पखांजुर। राष्ट्रीय मानक के मुताबिक एक डॉक्टर चालीस मरीजों का इलाज कर सकते हैं। पखांजूर के सिविल अस्पताल में मानक से कहीं अधिक दोगुना और तीगुना बोझ चिकित्सकों पर है। जिले की बात करें सभी अस्पतालों में डॉक्टर की कमी है। क्षमता की बात करें तो पचास फीसद पद खाली हैं। सिविल अस्पताल पखांजूर में बच्चा रोग विशेषज्ञ एक हैं वह भी छुटी मे घर बैठ गए है। दो डॉक्टर के भरोसे मे बच्चा वार्ड, ओपीडी और चार चार जनरल वार्डो की जिम्मेदारी है। पखांजूर सिविल अस्पताल की बात करें तो दो डॉक्टर के भरोसे अस्पताल में काम इस प्रकार से चल रहा है कि एक डॉक्टर रात को इमरजेंसी ड्यूटी में रहता है तो दूसरा डॉक्टर दिनभर भागा दौड़ी करते हुए मरीजों का देखभाल करता है। दो महिला डॉक्टर तो है लेकिन वह सिर्फ महिलाओं के इलाज के लिए ही पदस्थ है। बाकी रोजमर्रा जैसे दैनिक जीवन में जो बीमारी है उसे परेशान है उनके लिए डॉक्टर ही नहीं है। आलम इस प्रकार हो चुका है अस्पताल में की सफाई कर्मचारी तक की भी नियुक्ति नहीं है जिससे अस्पताल के साफ-सफाई में भी एक बहुत बड़ा सवालिया निशान पैदा कर रहा है। सिविल अस्पताल पखांजूर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सारी जो योजनाएं हैं वह दम तोड़ती नजर आ रही है। वार्डों में साफ सफाई नहीं है और देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कई दिनों से अस्पताल में पोछा तक नहीं लगा है। वार्डों में साफ सफाई नहीं होना और बदबूदार कमरे में मरीज मजबूर है अपना इलाज करवाने के लिए। क्षेत्र मे कई जनप्रतिनिधि और है लेकिन अस्पताल में आकर स्थिति को सुधारने की कोई भी पहल नहीं कर रहा है। वही संबंध में कांग्रेस नेता इंद्रजीत बिस्वास ने कहा कि हमारे कांग्रेस सरकार में इस अस्पताल में डॉक्टर की कमी नही थी,और इस तरह से मरीज परेशान नही थे,साथ ही अस्पताल में साफ सफाई भी नही है,सारे जगह गंदगी फैला हुआ है।
डॉक्टरों की कमी से जुझ रहा पखांजूर का सिविल अस्पताल

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lochan Gupta