सरसीवां। गाताडीह नारबंद बीती रात हाथियों के दल ने जंगल से लगे किसान किरीत राम बरिहा के खेत में धान के फसलों पर जमकर उत्पात मचाते हुए तहस नहस कर डाला। ग्राम भडिसार भकुर्रा गंजाईभवना के जंगलों से हाथियों का दल हरदी वन परिक्षेत्र पहुंचा है, जहां हाथियों का दल रात में जंगल से किसानों के खेतों में धान के फसलों को पैरों से रौंद कर नुकसान पहुंचा रहे है। सुबह हाथियों का दल वापस भडिसार, भकुर्रा, गंजाईभवना जंगल की ओर चले गये, नारबंद गांव में रहने वाले किसान किरीत राम बरिहा ने आये हाथियों द्वारा धान के फसलों को नुक़सान करने के बारे में जानकारी देते बताया कि – मेरा खेत जंगल के समीप है, हाथियों का झुंड हरदी के जंगलों से विचरण कर जंगल से लगे खेत में उत्पात मचाते है। हरदी वन जंगल में हाथियों ने लगभग 14 से 15 दिनों तक जंगल में विचरण कर वापस गंजाईभावना जंगल चलें गये। हाथियों द्वारा रौंदे धान के फसलों को देखकर किसान किरीत राम बरिहा की आंखें भर आई जहां किसान अपने आंखों से निकलने वाले आंसू को रोक नहीं पाया।
वहीं नारबंद वन परिक्षेत्र के रहने वाले किसानो ने गाताडीह वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर किसानों के खेतों में आने वाले हाथियों के रोकथाम करने का उपाय नहीं कर पा रहे हैं। वहीं डिप्टी रेंजर द्वारा वन परिक्षेत्र के लगे जंगल के गांवों में हाथी आने की जानकारी नहीं दी जाती है न ही जंगल से लगे गांवों में मुनादी कराई जाती है। जबकि हरदी वन परिक्षेत्र में हमेशा हाथियों का आना-जाना रहता है और किसानों द्वारा खेतो में लगाए गए धान के कितने एकड़ धान को बर्बाद कर नुकसान पहुंचाया है ना फसलो के नुकसान का सही समय पर किसानों को मुआवजा मिला है। वहीं वन विभाग द्वारा हाथियों द्वारा खेतो के धानों के नुकसान होने पर प्रति एकड़ 9 हजार आंकलन के हिसाब से दिया जाता है। जंगली क्षेत्र होने के कारण किसान साल में एक ही बार धान का उपज करते हैं। उसको भी हाथी के बार बार रौंद कर नुकसान पहुंचा रहा हैं।
धान के फसलों पर हाथियों का उत्पात
