रायगढ़। कहते है मृत्यु के बाद शव की कोई जाति नहीं होती वह तो मात्र एक शव है लेकिन पूर्वांचल के ग्राम महापल्ली में गुरुवार की सुबह मानवता शर्मशार होते होते बच गई। हुआ यू कि एक 30 वर्षीय युवक बलराम सिदार की मृत्यु बुधवार की देर शाम बीमारी के कारण निधन हो गया।
मृतक की दीदी सुभद्रा सिदार ने अपने परिजन जो तमनार ब्लॉक के ग्राम समकेरा में रहते हैं उन्हें सूचित किया। समकेरा से दूसरे दिन सुबह 10 बजे मृतक के चचेरे भाई तिल साय और कुछ महिलाएं आई ।मृतक के दो छोटे छोटे मासूम बच्चे रजत और ऋषि है । मृतक बलराम सिदार अंतर जातीय विवाह किया है, ऐसे में उसके समाज के लोग लाश उठाने या शवयात्रा में शामिल नहीं हुए। महापल्ली गांव और मानवता के लिए यह शर्मशार होने वाली बात थी। डॉक्टर आशुतोष गुप्ता और सरपंच पति राजेश किसान सहित ग्रामीणों ने ट्रैक्टर और लकड़ी की व्यवस्था कराई। लाश उठाने जब कोई नहीं आया तब मृतक की पत्नी उर्मिला और दीदी सुभद्रा सिदार तथा चचेरा भाई तिल साय ने शव को कंधा दिया ठीक इसी समय मृतक का मितान जो अन्य गांव से आकर अपनी मित्रता निभाई। किसी तरह ट्रैक्टर में शव लाकर सुखामुड़ा स्थित मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार किया गया जहां मासूम रजत ने मुखाग्नि देकर मानवता की लाज रखी।
अंतरजातीय विवाह के कारण समाज ने नहीं उठाई लाश
युवक की पत्नी और दीदी ने कंधा देकर रखी मानवता की लाज



