रायगढ़। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ की ग्राम पंचायत मुनुनद एक बार फिर भ्रष्टाचार के बड़े केंद्र के रूप में सामने आ रही है। इस बार मामला है पौधरोपण कार्यों में घोटाले का, जिसमें मनरेगा, वन विभाग और सेरीकल्चर रायगढ़ के माध्यम से कागजों पर लाखों पौधे रोपे गए, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है।
मनरेगा की रिपोर्टों के अनुसार, बीते तीन-चार वर्षों में लाखों पौधों की नर्सरी तैयार की गई और रोपण कार्य संपन्न हुआ। लेकिन जब पड़ताल की गई तो स्थानीय नर्सरी में महज 30-40 हजार पौधे ही नजर आए। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी पौधे कहाँ गए? और जिन पौधों के नाम पर लाखों का भुगतान किया गया, वे सिर्फ दस्तावेजों में ही मौजूद हैं।
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई पौधरोपण कार्यों के मस्टर रोल ही उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह संदेह और भी गहरा हो जाता है कि कार्य केवल कागजों पर ही किए गए। जब इस विषय पर पंचायत सचिव से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। वहीं, रोजगार सहायक ने भी जानकारी देने में असहयोग किया।
जब मामले की तह में जाने की कोशिश की गई तो वन विभाग सेरीकल्चर रायगढ़ के कार्य को भी अपना बताने का पप्रयास किया और जवाबदेही से बचने की कोशिश की। वहीं, मौके पर जब उद्यान रोपणी का निरीक्षण किया गया, तो वहां कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। स्थानीय ग्रामीणों के भरोसे चल रहा उद्यान रोपणी पौधों से ज्यादा भ्रष्टाचार रूपी पेड़ का हॉट स्पॉट नजर आने लगा है।
ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच ने भी स्वीकार किया कि वे विगत वर्षों में हुए कार्यों की जानकारी से अनभिज्ञ हैं, जो पंचायत व्यवस्था की बदहाली और लचर निगरानी प्रणाली को दर्शाता है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर अब राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के विभागीय मंत्रालयों में शिकायत करने की तैयारी की जा रही है। यह सिर्फ धन की बर्बादी नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और सरकारी योजनाओं के साथ विश्वासघात है।
छाल रेंज के मुनुंद में पौधरोपण घोटाला
मनरेगा योजनाओं में लाखों का भ्रष्टाचार उजागर, राज्य और केंद्र सरकार से शिकायत की तैयारी
