रायगढ़। नगर के वार्ड क्रमांक-07 निवासी भरत खण्डेल (पिता स्व. प्रहलाद खण्डेल, आयु 42 वर्ष, जाति सतनामी, वर्ग अनुसूचित जाति) का पचास वर्षों पुराना आशियाना प्रशासनिक कार्रवाई में उजाड़ दिया गया। बरसात के बीच बेघर हुए भरत खण्डेल अब अपने पूरे परिवार के साथ भीम आर्मी के बैनर तले घरघोड़ा में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
भरत खण्डेल का कहना है कि उनके पूर्वजों की पैतृक भूमि खसरा नंबर 455ध्7, रकबा 0.162 हेक्टेयर पर मकान बना हुआ था, लेकिन राजस्व अधिकारियों ने राजनीतिक दबाव और जातिगत पूर्वाग्रह से प्रभावित होकर इस जमीन को खसरा नंबर 455ध्6 मान लिया और 23 सितंबर को अचानक बुलडोजर चलवा दिया। उनका आरोप है कि नक्शा दरुस्तगी और बटांकन की प्रक्रिया पूरी किए बिना यह कार्रवाई करना पूरी तरह से अवैधानिक और अन्यायपूर्ण है।
श्री खण्डेल ने यह भी कहा कि वे पहले ही न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं, मगर न्याय मिलने से पहले ही प्रशासन ने संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाकर उन्हें बेघर कर दिया। उन्होंने कहा – मेरे संवैधानिक अधिकारों की हत्या की गई है। मैं अपने पूर्वजों की जमीन किसी जातिवादी ताकत के हाथों में नहीं जाने दूंगा। जब तक मुझे न्याय नहीं मिलेगा, मैं परिवार सहित आमरण अनशन जारी रखूंगा।
भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने भी इस मामले में मोर्चा संभाल लिया है। उनका कहना है कि यह घटना अनुसूचित जाति वर्ग पर सीधा अन्याय और उत्पीडऩ है। जब तक पीडि़त परिवार को न्याय नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा। आर्मी पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने मामले में शीघ्र हस्तक्षेप नहीं किया तो इसे प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन बनाया जाएगा।
भरत खण्डेल ने मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय एवं राज्यअनुसूचित जाति आयोग, कलेक्टर रायगढ़ और जिला सत्र न्यायाधीश सहित कई अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। लेकिन अब तक न तो नक्शा दरुस्तगी की गई और न ही परिवार को न्याय दिलाने के लिए कोई ठोस कदम उठाया गय भीम आर्मी की अगुवाई में जारी यह आमरण अनशन अब घरघोड़ा क्षेत्र में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। स्थानीय लोगों में भी प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर नाराजगी है और जगह-जगह इस घटना की आलोचना की जा रही है।
घरघोड़ा में दलित परिवार का आशियाना उजाड़ा
भीम आर्मी की अगुवाई में परिवार सहित आमरण अनशन
