खरसिया। धर्म नगरी खरसिया की पतित पावन पुण्य भूमि पर हजारीलाल मंगलचंद ताराचंद एचएमटी बिंदल परिवार द्वारा आयोजित श्री देशमुख वशिष्ठ जी महाराज के मुखारविंद से पितृमोक्षार्थ गया जी श्राद्ध निमित्त संगीतमयी श्रीमद् भागवतकथा की रसधार बह रही है जिसमें संपूर्ण खरसिया सहित आज पास के क्षेत्रवासी भागवत कथा श्रवण कर अपना जीवन सफल कर रहे हैं, आज कथा की कथा में पूज्य महाराज जी ने रुक्मणी विवाह महोत्सव एवं सुदामा चरित्र के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को केवल प्रेम और निष्कलंक भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सुदामा का श्रीकृष्ण के प्रति निष्छल अनुराग भक्ति की निर्मलता का अनुपम उदाहरण है। रुक्मणी विवाह प्रसंग में उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का वरण कर स्वयंवर की मर्यादा की रक्षा की और प्रेम की विजय को सिद्ध किया। आज के प्रसंग में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला सुदामा चरित्र के प्रसंग ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। वशिष्ठ जी महाराज ने आगे कहा कि भगवान को भक्ति के भाव प्रिय हैं भक्त जैसा मन से सोचते हैं कहते हैं भगवान वैसा ही करते हैं आपकी कथा श्रवण की मन में कामना होगी तो कैसी भी मुश्किल स्थिति होगी भगवान आपको भागवत कथा स्थल तक जरूर लेकर आएंगे और आपकी भागवत कथा सुनने की मन से इच्छा नहीं होगी तो आप कितनी भी कोशिश करने के बाद भी भागवत कथा स्थल तक नहीं पहुंच पाएंगे कथा आयोजन जब आपके द्वार पर कथा श्रवण हेतु आमंत्रित करने जाते हैं तो आप कहते हैं कि भगवान की मर्जी होगी तो अवश्य बुलाएंगे और कोई शादी का निमंत्रण देने आता है तो आप कहते हैं कि अवश्य जरूर जरूर आएंगे। कथा श्रवण के लिए अपना दोष भगवान पर डाल देते हैं कि भगवान की मर्जी नहीं थी तो नहीं बुलाया जबकि आपने ही कथा श्रवण हेतु अपना मन नहीं बनाया होता।