नई दिल्ली। संसद के स्पेशल सेशन के चौथे दिन राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) सर्वसम्मति से पास हो गया है। बिल के खिलाफ किसी ने वोट नहीं दिया। हाउस में मौजूद सभी 214 सांसदों ने बिल का समर्थन किया। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। यह बिल लोकसभा में कल (बुधवार को) पास हुआ था। प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। बिल पास होने के बाद राज्यसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद पीएम मोदी लोकसभा पहुंचे, वहां चंद्रयान 3 की सफलता पर चर्चा हो रही थी। चर्चा के बाद लोकसभा को भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया।
परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है। इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।
तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33त्न आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन क्क्र सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।