की संख्या में ग्रामीण तख्तियां, बैनर लेकर सडक़ों पर उतरे व कलेक्ट्रेट पहुंच कर प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि- इसकी अगुवाई बड़ी संख्या में शामिल महिलाओं ने की। महिलाओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि – यदि सरकार ने जबर्दस्ती जन सुनवाई आयोजित की, तो आंदोलन और उग्र रूप ले लेगा। उनका कहना था कि – कंपनी को गांव में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने प्रशासन पर कंपनी को अंदरूनी संरक्षण देने व जन हित की अनदेखी करने के आरोप भी लगाए। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बैरिकेड तैनात किए थे, पर आक्रोशित ग्रामीणों ने उन्हें पार कर कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचकर घेराव कर दिया।
इस आंदोलन को विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े,जनपद अध्यक्ष श्रीमती ममता राजीव ठाकुर, श्रीमती राज कुमारी चंद्रकुमार नेताम, उपाध्यक्ष जनपद, पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरुण मालाकार पुरुषोत्तम साहू, संजय दुबे, गनपत जांगडे, अजय बंजारे,रामनाथ सिदार
,मोहन पटेल, ताराचंद पटेल, किशोर पटेल, बिनोद भारद्वाज, प्रमोद मिश्रा अभिषेक शर्मा, प्रणय वारे जनपद सदस्य, कन्हैया सारथी दुर्गेश अजय, सुशील नायक, शुभम बाजपेई, सरिता गोपाल और अभिषेक शर्मा, योगेश सोनवानी, सोमू यादव, दुर्गेश, पदाधिकारीयों जनप्रतिनिधियों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिला जिससे प्रदर्शन अधिक मजबूत हो गया, बाद में ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल स्थगित करने के साथ-साथ पूर्णत: निरस्त करने की मांग रखी। उनका कहना था कि – जब तक जनसुनवाई रद्द नहीं होती, तब तक विरोध आंदोलन जारी रहेगा।
जिले में जनविरोध की गूंज सुनाई देती रही। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि- यदि यह उद्योग स्थापित हुआ, तो आस पास की भूमि, जल स्रोत और वायु गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाएंगे, जिसका सीधा दुष्प्रभाव स्थानीय जनजीवन, खेती किसानी और पर्यावरण पर पड़ेगा। खदान क्षेत्रों में बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट, टीबी मरीजों की संख्या से ग्रामीण सहमे हुए हैं। उधर टीमरलगा और गुडेली खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार खदानों से उठने वाली धूल लगातार बढ़ रही है प्रदूषण स्थानीय लोगों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है व कई परिवारों में टीबी मरीज सामने आ रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में भय, असुरक्षा का माहौल है।
ग्रामीणों का कहना है कि – खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य जांच, प्रदूषण नियंत्रण और सुरक्षा उपायों की अत्यंत कमी है। यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो आने वाले समय में स्थिति और भी विकराल हो सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि – प्रस्तावित उद्योग परियोजना का पारदर्शी अध्ययन करवाया जाए। खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा और प्रदूषण नियंत्रण तंत्र को मजबूत किया जाए, जन सुनवाई जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जनता की राय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। स्थानीय लोगों का कहना है कि – विकास जरूरी है, लेकिन जन स्वास्थ्य और पर्यावरण की कीमत पर नहीं।
जन सुनवाई निरस्त करने की मांग तेज
महिला शक्ति ने कलेक्ट्रेट का किया घेराव



