रायगढ़। जिले के देलारी गांव माध्यमिक शाला भवन बीते कई सालों से जर्जर हो चुका है। स्कूल भवन इतना जर्जर है कि कहीं प्लास्टर गिर रहा तो कहीं पानी टपक रहा। इस वजह से पिछले साल से छात्रों को प्रायमरी स्कूल और अतिरिक्त भवनों में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है, वहां भी उन्हें कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। एक बार नही कई बार शिकायत करने के बावजूद आज तलक छात्रों की समस्या जस की तस बनी हुई है।
राज्य सरकार एवं स्कूल शिक्षा विभाग शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक शिक्षा का उजियारा पहुंचाने स्कूल भवन का निर्माण कराया जाता है। कई प्रकार की योजनाओं के माध्यम से बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। इसके बावजूद भी आज भी कई सरकारी अपनी बदहाली पर आंशु बहा रहे हैं। जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित देलारी गांव का मीडिल स्कूल पिछले 10 साल से जर्जर है। पाली और देलारी गांव के करीब 100 से अधिक बच्चे मिडिल स्कूल में अध्ययनरत हैं। गांव के ग्रामीण बताते हैं कि पिछले एक साल से अधिक समय से मिडिल स्कूल को प्रायमरी स्कूल के अलावा अतिरिक्त भवन में संचालित किया जा रहा है। वहां भी छात्रो को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
कलेक्टर रायगढ़ के नाम सौंपे गए ज्ञापन पत्र में कहा गया है कि ग्राम पंचायत देलारी का माध्यमिक शाला भवन की स्थिति बहुत ही जर्जर है, जो बच्चों के बैठने लायक नही है। छत से पानी टपक रहा है एवं छत का हिस्सा नीचे गिर रहा है। ग्राम पंचायत अंतर्गत कई उद्योग संचालित है, इसके बावजूद ग्राम पंचायत देलारी को सीएसआर मद से अभी तक कुछ भी कार्य स्वीकृत नही हुआ है। देलारी माध्यमिक शाला भवन को देखते हुए सीएसआर मद से नये भवन सीएसआर मद से स्वीकृत करने हेतु कार्य प्रस्तावित है। गांव के सरपंच विरेन्द्र कुमार चौहान, सचिव सुशील साहू के अलावा गांव के ग्रामीणों ने कलेक्टर रायगढ़ से देलारी गांव में सीएसआर मद से माध्यमिक शाला भवन कार्य निर्माण की स्वीकृति दिलाने की मांग की है।
क्या कहते हैं गांव के सरपंच
गांव के सरपंच ने बताया कि स्कूल भवन काफी जर्जर है उसे सीएसआर के मद से बनवाना चाहते हैं। इसके लिये गांव में स्थित एक प्लांट से बात की तो उनका कहना है कि अगर रायगढ़ कलेक्टर एनओसी देते हैं तो फिर हम स्कूल निर्माण का काम शुरू कर देंगे।
दूसरे स्कूल में करा चुके एडमिशन
गांव के ग्रामीण मुरली शंकर चौहान ने बताया कि स्कूल भवन जर्जर होनें के चलते उसने अपने दोनों बच्चों को देलारी स्कूल से निकलकर दूसरी जगह एडमिशन कराया है। एक दर्जन से भी अधिक ऐसे पालक हैं जिन्होंने इस स्कूल से अपने बच्चों को निकालकर प्रायवेट या फिर अन्य गांव के स्कूल में दाखिला करवाया है।
अपनी दुर्दशा पर आंशु बहा रहा देलारी का माध्य. शाला भवन
