जन्मदिन पर विशेष
शतरंज की बिसात का एक प्यादा निरंतर आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य को हासिल कर वजीर बन जाता है शतरंज के खेल में एक राजा के बाद वजीर को सबसे अधिक शक्तियां हासिल होती है रायगढ़ में भाजपा की शतरंजी बिसात में अपनी राजनीति एक प्यादे के रूप में प्रारंभ करने वाले उमेश अग्रवाल को भी जिले में एक मंत्री के वजीर जैसी शक्तियां हासिल है। राजनीति में आने के पहले 90 के दशक में उमेश ने जीवन का पहला चुनाव लॉ कॉलेज अध्यक्ष का लड़ा था यह चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और जीत हासिल कर अध्यक्ष बने। भाजपा की राजनीति का यह वह दौर था जब पूर्व विधायक विजय अग्रवाल एवं स्वर्गीय रोशन लाल की राजनीति पूरे शबाब पर थी लेकिन भाजपा के पास जमीनी कार्यकताओं का अभाव था और रायगढ़ विधान सभा कांग्रेस के लिए अभेद गढ़ मानी जाती थी ऐसे कठिन समय में उमेश अग्रवाल ने भाजपा की राजनीति में कदम रखा और 1998 के दौरान स्वर्गीय रोशन लाल के प्रथम चुनाव में उन्होंने जमीनी प्रचार किया। ये वो दौर था जब उमेश अग्रवाल सायकल में प्रचार करने गांव गांव जाया करते थे। कांग्रेस के अजेय योद्धा के के गुप्ता को भले ही रोशन लाल हरा नहीं पाए लेकिन जीत का फासला 1800 मतों का रह गया यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए भविष्य में हार का संकेत भी रहा। 2000 के छग गठन के बाद उमेश अग्रवाल भाजपा के प्रवक्ता बने और 2003 में रायगढ़ विधान सभा में भाजपा की पहली जीत के गवाह बने। भाजपा की गुटीय राजनीती में फसने की बजाय उमेश अग्रवाल ने सकारात्मक राजनीति की राह चुनी। उमेश अग्रवाल की साकारात्मक राजनीति का यह परिणाम हुआ कि भाजपा कार्यालय के लिए जमीन तलाशने का काम शुरू हुआ उसमे सफलता मिली। भाजपा कार्यालय की ईमारत बनाए जाने के दौरान वे पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे उमेश अग्रवाल की ढाई दशकों की राजनीति का सबसे सुखद पहलू ये रहा कि उनका कार्यकाल बेदाग रहा। भाजपा कार्यालय की नींव से लेकर बहुमंजिला ईमारत उमेश अग्रवाल के कार्यकाल की स्वर्णिम उपलब्धियों में एक मानी जाती है। भाजपा की राजनीति में साल दर साल पॉलिटिकल प्रमोशन पाने वाले उमेश अग्रवाल कोषाध्यक्ष के बाद महामंत्री बनाए गए। महामंत्री पद पर रहते हुए उमेश अग्रवाल ने नशा मुक्ति हेतु जनजागरण अभियान की शुरुआत की इस अभियान दे जुड़े हजारों लोगों का हुजूम सडक़ में उतर कर आ गया इस अभियान ने उन्हें एक जन नेता के रूप में स्थापित किया।उनके निर्विवाद कार्यकाल को देखते हुए भाजपा ने उन्हें अध्यक्ष पद का दायित्व दिया उनके लिए यह कांटों भरा ताज था जिले में भाजपा का एक भी विधायक नहीं था और प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता थी नगर निगम में भी शहर सरकार कांग्रेस की थी ऐसी विकट स्थिति में उमेश अग्रवाल ने कार्यकताओं को एका के सूत्र में पिरोते हुए ओपी चौधरी के लिए चुनावी जमीन तैयार की। बतौर विपक्ष शानदार भूमिका का निर्वहन करने वाले उमेश अग्रवाल के खिलाफ अनेक मामले पंजीबद्ध हुए उनके राजनैतिक विरोधियों ने उन कर झूठा मामला दर्ज कराया पहली बार पूरी प्रदेश भाजपा उमेश अग्रवाल के पक्ष में ताकत से खड़े नजर आई और पार्टी ने थाने का घेराव तक किया। उमेश अग्रवाल की सटीक रणनीति का परिणाम रहा कि भाजपा ने पहली बार रायगढ़ विधान सभा में ऐतिहासिक मतों से जीत हासिल की। भाजपा की सरकार भी बनी। मंत्री ओपी चौधरी के वजीर के रूप में स्थापित उमेश अग्रवाल सत्ता की चकाचौंध से दूर रहना पसन्द करते है। पिता श्री पूनम चंद्र अग्रवाल और माता गायत्री के पुत्र उमेश अग्रवाल अपनी बेबाकी के लिए विख्यात है ।कांग्रेस के किले को ध्वस्त कर भगवा फहराने वाले उमेश अग्रवाल राजनीति के साथ सामाजिक, एवं व्यापारिक क्षेत्र में भी सफल है। ईमानदारी के साथ वर्षों तक मेहनत से ही उमेश अग्रवाल साधारण व्यक्ति से असाधारण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित हुए।। उमेश अग्रवाल की राजनीति का सबसे सुखद पहलू उनकी सकारात्मकता है जो अन्य नेताओं से विरला स्थापित करती है। राजनीति के सफर मे उन्हें हर मोड में चुनौतियां मिली लेकिन उन्होंने सकारात्मकता की राह नहीं छोड़ी। जिला भाजपा गुटबाजी की प्रेतबाधा से पीडि़त रही लेकिन उमेश अग्रवाल के करिश्माई नेतृत्व ने जिला भाजपा को गुटबाजी की प्रेतबाधा से मुक्त किया।
उमेश अग्रवाल के ऋ णी रहेंगे रायगढ़ वासी
ओपी चौधरी जैसे हीरे की खोज उमेश अग्रवाल की साकारात्मक सोच का सुखद परिणाम है। ओपी चौधरी के लिए चुनावी जमीन तैयार करने में उमेश अग्रवाल की भूमिका सराहनीय रही है ओपी के रायगढ़ आगमन से लेकर उनकी चुनावी रणनीति में उमेश अग्रवाल की भूमिका को विस्मृत नहीं किया जा सकता। रायगढ़ में हो रहे विकास कार्यों के लिए रायगढ़ वासी उमेश अग्रवाल के ऋणी रहेंगे।
नींव से दमकते कलश तक केशरिया ध्वज के उत्थान के सजग प्रहरी उमेश अग्रवाल
उमेश अग्रवाल के सबल नेतृत्व ने जिले में भाजपा को दी नई ऊंचाई , नशा-मुक्ति अभियान से तरुणाई को संवारा
