नई दिल्ली। कोल इंडिया लिमिटेड की 402वीं बोर्ड बैठक में कंपनी ने ई-नीलामी योजना 2022 से जुड़े कई अहम संशोधनों को मंजूरी दी है. इसके साथ ही 1 नवंबर 2025 से अधिसूचित सभी ई-नीलामी आयोजनों के लिए कोई खरीदार यदि थर्ड पार्टी सैंपलिंग का विकल्प नहीं चुनता है, तो उस पर कोयला कंपनी की ओर से अनिवार्य सैंपलिंग की शर्त लागू नहीं होगी.
कोल इंडिया बोर्ड के निर्णय के साथ ही कोल व्यापारियों को एक बड़ी राहत मिली है. इससे पहले कंपनी ने 1 अक्तूबर 2025 से लागू होने वाले कई नए प्रावधानों जिनमें थर्ड पार्टी सैंपलिंग फाइनेंशियल कवरेज और इंडेम्निटी बॉन्ड शामिल थे को अनिवार्य बना दिया था. इन बदलावों से देशभर के कोयला व्यापारियों को संचालन और वित्तीय स्तर पर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. कोल इंडिया के इस फैसले के पीछे देशभर के कोल ट्रेडर्स की एकजुटता ने अहम भूमिका निभाई है.ऑल इंडिया कोल ट्रेडर्स कम्युनिटी जो देश के विभिन्न राज्यों के कोल व्यापारियों को एक मंच पर लाने वाला संगठन है पिछले कुछ महीनों से इस विषय पर सतत संवाद और रचनात्मक प्रयास किए. संगठन ने यह साबित किया कि यदि उद्योग जगत की चिंताओं को संगठित, जि़म्मेदार और पारदर्शी तरीके से सामने रखा जाए, तो बिना टकराव या आंदोलन के भी नीति-स्तर पर बड़ा परिवर्तन संभव है.
सीआईएल बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि 1 नवंबर 2025 से पहले आयोजित या अधिसूचित सभी ई-नीलामी आयोजनों के लिए अनिवार्य सैंपलिंग का प्रावधान यथावत रहेगा. इन आयोजनों के अंतर्गत होने वाले कोयला प्रेषण की गुणवत्ता की समीक्षा नमूनाकरण परिणामों के आधार पर की जाएगी.
कोल इंडिया ने ई-ऑक्शन पॉलिसी में किया बड़ा बदलाव
नहीं रहा थर्ड पार्टी सैंपलिंग का अनिवार्य प्रावधान



