खरसिया। कहते हैं नेत्रदान से बड़ा कोई दान नहीं है संसार से आपके जाने के बाद कोई आपकी आंखों से ही सुंदर संसार को देखें यह आपके जीवन की और जीवन के बाद भी बहुत बड़ी उपलब्धि है इसी को सार्थक करते हुए बिल्हा निवासी सागरमल अग्रवाल नेक मिसाल पेश करते हुए अमर हो गए उनकी इच्छा अनुसार उनके नेत्र दान किए गए बताते चले की सागरमल जी का रविवार रात स्वगर्वास हो गया हँड्सग्रुप द्वारा नेत्रदान मुहिम से प्रेरित होकर घर वालों से उन्होंने नेत्रदान की इच्छा जतायी थी। उनके पुत्रों छेदी, गीगराज, महेश, सुरेश, दिनेश ने नेत्रदान हेतु हँड्सग्रुप से संपर्क किया। हँड्सग्रुप की टीम सिम्स से डॉ. अखिल गर्ग, डॉ. संजय चौधरी व टीम के साथ उनके निवास स्थान जाकर सफल नेत्रदान कराया। चल दिए चुपचाप जीवन का सफर पूरा करके, छोड़ गए यादें. संस्कार, हर दिल में घर करके। पर जाते-जाते भी कुछ ऐसा कर गए वो, अंधेरे में जी रहे किसी को उजाला दे गए वो। नेत्रदान कर दी एक आखिरी सौगात, कि जीवन तो खत्म हुआ, पर नहीं उनकी बात।
अब कोई देखेगा दुनिया उनकी आंखों से,
महकेगा जीवन किसी का. उनकी सांसों से।
प्रणाम है ऐसे जीवन को, ऐसी विदा को,
जो मौत में भी बुन दे, किसी के लिए दुआ को।
विनम्र श्रद्धांजलि