रायगढ़। मुसलमानो का एक प्रमुख त्यौहार मुहर्रम रविवार को मनाया जायेगा। इस मौके पर तजियादारी के साथ अखाड़े का प्रदर्शन किया जाता है। यह पर्व करबला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके 72 लोगों की शहादत की याद में मनाया जाता है। शहर के तुर्कपारा का काजी इमाम बाड़ा और चांदनी चौक का नवाब इमाम बाड़ा शहर की सबसे पुरानी और मशहूर इमाम बाड़ा है। यहां पर रियासरकाल से मुहर्रम के मौके पर ताजियादारी की परंपरा चली आ रही है और अब इस परंपरा को चौथी पीढ़ी आगे बढ़ा रही है। मोहर्रम का पर्व मुसलमानो का बहुत महत्वपूर्ण पर्व है यह पर्व उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। इस मातमी पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मोहर्रम का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने में मनाया जाता है, जो इमाम हुसैन और उनके परिवार की कुर्बानी को याद करता है। यह पर्व कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 680 ईस्वी में उमय्यद खलीफा यजीद की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। पैगंबर हजरत मोहम्मद स अ के इस्लाम के खिलाफ इस दौर के आतंक के पर्याय खलीफा यजीद के द्वारा स्वयं को खुदा मनवाने के लिए इमाम हुसैन और उनके साथियों और परिवार के 72 लोगों पर भारी जुल्म किया था। इमाम हुसैन और 72 लोगों की शहादत की याद में मोहर्रम के मौके पर ताजिया निकाली जाती है और स्मृति स्वरूप अखाड़े के करतब दिखाए जाते हैं। करबला में यजीद के द्वारा इमाम हुसैन उनके परिवार और साथियों पर जुल्म करते हुए पानी पर भी पहरा लगाकर भूखे प्यासे रहने को मजबूर कर दिया था। दुनिया के आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद स.अ. के दीन इस्लाम को बचाने के लिए इमाम हुसैन उनके सहयोगी साथियों सहित परिवार के 72 लोग भूख और प्यास की शिद्दत में जंग करते हुए शहीद हुए थे। जंग करते हुए इमाम हुसैन की शहादत हुई और खलीफा यजीद के हजारों सैनिकों को परास्त होना पड़ा। इसीलिए आज के दिन तजियादारी के साथ जगह जगह लंगर और शरबत के भी इंतजाम किए जाते हैं। मुहर्रम का पर्व इस्लाम का एक प्रमुख धार्मिक मान्यताओं और आस्थाओं से जुड़ा हुआ है इस पर्व को गम के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।
मोहर्रम के दौरान मस्जिदों और घरों के आसपास महफिलें आयोजित की जाती हैं, जहां उलमा किराम इमाम हुसैन की कुर्बानियों पर तकरीर करते हैं। शहर में भी इस मौके पर चांदनी चौक, चांदमारी, इंदिरा नगर, मौदहापारा, बीड़पारा आदि स्थानों पर बाहर से आए उलमा किराम के द्वारा करबला के मैदान में इमाम हुसैन के द्वारा खलीफा यजीद खिलाफ हुई जंग को विस्तार से बताया गया।
आज मनाया जायेगा मुहर्रम का पर्व
