सारंगढ़। सारंगढ कई सरकारी विद्यालयों के लापरवाह शिक्षकों के कारण वे शिक्षक जो अपना कर्तव्य आज भी ईमानदारी से निभाते हुए गुरु सांदीपनि की परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं वे भी घुन के साथ कीडे की तरह पीस रहे हैं तथा इसी के मद्देनजर सरकारी विद्यालयों में मजबूरी में ही पढने जा रहे हैं।
जिसका एक उदाहरण फुलझरिया पारा का एक अति पुरानी शासकीय विद्यालय है जहाँ शिक्षकों की संख्या छात्रों से अधिक है।छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने गरीब तबके के खासकर अच्छी शिक्षा निजी विद्यालयों में महंगी होने के कारण इसे सभी आम नागरिकों के लिए उपलब्ध कराने के लिए स्वामी आत्मानंद विद्यालय की स्थापना किया था जिसमें माध्यम पहले केवल अंग्रेजी ही रखा गया था परंतु इसमें हिंदी माध्यम के छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो चला था तथा बाद में इस विसंगति को दूर करते हुए उसी विद्यालय में हिंदी के छात्रों को भी मर्ज कर दिया गया जिससे वही शिक्षक अंग्रेजी व हिंदी दोनों को ही पढाने लगे तथा इन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी ने पढाई को काफी प्रभावित किया है वहीं स्वामी आत्मानंद विद्यालय सारंगढ में तो अंग्रेजी माध्यम के भौतिकी शिक्षक ही नहीं होने के कारण इस विषय की पढाई लगभग नहीं के बराबर थी अब छत्तीसगढ़ शासन में भाजपा की सरकार आने के बाद इस आत्मानंद विद्यालय का क्या भविष्य होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
सामूहिक नकल का मामला बयां कर रहा शिक्षा का गिरता स्तर
विगत दिनों ओपन बोर्ड में एसडीएम आईएएस वासू जैन द्वारा पैंतीस छात्रों से नकल सामग्री बरामद कर इसका प्रकरण बनाया गया है जिसमें केंद्राध्यक्ष व शिक्षकों की संलिप्तता के बारे में भी रिपोर्ट में लिखा गया है जो कि शिक्षा के गिरते स्तर को बताता है।