धरमजयगढ़। कहते हैं कि पानी हमेशा ऊपर से नीचे की ओर ही बहता है। लेकिन जनहित को लेकर दायर एक आरटीआई से जुड़े वर्तमान एक मामले में जिस तरह की स्थिति सामने आ रही है वह उक्त वाक्य को झुठलाते हुए यह बता रही है कि पानी नीचे से ऊपर बह रहा है। प्रकृति के कुछेक अपवादों को छोडक़र यह मामला अद्भुद, आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय है। आश्चर्य यह है कि यह मामला मिनी रत्न दर्जा प्राप्त रायगढ़ जिले के एसईसीएल प्रबंधन से संबंधित है।
रायगढ़ जिले के छाल एसईसीएल के विस्तार परियोजना से जुड़ी एक जानकारी आरटीआई से मांगे जाने पर एसईसीएल के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की ओर से प्रार्थी को जो जवाब दिया गया है वह छाल एसईसीएल के सब एरिया मैनेजर की जानबूझकर की जा रही जबरदस्त विभागीय मनमानी को दर्शाता है। इसके अलावा इस मामले में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी छाल एसईसीएल प्रबंधन के मुखिया की मनमाने ढंग से किए जा रहे कार्यालयीन गतिविधि के सामने असहाय से नजऱ आ रहे हैं। आरटीआई के वर्तमान एक केस के मामले में एसईसीएल प्रबंधन की कार्यालयीन गतिविधि जनहित से जुड़े सूचना तक आसन पहुंच को बाधित किए जाने का एक नकारात्मक और संगठित प्रयास प्रतीत होता है।
दरअसल छाल एसईसीएल के विस्तार योजना को लेकर आरटीआई के तहत आवेदक द्वारा चाही गई एक जानकारी के संबंध में रायगढ़ एसईसीएल के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने जो जवाब दिया है वह अपने आप में अद्वितीय है। केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने पत्र में कहा है कि इस मामले में जानकारी उपलब्ध कराए जाने को लेकर छाल एसईसीएल प्रबंधन के सब एरिया मैनेजर को कई बार अनुस्मरण पत्र लिखा गया है। लेकिन छाल उप क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा अब तक कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जवाबी पत्र में लिखा गया है कि छाल एसईसीएल के सब एरिया मैनेजर द्वारा जानकारी उपलब्ध कराए जाने पर आवेदक को संबंधित जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी।
केंद्रीय अधिकारी की बेबसी और अधीनस्थ की मनमानी
इस प्रकरण में एसईसीएल प्रबंधन की कार्यशैली न सिर्फ आरटीआई एक्ट के प्रावधान का स्पष्ट उल्लंधन है बल्कि यह मामला बताता है कि प्रोजेक्ट को लेकर बड़े खुलासे के भय से जानकारी उपलब्ध कराए जाने को लेकर केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी के बार बार ऑफिशियल पत्राचार को भी छाल सब एरिया मैनेजर बदतर तरीके से नजरंदाज करने का अदम्य साहस दिखा रहे हैं। यह अस्पष्ट है कि क्षेत्रीय एसईसीएल मैनेजर इतना अधिक साहस कहां से जुटा रहे हैं। वहीं , केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की मजबूरी भी चिंताजनक और सहानुभूति पूर्ण है क्योंकि उनके अधीनस्थ अधिकारी कई बार पत्र लिखे जाने के बाद भी मौन धारण किए हुए हैं।
केंद्रीय अधिकारी के पत्रों को धता बता रहे एसईसीएल सब एरिया मैनेजर
लगातार पत्राचार के बाद भी साधा मौन, जनहित की जानकारी छिपाने का प्रयास
