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Reading: मानव जीवन के बदलाव की पाठशाला है अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा
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NavinKadam > रायगढ़ > मानव जीवन के बदलाव की पाठशाला है अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा
रायगढ़

मानव जीवन के बदलाव की पाठशाला है अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा

पीडि़त मानव सेवा के लिए समर्पित पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम का जीवन, 32 बरस से जल रही मानव सेवा की अखंड ज्योत, राष्ट्र निर्माण में ट्रस्ट की अहम भूमिका, पीडि़त मानव सेवा हेतु समर्पित पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम का जीवन

lochan Gupta
Last updated: July 31, 2025 1:14 pm
By lochan Gupta July 31, 2025
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25 Min Read

रायगढ़। आज के ही दिन पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम के अनन्य प्रिय शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम जी ने रायगढ़ पूर्वांचल के ग्राम बनोरा में चौदह सूत्रीय उद्देश्यों को लेकर पीडि़त मानव की सेवा हेतु नन्हा बीज रोपा था वह तीन दशकों में वट वृक्ष बन गया बल्कि इस विशाल वट वृक्ष की शाखाएं छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण, डभरा, चिरमिरी, अंबिकापुर सहित अन्य प्रांत उत्तरप्रदेश के रेणुकोट, बिहार के कैमुर जिले के जिगना, झारखण्ड के आदर एवं रांची तक विस्तारित हो गई है। आश्रम की सभी शाखाओ में पीडि़त मानव सेवा का कार्य अनवरत जारी है। ट्रस्ट स्थापना के मूलभूत उद्देश्यों को सार्थक बना रहा है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा प्रदेशवासियों के लिए अनमोल धरोहर बन गया है। अंचल के लिए सबसे बड़ी आध्यात्मिक पाठशाला में पीडि़त मानव की सेवा के साथ-साथ आम जनमानस के जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने एवम मनुष्य को मोक्ष की राह बताने का कार्य भी बखूबी से किया जा रहा है। संस्था मानव मात्र के अंदर मौजूद अदभुत शक्ति को जगाने व शक्ति का समाज हित मे उपयोग में लाने की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है।अविभाजित मध्यप्रदेश में अघोर पंथ का बीजारोपण करने वाले वाले महान संत पूज्य अघोरेश्वर के शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम जी ने अघोर पंथ की पावन परंपरा का विस्तार किया। बनोरा आश्रम की अध्यात्मिक शिक्षा ने मानव समाज को यह बताया कि समस्याओ का समाधान बाहर नही है अपितु मानव के मन मस्तिष्क के अंदर मौजूद है। यह संस्था मानव जीवन के आस्था और विश्वास के महत्व को परिभाषित करने में सफल रही है। अंतिम पंक्ति में खड़े साधन विहीन लोगों को जीवन की मूलभूत आवश्यकता चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने की योजना ट्रस्ट के अहम उद्दश्यों में शामिल है। राजनीति हो या समाज अघोरपंथ के नैतिक मूल्यों को अपनाते हुये सभी राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज करा रहे है। वनांचल में स्थापित इस आश्रम ने एक आदमी को राष्ट्र निर्माण में मददगार भूमिका निभाने के लिए तैयार किया। मोह माया के दल दल में फंसे मानव समाज को इस ट्रस्ट ने बखूबी से निकाला। त्रिकालदर्शी अघोरेश्वर महाप्रभु ने सबल राष्ट्र की कल्पना को साकार करने के लिए चित्र निर्माण की बजाय चरित्र निर्माण को महत्व दिया।ऐसी पाठशाला जहां चरित्र निर्माण आसानी से हो जाए। सही मायने में बनोरा आश्रम मानव जाति के लिये ऐसे चरित्र की पाठशाला है जहां से मनुष्य स्वयं को सहजता से बदल सकता है। महाप्रभु अघोरेश्वर की मंशा अनुरूप बनोरा की मौजूदा व्यवस्थायें स्वत: ही राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। अघोरश्वर महाप्रभु ने श्मशान से समाज की ओर अवधारणा का श्रीगणेश तो कर दिया लेकिन इस दिशा में बहुत सारे कार्य किये जाने शेष थे। अघोरेश्वर के प्रियतम शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम अघोरेश्वर के शेष अधूरे कार्यो को बखूबी से पूरा कर रहे है। बनोरा ट्रस्ट का पत्ता पत्ता समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े साधन विहीन बेबश बेसहारा लोगो को शीतल छाया का अहसास करा रहा है। सम्पन्न समाज का बड़ा तबका संस्था द्वारा बताए गए मार्ग का अनुशरण कर रहा है। साथ ही समाज के संपन्न वर्ग को जीवन के उद्देश्य कला और संस्कारों के महत्व का भी अनवरत बोध करा रहा है। गरीब व अमीर के मध्य वैमनस्यता की खाई बढ़ रही है। विवश लोगों के आंसू पोछने के साधन इस विकसित अर्थव्यवस्था में कम ही है। अघोर गुरूपीठ ट्रस्ट बनोरा साधन विहिन लोगों को नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों के जरिए अनवरत् चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में सफल रहा। आधुनिक मनोवृत्तियों से घिरा मानव बुराईयों की चक्रव्यूह में फंस गया है। संस्कारों की कमी से सामाजिक चेतना शून्य हो चली है। बढ़ती नशाखोरी समाज की जड़ो को खोखला कर रही है। व्यवसायिक शिक्षा परेशानियों का मुख्य कारण है। ऐसी विषम परिस्थितियों में आश्रम से परम पूज्य प्रियदर्शी राम के निरंतर आर्शीवाचन समाज को दिशा दिखाने में पथ-प्रदर्शक साबित हो रहे है। जिन उद्देश्यों को लेकर इस ट्रस्ट की स्थापना की गई इस ट्रस्ट ने आशातीत सफलता पाई है।

अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की स्थापना के उद्देश्य

राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए मानव मात्र को भाई समझना, नारी के लिए मातृभाव रखना,बालक-बालिकाओं के बहुमुखी विकास के लिए शिक्षोन्मुखी वातावरण निर्मित करना, असहाय व उपेक्षित लोगों की सेवा तथा उनके लिए समाज में मर्यादित भाव जागृत करना, अंधविश्वास, नशाखोरी, तिलक-दहेज, के उन्मूलन हेतु सफल प्रयास करना, मानव धर्म की मूल भावनाओं के विचार विनिमय के लिए मंच प्रदान करना इस संस्था के मूल उद्देश्यों के शामिल है। जिन्हें पूरा करने हेतु विभिन्न गतिविधियां निरंतर संचालित है।

शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय भूमिका

रायगढ़ में ट्रस्ट की स्थापना के बाद 1994 के दौरान जशपुर जिले के मनोरा में अघोरेश्वर भगवान राम की स्मृति में स्कूल की स्थापना की गई । रायगढ़ की मुख्य शाखा के सामने उत्तर दिशा में स्वतंत्र भू-खण्ड में अघोरेश्वर भगवान राम विद्या मंदिर का निर्माण कराया गया जहां शौचालय, खेल मैदान, पेयजल व्यवस्था, स्नानागार की सुविधा, शिक्षकों के लिए शिक्षक सदन, प्रधानाध्यापक के लिए स्वतंत्र कक्ष, लिपिक कक्ष, स्टोर रूम, सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं विद्यालय परिसर में मौजूद है। राज्य शासन द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति के अतिरिक्त दोनों ही विद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु अघोरेश्वर भगवान राम शिक्षण समिति द्वारा स्व. लक्ष्मण शुक्ल मेघा छात्रावृत्ति प्रदाय की जाती है। कन्या प्रोत्साहन छात्रवृत्ति भी शिक्षण समिति प्रदान करती है। नब्बे के दशक के बाद मार्च 2025 तक 951 निर्धन छात्र नि:शुल्क शिक्षा से लाभान्वित हुए 414 छात्रों को नि:शुल्क गणवेश शिक्षण सामग्री वितरित की गई। 163 छात्र 171 छात्राओं सहित कुल 334 विद्यार्थियों को छात्रवृति प्रदान की है। दूर सुदर के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए एक बस की व्यवस्था भी है। शिक्षण व्यवस्था के लिए विद्यालय शिक्षण समिति गठित की गई है जो समय समय पर शिक्षा से जुड़े पहलुओं पर नजर रखती है। यह शिक्षण समिति साक्षरता विकास कार्य के अलावा पर्यावरण रक्षा के लिए भारतीय संस्कृति पर आधारित अनुसंधान का कार्य भी करती है। आश्रम द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई स्थानों पर नियमित स्कूलों का संचालन किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में अधिक बालक-बालिकायें साक्षर बने। निर्धन छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। कक्षा दसवीं एवं बारहवीं में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों एवं कैरियर के संबंध में उचित मर्दशन हेतु 45 दिवसीय ग्रीष्मकालीन नि:शुल्क कोचिंग की शुरुआत की गई है। अब तक 292 विद्यार्थी इस कोचिंग से लाभान्वित हो चुके है। विद्यालय के आश्रमवासी छात्रों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक छात्रावास का निर्माण भी कराया गया है। छात्रावास में एक विशाल बरामदा है। एक कक्ष में दस छात्र सहजता से रह सकते है। छात्र-संख्या अधिक होनें पर भी छात्र अनुशासन की डोर से बंधे होते है।
घासीदास अमृतलाल एवं नंदलाल द्वारा दान दी गई जमीन पर हुआ ट्रस्ट का निर्माण
सदैव हरियाली से आच्छादित रहने वाले इस अघोर गुरूपीठ का निर्माण घासीदास अमृतलाल एवं नंदलाल के द्वारा दान स्वरूप दी गई साढ़े तीन एकड़ जमीन में किया गया है। दान को परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संस्था हर वर्ष परिवार जनों का आभार व्यक्त करती है।

अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की बनावट

परम पूज्य प्रियदर्शी बाबा का नवनिर्मित कक्ष आगंतुकों को आकर्षित किए बिना नहीं रहता। इस निवास कक्ष में ही शिष्यो को अपने गुरू दर्शन का लाभ मिलता है। श्रद्धालुओं, भक्तों की व्यथा बड़े ही मनोयोग से सुनी जाती है और उनके निराकरण कर हर संभव आध्यात्मिक उपाय बताया जाता है। इस निवास के अग्र भाग में हरी घास से अच्छादित दो सुंदर क्यारियां एवं हरे घास का मैदान है जिनमें हमेशा रंग-बिरंगे फूलों की छटा सदैव बिखरी होती है। आश्रम का चप्पा-चप्पा हरियाली से आच्छादित है। शहरों में जिस हरियाली को देखने आंखे तरसती है जबकि इस आश्रम में जिधर नजर जाती है उधर हरियाली मन को प्रसन्न किए बिना नही रहती।
मुख्य द्वार से आगेे बढऩे पर संगमरमर से निर्मित विशाल उपासना स्थल है। जहां श्री यंत्र,परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम की विशाल प्रतिमा चरण-पादुका एवं अस्थि कलश स्थापित है। सर्व प्रथम आगंतुक उपासना स्थल में भगवान अघोरेश्वर राम के दर्शन कर मन में शांति का अनुभव करते है। अघोर भभूत माथे पर लगाने की परंपरा भी है। प्रतिदिन प्रात: प्रियदर्शी राम जी पूजा संपन्न करते है,संध्या बेला में आरती तथा भजन-कीर्तन यहां की दिनचर्या में शामिल है जिसमे सभी शामिल हो सकते है।यह आश्रम मानव की आंतरिक शांति में बाहरी अभिव्यक्ति है। आकर्षक हंस के जोड़े से निर्मित मुख्य द्वार की परिधि में प्रवेश करते ही आगंतुकों को सदा हंस के जोड़ो की तरह नीर-क्षीर विवेकी होनें का आभाष होता है। आश्रम परिसर में अघोरेश्वर के जीवन से जुड़े ग्रंथ, लाकेट,फोटो एवं साहित्यों का अनुपम संग्रह केंद्र है। आश्रम परिसर में पूज्य अघोरेश्वर की विशालकाय प्रतिमा उपासना स्थल में मौजूद है। पूज्य बाबा प्रियदर्शी के मार्गदर्शन के ओ पहले यहां शीश नवाए जाने की परम्परा है। आश्रम परिसर में रोग निवारण केन्द्र औषधालय में प्रियदर्शी बाबा राम के दुवाओ का असर दवाओं से कही अधिक है। प्रतिदिन दवा वितरण के अलावा प्रति सप्ताह बुधवार को होम्योपैथिक चिकित्सा रोगियों को नि:शुल्क दवा दी जाती है। श्वास संबंधी बीमारी की दवा प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा में दी जाती है। मिर्गी के रोगी एवं सफेद दाग के रोगी आश्रम परिसर में स्थित औषधालय से पूर्णतया छुटकारा पा सकते है। यहां दर्द निवारण फिजियोथेरेपी कक्ष की पृथक व्यवस्था है।

चिकित्सा के क्षेत्र में अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट का योगदान

मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में चिकित्सा की सुविधा सबसे प्रमुख मानी जाती है। आश्रम से जुड़ी विभिन्न शाखाओं में नियमित होने वाले नि:शुल्क शिविरों के आयोजन से ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत जनता को विशेष लाभ मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बनोरा आश्रम के तत्वाधान में आयोजित होने वाले शिविर वरदान साबित हो रहे है। पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी के मार्गदर्शन में सभी शाखाओं में किसी ना किसी रूप में इन शिविरों का आयोजन किया जाता है यह इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों के जरिए किया जाता है । ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जनता पर इलाज के नाम पर आर्थिक भार ना पड़े इसलिए जांच के साथ साथ दवाई भी नि:शुल्क मुहैया कराई जा रही है।स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत 31 मार्च 2025 तक एलोपैथिक शिविरों से कुल अब तक 1 लाख 17 हजार 982 मरीजों को लाभ मिला। जिसमे अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 36 हजार 115, अघोर आश्रम-डभरा में 57हजार 195, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 6हजार 471, आत्म अनुसंधान केंद्र-आदर में 6 हजार 356, अघोर सेवा आश्रम-कोइलिजोर में 10 हजार 152 एवं अवधूत कुटी-जौनपुर में 893 मरीज शामिल है। एलोपैथिक पद्धति से जांच के अलावा ट्रस्ट द्वारा होम्योपैथ चिकित्सा पद्धति से इलाज पर विशेष जोर दिया जाता है। नि:शुल्क होम्योपैथिक शिविरों के जरिए स्थापना से लेकर मार्च 2025 तक कुल 1 लाख 02 हजार 561 मरीजों को लाभ मिला जिसमे अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 52हजार 128, अघोर आश्रम-डभरा में 1 हजार 477, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 4 हजार 494, अभेद आश्रम-सरभोका में 1 हजार 236, क्रिया कुटी खाड़पाथर आश्रम-रेणुकूट में 4 हजार 483, औघड़ की मड़ई-जिगना में 38 हजार 743 मरीज शामिल है। ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क नेत्र शिविर का विशेष लाभ जनता को मिल रहा है। नि:शुल्क नेत्र जांच शिविर से 12 हजार 498 मरीजों को लाभ मिला। जिसमें अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा के 6 हजार 985, अघोर आश्रम-डभरा के 3 हजार 112, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 2 हजार 326, एवं आत्म अनुसंधान केंद्र-आदर के 75 मरीज शामिल है। हाइड्रोसील ऑपरेशन में अब तक 912 मरीज लाभान्वित हुए हैं जिनमे अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा के तत्वाधान में हुए आपरेशन के जरिए 803 एवं अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण के तत्वाधान में 109 मरीज शामिल हैं। नि:शुल्क नेत्र जांच शिविरों के जरिए अब तक 14 हजार 163 लोगों लाभान्वित हुए जांच के दौरान मरीजों को आवश्यकतानुसार आई ड्रॉप, और नि:शुल्क चश्मा बनाकर वितरीत किया गया । अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 2 हजार 870 एवं औघड़ की मड़ई-जिगना में 11 हजार 293 लोग लाभान्वित हुए मोतियाबिंद से पीडि़त मरीजों को उचित परामर्श देकर आगे ईलाज की पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गयी। अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में कैलिपर्स शिविर का आयोजन होता हैं, इस शिविर के जरिए 881 लोगों को चयनित किया गया था तथा 976 कृत्रिम अंग वितरीत किये गए ।

नि:शुल्क परामर्श देने हेतु तत्पर चिकित्सक

चिकित्सीय सुविधाएं देने हेतु रायगढ़, खरसिया, लैलूंगा, जांजगीर, बिलासपुर, कोरबा के विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी नि:शुल्क सेवाएं देते है। होम्योफिजीशियन डॉ सुबोध पंडा,डॉ सुशील कुमार गुप्ता होम्योपैथिक सहायक चिकित्सक डॉ मिश्रा जनरल फिजिशियन डॉ.डी.के. दास, डॉ जी सी चटर्जी,जर्नल सर्जन डॉ.राजेन्द्र अग्रवाल, डॉ ए एम गुप्ता, डॉ ए के सिंघल,डॉ अनिल हरिप्रिया बिलासपुर, अस्थि विशेषज्ञ डॉ. पी के पटेल,डॉ अनंत कुमार,डॉ प्रफुल्ल चौहान बागबहार, डॉ आर के गुप्ता लैलुंगा,ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश मिश्रा,डॉ अजय गुप्ता, डॉ जी एन तिवारी खरसियां, डॉ यू सी शर्मा जांजगीर, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ लोकेश षडंगी, डॉ.के.एन.पटेल डॉ संजीव गोयल, डॉ धनंजय पटेल,डॉ ताराचंद पटेल, डॉ विनोद नायक,स्त्री रोग विशेषज्ञ कु सुचित्रा त्रिपाठी, डॉ मधु दुबे, डॉ सारिका सिंघल,डॉ मालती राजवंशी, डॉ एस एन केशरी,डॉ त्रिभुवन साहू खरसियां,डॉ प्रेमा षड़ंगी डभरा, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रतीक आनंद, डॉ डी के वर्मा,डॉ राहुल अग्रवाल,डॉ शलभ श्रीवास्तव,डॉ सतीश अग्रवाल,मेडिसीन स्पेशलिस्ट डॉ मनीष बेरीवाल,पैथालाजिस्ट डॉ.शिप्रा गोयल,डॉ रीना नायक,नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आर के अग्रवाल,डॉ. प्रभात पटेल,डॉ रोहित दिलावरी रायपुर,चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ पियुष गोयल,नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ लीना राय श्रीवास्तव,डॉ राजकिशोर नायक,डॉ जय साहू खरसियां, डॉ अमरेन्द्र सिंह रेणुकोट,डॉ आर के ओझा अंबिकापुर, डॉ आर के झा,डॉ अश्वनी,डॉ संजय प्रकाश,डॉ सीमा प्रकाश,डॉ अनिल शुक्ल,आदर सहित मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी का नि:शुल्क चिकित्सा शिविर में विशेष सहयोग मिलता है। बनोरा, डभरा, शिवरीनारायण, अम्बिकापुर रेनुकोट आदर में आयोजित होने वाले स्वास्थ्य शिविर से मरीजो को निरंतर लाभ हासिल हो रहा है। नि:शुल्क शिविरों में मरीजों की जांच हेतु एक्स – रे,ई सी जी,डायबिटिक न्यूरोपेथी टेस्ट (एरीस्टो टी एफ) यूरिक एसीड टेस्ट (अलवर्ड डेविड)बोन डेंसिटी टेस्ट (मेयरबीटा बायोटिक्स) एक्सपायरो मेट्री अस्थमा टेस्ट (शिप्ला) जैसी उच्च स्तरीय सुविधायें भी मौजुद रहती हैं। धनवंतरी पैथोलेब खरसियां, श्री पैथोलेब डभरा, श्री पैथोलेब रायगढ़ द्वारा पैथोलॉजी जांच मुहैया कराई जाती है। शिविरों में वितरित की जाने वाली नि:शुल्क दवा वितरण कार्य मेडिकल प्रतिनिधी एसोशियेशन के सदस्यों के द्वारा किया जाता है।बनोरा आश्रम से जुडी सभी शाखाओं में नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा के जरिये उपचार किया जाता है। जिसके तहत बनोरा आश्रम रायगढ़ में डा. सुबोध पंडा, डा. सुशील गुप्ता, शिविरी नारायण आश्रम में डा. रवि शंकर दीक्षित, डभरा में नवीन पटेल,सरभोगा आश्रम में डा. रविकांत द्विवेदी तथा रेनुकोट में डा. अमरेन्द्र सिंह नि:स्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रहे है।

सामाजिक कुरीतियों सहित खर्चीले विवाह पर रोक लगाने में ट्रस्ट की भूमिका सराहनीय

खर्चीली शादी पर रोक लगाने के लिए आश्रम में विवाह का आयोजन किया जाता है दोनों पक्षों की ओर से स्थितियों की संख्या समिति रखी जाती है। बिना दहेज शादियों के लिये आश्रम सतत प्रयत्नशील है। इस क्रम में अब तक बिना दहेज के 77 विवाह संपन्न हुए है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में 52 अघोर आश्रम काली मंदिर शिवरीनारायण में 5 अघोर आश्रम कोइलीजोर में 2 औघड़ की मड़ई जिगना में 8 कुटीर खाड़ पाथर आश्रम रेनुकोट में 10 जोड़ो का सादगी से विवाह संपन्न कराया गया। एक विधवा विवाह भी संपन्न कराया गया है।

नशा उन्मूलन में उल्लेखनीय योगदान

समाज में बढ़ती नशा खोरी एवं नशा उन्मूलन हेतु मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के लिये प्रचार-प्रसार के आलावा नशा निरोध हेतु दवाई भी वितरित की जाती है। आश्रम की दवा के जरिए सैकड़ो की संख्या में लोग नशे से दूर हुए है ।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में चमत्कारिक कार्य

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पूज्य बाबा जी द्वारा क्रियाकुटी रेनुकोट आश्रम(उप्र) में वर्ष 2012 से महिला शिल्प कला प्रशिक्षण केन्द्र प्रारंभ किया गया है। इस केन्द्र से अब तक 208 महिलाओंं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के योग्य बनाया गया।

स्वच्छता का महत्व समझाने ट्रस्ट ने बनाए शौचालय

जीवन के लिये स्वच्छता अनिवार्य है लेकिन गरीबी स्वच्छता के लिये बड़ी बाधक भी है। आश्रम प्रबंधन ने इस मर्म को समझते हुए ग्राम बनोरा में निवासरत 73 निर्धन परिवारों को चिन्हित किया और उन्हे आश्रम की ओर से शौचालय निर्मित कर नि:शुल्क उपयोग हेतु सौंपा गया।

अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के समाजिक सरोकार

यह आश्रम आम लोगों के जीवन की अदद आवश्यकता बन गया है। जनता ट्रस्ट को अपने सुख दुख का सहभागी मानती है।अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा द्वारा संचालित आश्रमों में निरंतर आवश्यक उपयोग की वस्तुओं का वितरण किया जाता रहा है। ठण्ड के ठिठुरते मौसम में कुल 3265 जरूरतमंद लोगों को रोजमर्रा इस्तेमाल कंबल साबुन कपड़े जैसी आवश्यक सामग्री वितरित की गई। इसी क्रम में बाढ़ पीडि़तों के सहायतार्थ लाभान्वित लोगों की संख्या कुल 1826 है।

कोविड महामारी के दौरान ट्रस्ट की भूमिका

वैश्विक महामारी कोविड महामारी के दौरान भी अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट, बनोरा द्वारा अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पीडि़त जनों के सहायतार्थ 23 अप्रैल 2020 को प्रधान मंत्री सुरक्षा निधि में एक लाख ग्यारह हजार रुपए 20 सितम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन में जिला प्रशासन के जरिए एक लाख इक्कीस हजार रूपए का योगदान दिया गया। 06 मई 2021 को ट्रस्ट द्वारा छत्तीसगढ़ सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन में माननीय जिलाध्यक्ष महोदय को दो लाख पांच हजार रुपए का योगदान पुन: दिया गया था साथ ही 02 जून 2021 को शासकीय अस्पताल, रायगढ़ में एक लाख उनतीस हजार आठ सौ की लागत से 20 नग एयर-कूलर भेंट स्वरुप दिए गए।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अघोर गुरु पीठ के कार्य

प्रकृति में संतुलन बनाये रखने की दिशा में यह ट्रस्ट अपनी सभी शाखाओं के चारों ओर वृक्षारोपण को प्राथमिकता देती है एवं आश्रम में आने वाले सभी लोगों को वृक्षारोपण कार्य हेतु प्रोत्साहित भी करते है। गत वर्ष गुरु पूर्णिमा पर छत्तीस गढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं वित्त मंत्री एवम विधायक रायगढ़ ओपी चौधरी ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया।

वर्ष भर होने ट्रस्ट के विभिन्न आयोजन

चैत्र नवरात्र पूज्य अघोरेश्वर का अवतरण दिवस भद्र पक्ष,शुक्ल पक्ष,सप्तमी तिथि, 29 नवंबर को पूज्य अघोरेश्वर का निर्वाण दिवस सहित वर्ष में 4 आयोजन ऐसे होते है। जिनमें भिन्न-भिन्न प्रांतों से भक्तजन आकर आयोजन में सम्मिलित होते है। इस अवसर पर भजन-कीर्तन एवं पूजा पाठ करते है। अघोर गुरु पीठ बनोरा में अघोरेश्वर भगवान राम के अवतरण दिवस एवं निर्वाण दिवस के अवसर पर शासकीय चिकित्सालयो में रोगियों, वृद्धजनों एवं कुष्ठ रोगियों के आश्रम में भी फल एवं दैनिक उपयोग की वस्तुयें प्रदान की जाती हैं।

अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट द्वारा खेती को प्रोत्साहन

आश्रम की परिधि से बाहर दक्षिण-पूर्व में कृषि के लिए सात एकड़ भूमि क्रय की गई इससे आधुनिक तरीके से धान की खेती का अभिनव प्रयोग किया गया है। चुंकि गावों में रोजगार के अवसरों का अभाव होता है। इस वजह से कृषि ही प्रमुख आय का साधन है। आधुनिक तरीके से खेती के प्रयोग के पीछे यह उद्देश्य है कि स्थानीय निवासी इस उन्नत पूर्ण तरीके को अपनाकर अधिक उत्पादन कर सके। यहां की भूमि खेती के योग्य है लेकिन सिंचाई के अभाव की वजह एक फसल प्राप्त होती है। सिंचाई के तकनीक को उन्नत करने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि गेहू आदि की उपज प्राप्त की जा सके। प्रत्येक वर्ष प्रयोग के तौर पर धान की अच्छी किस्मे भी बीज स्वरूप डाली जाती है। उत्पादन के समय सिंचाई पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाता है। खेती के कार्यो में बनोरा के ग्रामीण भी अपना श्रमदान देते है। आवश्यकता पडऩे पर मजदूर भी लगाए जाते है। उत्तरोत्तर विकास पथ पर अग्रसर रहते हुए अघोर गुरूपीठ ट्रस्ट अपने स्थापित उद्देश्यों की पूर्ति में तत्पर रहता है।

पारिवारिक संस्कारों हेतु मार्गदर्शन

बिना दहेज के शादी-व्याह,मुडंन संस्कार, नामकरण संस्कार, पठनव प्रदान संस्कार, दीक्षा संस्कार सहित सभी उपयुक्त संस्कार परम पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी द्वारा निर्देशित किए जाते है।

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अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की स्थापना के उद्देश्यशिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय भूमिकाअघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा की बनावटचिकित्सा के क्षेत्र में अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट का योगदाननि:शुल्क परामर्श देने हेतु तत्पर चिकित्सकसामाजिक कुरीतियों सहित खर्चीले विवाह पर रोक लगाने में ट्रस्ट की भूमिका सराहनीयनशा उन्मूलन में उल्लेखनीय योगदानमहिला सशक्तिकरण की दिशा में चमत्कारिक कार्यस्वच्छता का महत्व समझाने ट्रस्ट ने बनाए शौचालयअघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के समाजिक सरोकारकोविड महामारी के दौरान ट्रस्ट की भूमिकापर्यावरण संरक्षण की दिशा में अघोर गुरु पीठ के कार्यवर्ष भर होने ट्रस्ट के विभिन्न आयोजनअघोर गुरु पीठ ट्रस्ट द्वारा खेती को प्रोत्साहनपारिवारिक संस्कारों हेतु मार्गदर्शनगौ सेवा हेतु ट्रस्ट का समर्पण

गौ सेवा हेतु ट्रस्ट का समर्पण

गाय धर्म की अनुपम शोभा है। गौ-माता के प्रति विशेष श्रद्धा की वजह से आश्रम परिसर में गौ-शाला का निर्माण भी किया गया है जिसमें गायें एवं बछड़े है इनके गोबर से कंपोस्ट खाद बनाकर कृषि एवं बागवानी के उपयोग में लाया जाता है। गायों की सेवा हेतु पृथक से एक व्यक्ति मौजूद है।

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