सारंगढ़। संजीवनी 108, 102 कर्मचारियों की मांगों व समस्याओं के निराकरण हेतु आवेदन, माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री एवं एंबुलेंस सेवा प्रदाता ठेका कंपनियों सहित स्वास्थ्य विभाग एवं शासन- प्रशासन के समक्ष विगत कई वर्षों से करते आ रहे हैं लेकिन हमारी समस्या का कोई निराकरण नहीं हो पा रहा है। इन समस्याओं के सकारात्मक पहल हेतु विगत 29 मई से 31 मई तक सभी कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर कार्य किया गया और
दिनांक-02 जून को तूता (नया रायपुर) में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन भी किया गया तथा 09 जून 23 को एक दिन का सामूहिक अवकाश लिया गया था। लेकिन हमारे मांगों के संदर्भ में ठेका कंपनियों और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज तक किसीभी प्रकार का कोई सकारात्मक पहल नहीं किया गया है। 2019 में 108 संजीवनी एक्सप्रेस और 108 एंबुलेंस सेवा का टेंडर जय अम्बे इमरजेंसी सर्विस रायपुर को दे दिया गया,जो कोल परिवहन का कार्य करती है। उक्त ठेका कंपनी पर गलत तथ्यों के आधार पर ठेका पाने का आरोप लगा था। मामला श्व.ह्र.ङ्ख. तक भी पहुंचा। स्वास्थ्य विभाग भी जांच में गलत तथ्यों की पुष्टि भी की गयी लेकिन आज पर्यंत तक उक्त ठेका कंपनी पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई। ठेका कंपनी पर जिम्मेदार लोगों का संरक्षण और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। जय अम्बे इमरजेंसी सर्विस ठेका कंपनी द्वारा न तो कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलता है और ना ही 2018 से 2023 तक वेतन वृद्धि का लाभ मिला है। कर्मचारियों से 12- 15 घंटे काम दिया जा रहा है और किसी भी प्रकार का अतिरिक्त राशि नहीं दिया जा रहा।
एंबुलेंस में जीवन रक्षक आवश्यक उपकरण, दवाइयां एवं ऑक्सीजन की भी व्यवस्था नहीं रहती। टेंडर में तो यहां तक उल्लेख है कि 2.5 लाख किलोमीटर से अधिक चल जाने पर नई एंबुलेंस सेवा का संचालन किया जाएगा लेकिन 2.5 लाख किलोमीटर से अधिक चलने के बाद भी एंबुलेंस सडक़ों पर दौड़ रही है। एंबुलेंस का निर्धारण 8 से 10 हजार किलोमीटर चलने पर भी सर्विसिंग नहीं होता 20-25 हजार किलोमीटर चलने पर सर्विसिंग कराया जाता है, जिससे एंबुलेंस समय पूर्व जर्जर हो जाती है। माना जा रहा है कि – छग में सभी जगह पर यही हाल देखने को मिल रही है जहां पर गाडिय़ों की हालत भी खस्ता हाल हो चुकी है। एंबुलेंस खराब होने पर कर्मचारियों से भी राशि वसूल की जाती है। कर्मचारियों को अकारण रायपुर बुलाकर परेशान किया जाता है। आपातकाल सेवा 102/108 कर्मचारियों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा हमारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया। 24म7 जान जोखिम में डालकर जीवन रक्षक स्वास्थ्य सेवा की तुलना व्यवसाय से और छत्तीसगढ़ की जनता की सेवा भाव से काम करने वाले हम कर्मचारियों की तुलना दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों से कर दिया, उक्त गैर जिम्मेदाराना बयान सेहम आहत हैं। इसी संदर्भ में संसदीय सचिव और रायपुर पश्चिम विधायक श्री विकास उपाध्याय से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराया गया लेकिन वहां से भी कोई समाधान नहीं मिला। अब हमारे पास आंदोलन में जाने के अतिरिक्त और कोई दूसरा विकल्प शेष नहीं है। समस्याओं का समाधान नहीं होने पर सभी कर्मचारी दिनांक -20 सितंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जा रहे हैं। आंदोलन के प्रथम चरण में दिनांक-21 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास घेराव प्रस्तावित है। छग में आपातकालीन 108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा और 102 महतारी एंबुलेंस सेवा बाधित होने की दशा में संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग एवं ठेका कंपनियों की होगी। साथी आपातकाल सेवा 108/102 कर्मचारियों का यह कहना है कि उन्हें ठेके पर न रखकर सीधा सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारी के रूप में मान्यता प्राप्त करवाई जाए और उनका कार्यकाल 60 वर्ष तक किया जाए और जो वेतनमान दो-तीन माह कार्य करा कर एक माह का वेतन दिया जाता है उसे हर माह के कार्य के आधार पर तुरंत दिया जाए अथवा हर माह उनका वेतन उन्हें समय पर मिलता रहे और वेतन वृद्धि का भी लाभ उन्हें बराबर मिलता रहे जो उनके लिए बाधित कर दिया जाता है और जो उनके कार्यों का समय 8 घंटे का होना चाहिए उसे 12 से 15 घंटे तक कराया जाता है जिस पर उन्हें अतिरिक्त काम करने पर वेतन वृद्धि भी नहीं किया जाता।
छ.ग. संजीवनी 108/102 कर्मचारी कल्याण संघ का धरना जारी
ऐन चुनाव के समय पूरे प्रदेश में आपातकाल सेवा बंद
