सारंगढ़-बिलाईगढ़। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के कार्यक्रम आज मनाया जायेगा। वैसे तो प्रतिवर्ष अगस्त एवं फरवरी में इन दो दिवस को कृमि मुक्ति दिवस के रूप में मनाते है, जिसमें 1 वर्ष से 19 वर्ष के सभी बच्चो को कृमि मुक्ति के लिए अल्बेंडेजोल की दवाई खिलाई जाती है। वर्ष में दो गोली खा लेने पर शरीर से कृमि की नाश हो जाती है। यह दवाई आज 29 अगस्त को खिलाई जायेगी जो बच्चे किसी कारण वश 29 अगस्त को कृमि नाशक गोली नहीं खा पाएंगे। उन्हें 4 सितंबर को यह गोली खिलाई जायेगी। इन तिथियों में जिले के सभी आगनवाड़ी केन्द्र, शासकीय एवं गैर शासकीय विद्यालय, अनुदान प्राप्त शाला, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, मदरसा, निजी स्कूल, महाविद्यालय, तकनीकी शिक्षा संस्थान, नर्सरी स्कूलों में अध्ययनरत 1 से 19 वर्ष के बच्चों की कृमि नाशक गोली खिलाई जायेगी। जिन बच्चों को 29 अगस्त को गोली किन्ही कारणों से दवाई नही खिला पाएंगे। उन्हे 29 सितम्बर को माप अप राउंड के रूप में गोली खिलाएंगे। बच्चों को कृमिनाशक गोली क्यों खिलाना जरूरी है। बच्चों में स्वास्थ्य एवं पोषण का स्तर सुधारने, बच्चों में रक्त अल्पता (एनीमिया ) की रोकथाम के लिए, बच्चो में बौद्धिक विकास के लिए, बच्चो की शारीरिक विकास के लिए, बच्चों में मानसिक विकास के लिए तथा शालाओं में बच्चों की उपस्थिति सुधार के लिए जरूरी है। ऐसे बच्चों की संख्या जिले में 2 लाख 40 हजार के संख्या में है जिन्हें कृमि नाशक गोली खिलाई जानी है।
कृमिनाशक गोली कब, कहां, कैसे और कौन खिलाएगा। इसके लिए 1 से 2 वर्ष के बच्चे को आधी गोली पीसकर पानी के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केन्द्रों में दवाई खिलाएंगे, 2 से 3 वर्ष के बच्चे को भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अपने संस्था में एक पूरी गोली को चुरा करके पानी के साथ खिलाएंगे, 3 से 5 वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्रों में उनके कार्यकर्ताओ के द्वारा एक पूरी गोली को चबाकर खिलाई जायेगी तथा 5 से 19 वर्ष के बच्चों को पूरी एक गोली चबाकर खाने दिया जाएगा, जिसे स्कूल के नोडल शिक्षक या प्रभारी शिक्षक के द्वारा स्कूल में खिलाई जायेगी, जो बच्चे स्कूल में उपस्थित नहीं रहेंगे। 29 तारीख को उनका चिन्हांकन करके 4 सितंबर को माप अप राउंड के रूप में उन्ही स्थान गोली खिलाई जायेगी। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति की इस अभियान में अन्तर्विभागीय समन्वय की जरूरत होती है जिसमे मुख्य रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवम बाल विकास विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान, नेहरू युवा केन्द्र, राष्ट्रीय सेवा योजना, तथा अन्य सहयोगी संस्थाएं आपस में समन्वय करके अभियान चलाते हंै। मितानिन द्वारा स्कूल न जाने वाले बच्चों की सूची बनाकर आंगनवाडी केन्द्रों में दवाईयांं खिलाने की व्यवस्था करेंगे। सभी विभाग की भूमिका निर्धारित की गई है। स्वास्थ्य विभाग से समन्वय करके दवाईयां खिलानी तथा दवाई खिलाने के दौरान तथा उसके बाद किसी भी प्रकार की विपरीत प्रभाव होंगे। उसका प्रोटोकाल के हिसाब से उपचार प्रबंधन करना है एवम इसकी रिपोर्टिंग भी करना है। सहयोगी विभाग भी कार्यक्रमों की सुपरविजन एवम मॉनिटरिंग में सहयोग करेंगे तथा उनके द्वारा खिलाए गए दवाइयों की रिपोर्ट भी निर्धारित प्रपत्र में देंगे। सभी विद्यालय जरूरी समझे तो एक पालक टीचर बैठक कर पालकों को भी जोड़ सकते हैं। पालक संतुष्ट रहेगा तो कृमिनाशक गोली खिलाने में आसान होगी। इससे गोली खाने की ग्रह्यिता बढ़ेगी, जिससे अंतिम फायदा बच्चो को ही होगा। जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप, माइकिंग, दीवाल लेखन, फेसबुक, समूह चर्चा, संगोष्ठी, स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता, आदि के माध्यम से किया जाना है। पालकों की सहमति होने से कार्यक्रम की ग्रह्यता बढ़ती है। अंतत: फायदा बच्चों को होता है दवाई खिलाने के पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक दवाई की एक्सपायरी डेट, दवाई की स्थिति देखकर रजिस्टर में नोट करके ही खिलाना प्रारम्भ करेंगे। कोई बच्चा गम्भीर रूप से बीमार है उन्हे यह दवाई न खिलाई जाय। एक वर्ष के छोटे बच्चों को भी दवाई नही खिलाने है तथा दवाई किसी भी स्थिति में घर ले जाने के लिए न दी जाए विपरीत प्रतिक्रिया होने पर उचित प्रबंधन के लिए नचदीकी अस्पताल या चिकित्सकों के टेलीफोन नम्बर रखे जाए। साथ ही एंबुलेंस 108 की नम्बर भी, चिकित्सकीय परामर्श के लिए हेल्पलाइन नम्बर 104 पर भी कॉल किया जा सकता है।
जिले में आज मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
