रायगढ़। विद्यार्थियों में शैक्षणिक गतिविधि के साथ-साथ साहित्यिक सांस्कृतिक एवं अन्य गतिविधियों के प्रति अभिरुचि जागृत कर उनके भीतर की कला प्रतिभा को उभारने एवं अध्ययन के प्रति अभिरुचि जागृत करने के उद्देश्य से जम्मू कश्मीर से पधारे रंगकर्मी लक्की गुप्ता द्वारा एकल अभिनीत नाटक ‘माँ मुझे टैगोर बना दे’ की प्रस्तुति विगत 22 जनवरी बुधवार को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तारापुर में किया गया जिसके संयोजक के रूप में रायगढ़ इप्टा के वरिष्ठ सदस्य रंगकर्मी रविन्द्र चौबे भी तारापुर विद्यालय पहुंचें। अभिनय प्रस्तुति के पूर्व श्री चौबे ने बताया कि लक्की गुप्ता एक उत्कृष्ठ रंगकर्मी है जो अब तक 1600 से अधिक बार इस नाटक का शो भारत देश के विभिन्न नगर व कस्बाई संस्थाओं सार्वजनिक स्थलों में प्रस्तुत कर चुके है रायगढ़ जिला के चक्रधर नगर हायर सेकण्डरी, साधुराम विद्यामंदिर के पश्चात तारापुर में यह उनका 1622 वाँ शो है। ना कोई स्टेज साजसज्जा, ना कोई विशेष स्थान और ना कोई लाईट माइक साउंड की व्यवस्था अपने नाटक की शुरुआत विद्यालय के खुले प्रांगण में विद्यार्थियों के बीच एक कुर्सी रखकर शुरू करते हैं लकी गुप्ता…! और यह नाट्य यात्रा अनवरत रूप से चलते हुए अपने अंतिम पड़ाव के पहुंचने तक दर्शकों को इस तरह बांधे रखती है कि कभी हंसते हुए कभी खिलखिलाते हुए विद्यार्थियों के चेहरे… तो कभी भाव के गहरे सागर में डुबोकर आंखों से आंसुओं की धार बहाते हुए उन्हे खामोश भी कर देती। विद्यार्थियों के बीच से ही किसी को अनायास उठाकर अपने नाटक का पात्र बना देना कहानी में उसे ढाल देना लक्की गुप्ता के अभिनय यात्रा नाट्य कला की विशेषता में शामिल था।
मां मुझे टैगोर बना दे नाटक जो कि एक मजदूर परिवार के विद्यार्थी की मनोदशा पर केंद्रित, कमाऊ पिता के आर्थिक विषमता के बावजूद बच्चे के शिक्षा के प्रति ललक उसके बाल सुलभ भावना के साथ विभिन्न परिस्थितियों में बदलते मनोदशा को अपने एकल अभिनय के माध्यम से लकी गुप्ता ने इतनी खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया कि विद्यार्थी नाटक से बंधे रहे खुद को जोड़े रहे और नाटक कब अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच गया यह आभास ही नहीं हुआ विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के भी चेहरे पर वही मनोभाव कभी हंसते खिलखिलाते तो कभी आंखों के कोर पर टपकती आंसू को पोछते हुए। यह लक्की गुप्ता के अभिनय का ही कमाल रहा कि अपनी प्रस्तुति के माध्यम से अलग-अलग परिस्थितियों को बहुत ही प्रभावी तरीके से दर्शकों के सामने प्रस्तुत करते हुए नाटक को सबके दिलों में प्रतिष्ठित कर दिया।
एक गरीब परिवार का बच्चा पढऩे का इच्छुक होने के बावजूद अपने पिता की कम आमदनी और आर्थिक विषमता में एक ठेकेदार के अधीन काम करने को विवश हो जाता है जहां उसके श्रम का शोषण होता है फिर भी वह हार न मानकर अपने संघर्ष की यात्रा को जारी रखते हुए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए अपने जीवन पथ पर बढ़ते जाता है विद्यालय में शिक्षक के सहयोग और प्रेरणा से वह अपने भीतर की कवित्व भाव रचनाशीलता और सृजनधर्मी व्यक्तिव को उभारने का प्रयास करता है अंत में परिस्थितियों का चित्रण जिसमें दीवार ढहने से घायल पिता के इलाज और अस्पताल तक ले जाने की प्रति लोगों की उदासीन भाव का चित्रण एकल अभिनय के माध्यम से इस तरह प्रस्तुत किया गया कि घटना मन मस्तिष्क पर जीवंत हो उठा…। नाटक की समाप्ति पर तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य भोजराम पटेल ने आभार व्यक्त करते हुए कलाकार लक्की गुप्ता के अभिनय कला का सम्मान किया एवं उनके साथ आए वरिष्ठ रंगकर्मी रविन्द्र चौबे का भी मेडल पहनाकर विशेष सम्मान किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षक शिक्षिकाओं की भी विशिष्ट उपस्थिति रही।
रायगढ़ के इन स्कूलों में भी किया गया अभिनय
लक्की गुप्ता के प्ले ‘माँ मुझे टैगोर बना दे’ का शो रायगढ़ के जिन संस्थाओं मे किया गया उनमें 20.01.25 को भवानी शंकर षडंगी स्कूल एवं चक्रधरनगर हायर सेकेण्डरी स्कूल,दिनांक 21.01.25 को आई.टी.आई. रायगढ़ व अनाथालय स्कूल, दिनांक 22.01.25 को साधुराम विद्या मंदिर एवं शास. हायर सेकेण्डरी स्कूल तारापुर का विद्यालय शामिल है।
‘मां मुझे टैगोर बना दे’ नाट्य प्रस्तुति ने विद्यार्थियों को किया भाव विभोर
जम्मु कश्मीर के कलाकार लक्की गुप्ता की तारापुर विद्यालय में एकल अभिनय सम्पन्न
