खरसिया। अंचल में नवरातों की धूम है। वहीं गांव-गांव में भी पूरी श्रद्धाभक्ति से दुर्गामाता की पूजा की जा रही है। समृद्ध गांव पुरेना में देवीमाता का आकर्षक पंडाल बनाया गया है, वहीं जस गीतों के साथ देवी भागवत का आयोजन भी किया जा रहा है। पूरे गांव के साथ नजदीकी के ग्रामीण अंचल से देवी भागवत सुनने लोगों का आना होता है।
आचार्य श्रवणकृष्ण महाराज ने प्रवचन में कहा कि देवी भागवत पुराण के अनुसार कालरात्रि को काली का ही रूप माना जाता है। काली मां इस कलियुग मे प्रत्यक्ष फल देने वाली हैं। काली, भैरव तथा हनुमान जी ही ऐसे देवी व देवता हैं, जो शीघ्र ही जागृत होकर भक्त को मनोवांछित फल देते हैं। काली के नाम व रूप अनेक हैं, किन्तु लोगों की सुविधा व जानकारी के लिए इन्हें भद्रकाली, दक्षिण काली, मातृ काली व महाकाली भी कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती में महिषासुर के वध के समय मां भद्रकाली की कथा वर्णन मिलता है कि युद्ध के समय महाभयानक दैत्य समूह देवी को रण भूमि में आते देखकर उनके ऊपर ऐसे बाणों की वर्षा करने लगा, जैसे बादल मेरूगिरि के शिखर पर पानी की धार की बरसा रहा हो। तब देवी ने अपने बाणों से उस बाण समूह को अनायास ही काटकर उसके घोड़े और सारथी को भी मार डाला साथ ही उसके धनुष तथा अत्यंत ऊंची ध्वजा को भी तत्काल काट गिराया। धनुष कट जाने पर उसके अंगों को अपने बाणों से बींध डाला और भद्रकाली ने शूल का प्रहार किया, उससे राक्षस के शूल के सैकड़ों टुकड़े हो गये, वह महादैत्य प्राणों से हाथ धो बैठा। इस धार्मिक आयोजन में जनपद सदस्य दीपिका गवेल, पंचायत सचिव मुकेश गवेल और बाबा गवेल पूरी निष्ठा के साथ लगे हुए हैं।
पुरेना में दुर्गा उत्सव के साथ देवी भागवत और मां के जसगीतों से भक्ति का माहौल
