रायगढ़। नगर पंचायत प्रशासन ने स्वच्छता में नंबर-1 का तमगा तो हासिल कर लिया, लेकिन सच्चाई यह है कि एक बारिश ने ही उनकी पूरी ‘स्वच्छता’ की कहानी का भंडाफोड़ कर दिया। जय स्तम्भ चौक से लेकर गली-गली नालियां जाम हैं, सडक़ें तालाब बनी पड़ी हैं और गंदगी का पानी घरों में घुसकर लोगों की जिंदगी दूभर कर रहा है।लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब हर जगह जलभराव और गंदगी फैली हुई है तो नगर पंचायत को स्वच्छता का अवॉर्ड आखिर कैसे मिला? क्या ये पुरस्कार केवल दिखावा और कागजी खेल है?
घरघोड़ा नगर के जय स्तम्भ चौक का नजारा बताता है कि नगर पंचायत प्रशासन सिर्फ खोखले वादों तक सीमित है। सीएमओ और जिम्मेदार अधिकारी हर साल बरसात से पहले नाली सफाई और जल निकासी का दावा करते हैं, मगर हकीकत यह है कि शहरवासी बदबू और गंदगी में जीने को मजबूर हैं। नई बनी सडक़ों पर पानी जमने से उनके उखडऩे का खतरा भी मंडरा रहा है। करोड़ों की लागत से बनी सडक़ें एक बरसात भी नहीं झेल पा रही हैं। नागरिकों का आरोप है कि इसमें भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण की बू साफ झलक रही है।
स्थानीय लोग गुस्से में कहते हैं ‘नगर पंचायत ने जनता को सिर्फ धोखा दिया है। अवॉर्ड की चमक में असली गंदगी छिपाई गई है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर अपनी जेब भर रहे हैं और जनता को दलदल में जीने को छोड़ दिया गया है।’ अब लोग जिले के कलेक्टर और शासन से मांग कर रहे हैं कि नगर पंचायत प्रशासन की जिम्मेदारी तय कर तुरंत कार्रवाई की जाए।
स्वच्छता पुरस्कार की चमक में छिपी गंदगी, घरघोड़ा नगर पंचायत की खुली पोल
