धरमजयगढ़। एक्स चिकितसा अधिकारी सीएचसी विजय नगर धरमजयगढ़ डॉ खुर्शीद खान ने बतलाया की अकस्मात् आये मौसमी परिवर्तन के कारण भीसन गर्मी पडऩे के कारण जहरीले जीव अपने बिलो से बाहर निकल रहे है पिछले कुछ दिनों में सर्पदंश के मरीज उपचार हेतु सिविल अस्पताल धरमजयगढ़ में आ रहे है लोगो का वैज्ञानिक चिकित्सकीय उपचार के सकारात्मक परिणाम फलस्वरूप उपचार के प्रति विश्वास बढ़ा है जहरीले सर्प एवं अन्य विषैले जीव जन्तुओ के दंश पीडि़त मरीज जो अब तक उपचार न कराकर झाड़ फुक ,तंत्र मन्त्र जैसे अवैज्ञानिक एवं अप्रमाणिक पारंपरिक विधाओ पर विश्वास कर नकारात्मक परिणाम मिलने के कारण अब अंधविश्वास से लोग दूर होते जा रहे है यही कारण है की पिछले दिनों से लोगो का चिकित्सकिय उपचार के प्रति विश्वास बढ़ा है।
सर्प दंश के सम्बन्ध में क्या कहते है चिकित्सक
विश्व में मिलने वाले ज्यादातर सर्पो के प्रजाति में लगभग 2त्न ही जहरीले एवं उपचार न कराये जाने पर ही जानलेवा होते है शेष सर्प विषैले नहीं होते जहाँ तक सर्प दंश में झाड़ फुक व् तंत्र मन्त्र का सवाल है तो तंत्र मन्त्र में या झाड़ फुक करने वाले की प्रसिद्धि का कारण काटे गए सर्प का विषैला नहीं होना, विषेला होना किन्तु सर्प का न काटा जाना, जहरीले सर्प के काटे जाने पर घातक मात्रा में जहर का न छोड़ा जाना तथा उनके एवं उनके अनभिज्ञ प्रचारको द्वारा गलत प्रचार प्रसार करना चुकी ज्यादातर सर्पदंश से पीडि़त लोगो की मृत्यु सर्प के काटे जाने से नहीं अपितु भय, दहशत एवं शीघ्रताशीघ्र तात्कालिक उपचार न कराये जाने के कारण होती है।
शर्प दंश से बचाव के तरीके
1- लोग ज्यादातर अंधेरे में बिना प्रकाश व्यवस्था के न निकले
2- रात्रि में जमीन पर न सोये
3- पुरे आस्तीन के कपडे पहने
4- घर के आस पास साफ़ सफाई रखे
5- घरेलु नालियो एवं दरवाजे खिडक़ी में जाली का प्रयोग करे ताकि सर्प घर के भीतर न आ सके।
क्यों होती है सर्पदंश से मौत
दिन की अपेक्षा रात्रि में गहरी नींद में सर्प के काटने से तथा अंग विशेष हिस्से में सर्प दंश में जहर तीव्र गति से फैलता है और यदि सर्पदंश के मरीज को परिजन चिकित्सकीय उपचार छोड़ झाड़ फुक तंत्र मन्त्र में समय व्यतीत कर तत्काल उपचार नहीं करवाते ऐसी परिस्थितियों में शरीर के सभी महत्तवपूर्ण जैविक अंग /तंत्र जहर के कारण शिथिल होते जाते है तथा कार्य करना बंद कर देते है ऐसे मरीजो को आकस्मिक उपचार एवं वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है जिसकी सुविधा ग्रामीण अंचलो के अस्पतालों में वर्तमान में संभव नहीं है अर्थात यथासंभव जहरीले सर्पदंश के मरीजो को जितनी जल्दी हो सके प्राथमिक उपचार उपरान्त समीपस्थ स्वास्थय केन्द्रो में आगे का उपचार करवाये ताकि उनकी जान बचाई जा सके।