घरघोड़ा। अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुए भरत खण्डेल (वार्ड क्रमांक 07, पंचशील बस स्टैंड निवासी) अपने पूरे परिवार के साथ कई दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। मकान तोड़े जाने के बाद न्याय की गुहार लेकर उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घरघोड़ा एवं थाना प्रभारी घरघोड़ा को आवेदन देकर अनशन की सूचना भी दी थी। इसके बावजूद अब तक न तो प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और न ही पीडि़त परिवार को राहत, मुआवजा अथवा रहने की कोई व्यवस्था उपलब्ध कराई गई।
गौरतलब है कि खण्डेल परिवार का पचास वर्षों पुराना मकान, जो खसरा नंबर 455/7 रकबा 0.162 हेक्टेयर पर स्थित था, को प्रशासन ने 23 सितम्बर 2025 को विवादित परिस्थितियों में ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई से पूरा परिवार बरसात, आंधी-तूफ़ान के बीच सडक़ किनारे रहने को मजबूर है। परिवार में बूढ़े-बच्चे और महिलाएँ खुले आसमान तले तड़पते हुए जीवन यापन कर रहे हैं।
भरत खण्डेल का कहना है कि-मैंने हर जगह न्याय की गुहार लगाई, आवेदन दिया, अनशन की सूचना भी दी, लेकिन प्रशासन का कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया। हमें न तो घर मिला, न ही क्षतिपूर्ति, मुआवजा या कोई अस्थायी राहत। आज भी हम सडक़ किनारे भीषण बारिश और तूफानों के बीच जी रहे हैं।
इस मामले को लेकर भीम आर्मी ब्लॉक इकाई भी सक्रिय है। सामाजिक कार्यकर्ता संपत कुर्रे ने कहा कि यह प्रशासन की घोर लापरवाही है। एक अनुसूचित जाति परिवार के साथ हुए अन्याय के खिलाफ भीम आर्मी पूरी मजबूती से साथ खड़ी है। यदि जल्द न्याय नहीं मिला तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने दिनों से परिवार सडक़ पर है, फिर भी प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति न केवल संवेदनहीनता दर्शाती है, बल्कि मानवाधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन है
घरघोड़ा में प्रशासन की बेरुख़ी-खण्डेल परिवार अब भी बेघर, सडक़ किनारे गुजर रहा जीवन
