रायगढ़। रायगढ़ को ओडिशा से जोडऩे वाले मुख्य प्रवेश द्वार हमीरपुर बॉर्डर पर कुछ महीने पहले बनाए गए स्वागत गेट के तूफान में गिरने के बाद से अब तक उसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं हो सका है। यह गेट गिरने के बाद कई घंटे तक मुख्य मार्ग अवरुद्ध रहा था, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ था।
ग्राम पंचायत हमीरपुर के सचिव आशीष बारीक ने तत्परता दिखाते हुए उस समय रास्ते को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी उठाई और आमजनों के लिए मार्ग सुगम कराया। हालांकि, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा सचिव को आश्वस्त किया गया था कि स्वागत गेट को जल्द ही पूर्ववत रूप में पुन: स्थापित किया जाएगा। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी वहां न कोई कार्य शुरू हुआ, न ही अधिकारी पहुंचे। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि गिरा हुआ गेट आज भी उपेक्षित पड़ा है और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तथा उपमुख्यमंत्री अरुण साव की तस्वीरें उस गिरे हुए ढांचे के साथ मिट्टी में पड़ी हुई हैं, जो शासन और छत्तीसगढ़ की छवि को ठेस पहुँचाता है। स्थानीय समाजसेवी नरेश राठिया, जो भाजयुमो से जुड़े हुए हैं, ने इस लापरवाही पर कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ‘हमीरपुर बॉर्डर से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते समय यह गेट हमारे राज्य की गरिमा का प्रतीक होता है। यह केवल एक गेट नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के ‘स्वागत दर्शन’ का प्रतीक है। पीडब्ल्यूडी की निष्क्रियता और उदासीनता निंदनीय है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की तस्वीरें जमीन पर गिरी पड़ी हैं, यह अपमानजनक है।
राठिया ने मांग की कि संबंधित विभाग तुरंत संज्ञान लें और स्वागत गेट का पुनर्निर्माण कर, छत्तीसगढ़ की गरिमा की रक्षा करें। साथ ही, हमीरपुर बॉर्डर के पास मुख्य सडक़ पर बने गहरे गड्ढों की भी मरम्मत की मांग की गई है, जो आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन और पीडब्ल्यूडी इस मामले पर क्या त्वरित कदम उठाते हैं या फिर यह मुद्दा भी सरकारी अनदेखी का शिकार होकर रह जाएगा।
हमीरपुर बॉर्डर पर गिरा स्वागत गेट बना उपेक्षा का प्रतीक, लोगों ने जताई नाराजगी
