रायगढ़। विगत 15 दिनों से शहर के कमला नेहरू पार्क में लगे दोनों बोर खराब हो चुका है, लेकिन इसे सुधार कराने न तो नगर निगम ध्यान दे रही है और न ही जिंदल कंपनी, जिसका खामियाजा यहां वाकिंग करने वाले आने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही जब से बोर खराब हुआ है तब से यहां लोगों के पीने के लिए रखे गए मटका भी सूखा पड़ा हुआ है। जिसके चलते यहां लोग गर्मी राहत पाने के लिए पहुंचते, लेकिन दिक्कत होने के कारण कुछ ही देर रूकने के बाद वापस चले जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शहरवासियों को राहत पहुंचाने के लिए शहर में कई जगह जिला प्रशासन द्वारा उद्यान तैयार किया गया है, जहां लोग सुबह-शाम पहुंचकर बैठते हैं और वाकिंग करते हैं, लेकिन इन उद्योनों का देख-रेख नहीं होने के कारण इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। हालांकि इसके बाद भी हर दिन सुबह-शाम बच्चों से लेकर महिलाएं, बुजुर्ग व युवा वर्ग पहुंच रहे हैं, लेकिन इस भीषण गर्मी में पीने तक के पानी उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण ुकुछ ही देर में लोग यहां से जाने को मजबूर हो रहे हैं। हालांकि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी है, लेकिन उनके द्वारा भी ध्यान नहीं दिए जाने के कारण लोगों का मोह भंग हो रहा है। ऐसे में शहर के सबसे बड़े उद्यान कमला नेहरु पार्क को जब तैयार किया गया था तब यहां दो बोर लगाया गया था, ताकि दोनों बोर चलने से यहां पर लगे पेड़ पौधों के साथ यहां आने वाले लेागों को भी स्वच्छ पानी उपलब्ध होगा, लेकिन इन दिनों जिले में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते शहर के ज्यादातर बोर फेल होने लगा है, जिससे कई जगह निगम के फिल्टर प्लांट से पानी की सप्लाइ जो रही है, लेकिन वहीं कमला नेहरू पार्क में लगे दोनों बोर विगत 15 दिनों से बंद पड़ा हुआ है, जिसकी सूचना भी निगम को दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी आज पर्यंत तक इस बोर की मरमम्त नहीं हो सकी है। जिसके चलते यहां आने वाले लोग तो पानी के लिए परेशान हो रही है, साथ ही यहां पर लगे पेड़ पौधों को भी पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते पौधें सुखने लगे हैं। ऐसे में अगर और कुछ दिनों तक सुधार नहीं हुआ तो शहरवासियों को सूखे पेड़-पौधे के बीच वाकिंग करने की मजबूरी बन जाएगी।
रखे गए मटकों के सूखे कंठ

विगत दिनों जब से जिले में तेज गर्मी शुरू हुई है, उस समय शहर के समाजसेवी संस्था द्वारा कमला नेहरू पार्क में लोगों को पानी पीने के लिए 10-12 मटका रखा गया है, जिसमें पूर्व में सभी मटको को सुबह-शाम भरा जाता था, जिससे यहां आने वाले बच्चे-बड़े इस शीतल जल का उपयोग करते थे। लेकिन गर्मी बढऩे के साथ अब इन मटकों के भी विगत कई दिनों से कंठ सुखा पड़ा है, जिससे लोग पानी के लालच में उन मटकों तक तो जाते हैं, लेकिन पानी नहीं होने से निराश होकर लौटना पड़ रहा है। इसके साथ ही इस पार्क में वाटर कूलर भी लगाया गया है, लेकिन इन दिनों वाटर कूलर भी सूख चुका है। जिससे लोगों गार्डन आने के बाद बोतल का पानी खरीदने की मजबूरी बन चुकी है।
फौब्बारे भी पड़े हैं बंद

पूर्व में जब शहरवासी गार्डन पहुंचते थे तो यहां लगे फब्बारे चलने से बेहद राहत मिलती थी, लेकिन पानी की कमी के चलते ये फब्बारे भी बंद पड़ा है। यहां दो-तीन फब्बारे के लिए टंकी बनी हुई है, साथ ही एक तरफ पहाड़ नूमा भी बनाया गया है, जहां हमेशा झरने की तरह पानी गिरता है, लेकिन ये सभी फब्बारे बंद होने के कारण गार्डन आने पर भी गर्मी से राहत नहीं मिल रही है।
शौचालयों की हालत बद्दतर

कमला नेहरू पार्क आने वाले महिला-पुरुषों के लिए नगर निगम द्वारा शौचालय तो बनाया गय है, लेकिन इन शौचालयों को विगत माह भर से साफ-सफाई ही नहीं हुआ है, जिसके चलते इन दिनों अगर किसी को जाना पड़ता है तो काफी मुश्किल होता है। ऐसे में या तो घर जाना पड़ता है या शहर बने शुलभ शौचालयों में जाना पड़ता है। जिसको लेकर लोगों में आक्रोश भी देखा रहा है।
क्या कहते हैं लोग
इस संबंध में मार्निग वाक करने आए लोगों से बात की गई तो उनका कहना था कि विगत 15 दिनों बोर खराब होने के कारण पीने के पानी की लिए समस्या तो हो ही रही है, साथ ही यहां पर लगे पेड़ पौधे भी सुखने लगे हैं। ऐसे में लोग यहां की हरियाली देखने के लिए ही सुबह-शाम पहुंचते हैं, ताकि वार्किंग के साथ ठंडी व स्वस्थ हवा भी मिले, लेकिन अब पौधे ही सुखने लगे हैं तो क्या राहत मिलेगी। साथ ही पानी के अभाव के चलते वाकिंग करना भी मुश्किल हो रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में नगर निगम के जल प्रभारी सूरज देवांगन से बात की गई तो उनका कहना था कि एक बोर खराब है, दूसरे का जल स्तर नीचे चला गया है, जिससे हमारे द्वारा पाईप डालकर प्रयास किया गया है, जिससे थोड़ा थोड़ा पानी आ रहा है। ऐसे में अब जिंदल प्रबंधन को पत्राचार किया गया है। जिससे यह आश्वासन मिला है कि एक-दो दिन में यहां नया बोर कराया जाएगा। वहीं बोर होने के बाद पानी की समस्या खत्म हो जाएगी। जहां तक पीने की पानी का सवाल है तो मटकों में हर दिन पानी भरवाया जा रहा है।



