पखांजुर। इस वर्ष अति वर्षा और बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में खड़ी और कटी हुई धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। धान का रंग काला पडऩे और गुणवत्ता खराब होने से किसान अपनी पूरी उपज सरकारी समर्थन मूल्य पर बिकने को लेकर चिंतित हैं। इसी बीच, शासन द्वारा धान खरीदी का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपने के फैसले ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, जिससे न केवल किसानों की परेशानी बढ़ी है, बल्कि प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित होने की आशंका है।
किसानों की दोहरी मार फसल हुई खराब अब धान खरीद पर संकट
बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। लगातार हो रही अति वर्षा के कारण बड़ी मात्रा में धान की फसल खराब हो गई है, जिससे दाने का रंग काला पड़ गया है और उसमें नमी की मात्रा भी बढ़ गई है। सरकारी खरीद में अक्सर ‘फेयर एवरेज क्वालिटी’ के सख्त नियम होते हैं, जिसके तहत खराब गुणवत्ता वाले धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है। वही क्षेत्र के कई किसान ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, ‘बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। अब अगर सरकार हमारी पूरी फसल, भले ही थोड़ी कम गुणवत्ता वाली हो, नहीं खरीदेगी तो हम कहाँ जाएँगे? हमारी मेहनत और जीवन दोनों दाँव पर हैं।’ किसान शासन-प्रशासन से विशेष छूट देते हुए उनके संपूर्ण धान को खरीदने की पुरजोर अपील कर रहे हैं ताकि उन्हें राहत मिल सके और वे घाटे से बच सकें।
प्रशासनिक अधिकारियों पर अतिरिक्त बोझ, कार्य प्रभावित होने की आशंका
किसानों की समस्या एक तरफ है, वहीं दूसरी तरफ शासन ने धान खरीदी केंद्रों का प्रभार इस वर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को सौंप दिया है। यह फैसला अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। नाम न छापने की शर्त पर एक प्रशासनिक अधिकारी, जिन्हें धान खरीदी केंद्र का प्रभारी बनाया गया है, उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी उन्होंने बताया, ‘यदि हमें धान खरीदी का काम सौंपा जाता है, तो हमारा मूल प्रशासनिक कार्य बुरी तरह प्रभावित होगा। राजस्व, विधि व्यवस्था, और जन कल्याण से जुड़े अति महत्वपूर्ण कार्य रुक जाएंगे, जिसका सीधा असर आम जनता की सुविधा पर पड़ेगा।’
अधिकारी-कर्मचारी लामबंद: हड़ताल की चेतावनी सुत्र
प्रशासनिक अधिकारी ने यह भी बताया कि इस फैसले से सभी अधिकारी और कर्मचारी नाखुश हैं और वे एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर यह जि़म्मेदारी वापस नहीं ली गई तो ‘सभी अधिकारी-कर्मचारी एक होकर हड़ताल करने और प्रशासनिक अधिकारी से यह जि़म्मा हटाए जाने की मांग करेंगे।’ उनका मानना है कि धान खरीदी जैसे बड़े और समय-साध्य कार्य के लिए अलग से विशेष व्यवस्था होनी चाहिए, न कि प्रशासनिक अमले को इसके बोझ तले दबाना चाहिए।
जनता को सता रही असुविधा का डर
प्रशासनिक कार्यों में बाधा आने का सीधा मतलब है, जनता को असुविधा का सामना करना पड़ेगा। यदि अधिकारी धान खरीदी में व्यस्त रहेंगे, तो प्रमाण पत्र बनवाने, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, और रोजमर्रा के प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ सकता है। ऐसे में यह पूरा मामला एक दोहरी चुनौती पेश कर रहा है एक तरफ किसानों को राहत दिलाना आवश्यक है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। किसानों के धान की खरीद के लिए गुणवत्ता मानकों में आवश्यक छूट और प्रशासनिक कार्यों को प्रभावित किए बिना खरीद प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए एक वैकल्पिक और प्रभावी रणनीति बनाना समय की मांग है।
धान खरीदी के जि़म्मे से नाराज़ अधिकारी, प्रशासनिक कार्य होगी प्रभावित



