अंबूजा अडानी कोयला खदान को लेकर भडक़ा जनाक्रोश
पांच गांव से शताधिक ग्रामीण महिला-पुरूष मोर्चे पर डटे
ठंड के बावजूद देर रात तक धरने पर डटे रहे ग्रामीण
रायगढ़। धरमजयगढ़ से रायगढ़ तक पुरूंगा कोल ब्लॉक के लिए प्रस्तावित जनसुनवाई के विरोध की आग सुलग गई है। आगामी 11 नवम्बर को होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग को लेकर आज तीन पंचायत के पांच गांव के ग्रामीण दो दर्जन से अधिक वाहनों में सवार होकर रायगढ़ पहुंचे और धरमजयगढ़ विधायक के नेतृत्व में एक जंगी रैली निकालते हुए कलेक्टोरेट की ओर रवाना हुये मगर उन्हें बीच रास्ते में ही बैरिकेटिंग कर रोक लिया गया। ग्रामीणों की सिर्फ एक ही मांग है और वह है कि पुरूंगा कोल ब्लॉक के लिए आयोजित जनसुनवाई को निरस्त किया जाये और वहां कोयला खदान न शुरू की जाये। अपनी इस मांग को लेकर ग्रामीण देर रात तक ठंड में सडक़ पर ही धरने पर बैठे रहे। बताया जाता है कि पुरूंगा अंडर ग्राउंड कोल ब्लॉक अडानी समूह के अंतर्गत आने वाली अम्बुजा सीमेंट को आवंटित हुई है।

जिले में चहुओर हो रहे औद्योगिकरण का अभिश्राप झेल रहे क्षेत्रवासी अब इसके विरोध में खड़े हो गये हैं। खासकर वनों से घिरे धरमजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पुरूंगा में अम्बुजा सीमेंट अडानी गु्रप को आवंटित अंडर ग्राउंड कोल ब्लॉक का आदिवासी अंचल के प्रभावित ग्राम पुरूगा, सांभरसिंघा, तेदूमूडी और कोकदार के सैकड़ो ग्रामीण पुरजोर विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों ने साफ कह दिया है कि वे किसी भी कीमत पर अपने जल, जंगल और जमीन को उजडऩे और बर्बाद नहीं होने देंगे। इसके पूर्व भी धरमजयगढ़ क्षेत्र से ग्रामीण रायगढ़ आकर पुरूंगा कोल ब्लॉक के विरोध में अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा था मगर उस पर कुछ सुनवाई नहीं होने की स्थिति में गुरूवार को पुन: शताधिक ग्रामीण महिला-पुरूष दो दर्जन से अधिक वाहनों में सवार होकर रायगढ़ पहुंचे और मिनी स्टेडियम में डेरा जमाना शुरू कर दिया। इनमें पुरूषों के साथ महिलायें भी शामिल थीं। कुछ महिलायें तो अपने दुधमुंंहे बच्चों तक को साथ लेकर यहां पहुंची थीं। मिनी स्टेडियम से दोपहर को ग्रामीणों ने धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया के नेतृत्व में एक जंगी रैली निकाली और कलेक्टोरेट की ओर कूच किया। हालांकि ग्रामीणों के इस प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस प्रशासन की ओर से पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर लिये गये थे और कलेक्टोरेट रोड में बैरिकेटिंग कर रखी थी और ग्रामीणों को कलेक्टोरेट पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया। बावजूद इसके ग्रामीणों का हौसला पस्त नहीं हुआ और वे जनसुनवाई के विरोध में जमकर नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों से बातचीत करने के लिए एडीएम, एसडीएम, डीएसपी टीम के साथ भी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों को समझाने का भरसक प्रयास किया लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे, शाम होने के बाद कलेक्टे्रेट कार्यालय तो बंद हो गया। धरमजयगढ़ से आए प्रदर्शनकारी ग्रामीण कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर धरने पर बैठे रहे। प्रदर्शन की जानकारी लगते ही खरसिया विधायल व पूर्व मंत्री उमेश पटेल भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी शासन-प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए ग्रामीणों का न केवल समर्थन किया बल्कि वे भी धरने पर बैठ गये।
देर रात तक डटे रहे प्रदर्शनकारी ग्रामीण
पुरूँगा कोल ब्लॉक जनसुनवाई के विरोध में धरना दे रहे ग्रामीण अब अपने रुख पर और अडिग हो गए हैं। उनका कहना है कि वे सडक़ से तभी उठेंगे, जब जिला कलेक्टर या तो जनसुनवाई रद्द करने की घोषणा करेंगे या फिर लिखित में यह आश्वासन देंगे कि जनसुनवाई में केवल प्रभावित गांवों के ही ग्रामीण शामिल होंगे, बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर जनसुनवाई के दिन बाहर से हजारों लोग लाकर समर्थन दिखाया जाता है, जिससे वास्तविक प्रभावितों की आवाज़ दब जाती है और जनसुनवाई ‘सफल’ घोषित कर दी जाती है। इस बार वे चाहते हैं कि सिर्फ प्रभावित गांवों के ही लोग शामिल हों, ताकि असली समस्याएं सामने आ सकें। इधर, खरसिया विधायक उमेश पटेल ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए मौके पर मौजूद जिला प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत की है और उनसे कहा है कि ग्रामीणों की मांगें कलेक्टर तक पहुंचाई जाएं। अब पूरा मामला जिला कलेक्टर के पाले में है।, अब देखना यह है कि वे इस जनभावना का जवाब संवाद से देते हैं या मौन रहकर आंदोलन को और लंबा खिंचने देते हैं।
फर्जी प्रस्ताव के जरिए जनसुनवाई
खरसिया विधायक उमेश पटेल ने कहा कि गांव वालों ने मुझे फोन कर बताया था कि पुरूंगा, साम्हरसिंघा और तेंदुमुड़ी क्षेत्र में कोल खदान खोला जा रहा है। वहीं, गांव वाले कह रहे हैं कि ग्राम सभा का कोई प्रस्ताव नहीं है, और जब ग्राम सभा का प्रस्ताव नहीं किया गया है, तो जनसुनवाई को तुरंत रद्द कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि गांव वालों की मांग है कि वे अपनी जल, जंगल और जमीन नहीं देना चाहते। उनका कहना है कि जनसुनवाई के नाम पर एक फर्जी प्रस्ताव के जरिए यह जनसुनवाई कराई जा रही है।
निर्धारित स्थल पर अपनी बात रखे
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने बताया कि जनसुनवाई का मतलब है कि ग्रामीणों की बातें सुनी जाएं। इसके लिए एक महीने पहले ही तारीख और स्थान तय कर दिया गया था, ताकि ग्रामीणों को पर्याप्त समय मिल सके। उन्होंने कहा कि जब भी जनसुनवाई निर्धारित स्थान पर होगी, तो हर व्यक्ति वहां जाकर अपनी बात रख सकता है। हम ग्रामीणों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि वे सही तरीके से बात समझेंगे।
ग्राम सभा में जनसुनवाई को रद्द करने का प्रस्ताव किया पारित
गांव के महेन्द्र सिदार ने बताया कि हम गांव वाले जनसुनवाई को रद्द कराना चाहते हैं। साम्हरसिंघा, तेंदुमुड़ी और पुरूंगा तीनों ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की बैठक हुई, जिसमें यह प्रस्ताव पारित किया गया कि जनसुनवाई को रद्द किया जाए। पिछले 22 अक्टूबर को ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब उनकी मांग है कि जनसुनवाई को रद्द किया जाए।



