रायगढ़। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रुपए खर्च कर गौठान का निर्माण कराया गया था, जहां आवारा मवेशियों को रखा जाता था, लेकिन अब यह पूरी तरह फेल हो गया है। जिससे निगम द्वारा गौठान को कचरा डंप किया जा रहा है तो वहीं मवेशी सडक़ों को आशीयाना बना रहे हैं, जिसके चलते रात के अंधेरे में भारी वाहन के चपेट में आने से गाहे-बगाहे काल के गाल में समा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आवारा मवेशियों को संरक्षित करने की नियत से पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रुपए खर्च कर गौठान का निर्माण कराया गया है, ताकि अवारा मवेशियों को यहां रखकर समय से चारा-पानी उपलब्ध करायी जा सके, लेकिन अब सरकार बदलते ही यह योजना पूरी तरह से ठप हो चुका है। जिसके बाद लाखों रुपए खर्च से बने गौठान अब कचरा रखने का काम आ रहा है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा पूर्व में ट्रांसपोर्ट नगर में भी एक गौठान का निर्माण कराया गया था। जहां कुछ दिनों तक यहां हमेशा 30 से 40 अवारा मवेशियों को रखकर चारा-पानी उपलब्ध कराया जा रहा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद यह योजना पूरी तरह से बंद हो गई और अब स्थिति ऐसी बन गई है कि यहां से गायों को हटाकर इस गौठान में कचरे से निकलने वाले प्लास्टिक को डंप किया जा रहा है।
ऐसे में अब इस गौठान की स्थिति यह हो गई है कि इतने बड़े गौठान में बड़ी संख्या में प्लास्टिक डंप कर दिया गया है, जिससे अब आवारा मवेशी गौठान के बाहर भ्रमण करते नजर आ रहे हैं। जिससे हमेशा इनकी जान का खतरा बना रहता है। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो इन दिनों बरसात के समय में एनएच -49 सहित अन्य सडक़ मवेशियों का आशीयाना बना हुआ है। जिससे हमेशा हादसें का भय बना रहता है।
इस संबंध में स्थानीय लोगों की मानें तो गौठान बंद होने के बाद इन मवेशियों को संरक्षित करने किसी प्रकार की योजना निगम के पास नहीं है। वहीं पूर्व में निगम द्वारा इन मवेशियों को काउकैचर में रखती थी और मवेशी मालिक पर जुर्माना भी लगाया जाता था, जिसके चलते लोग नन्हीं छोड़ते थे, लेकिन अब गौठान बंद होने के साथ काऊकैचर भी बंद हो गया, जिससे मवेशी मालिक इनको ऐसे ही छोड़ दे रहे हैं। जिससे अब सडक़ ही इनका आशीयाना बन गया है, जिससे रात के अंधेरे में भारी वाहन की चपेट में आने से इनकी जान चली जा रही है।
शहरी गौठान में डंप हो रहा कचरा, सडक़ों पर मवेशियों का डेरा
रात के अंधेरे में भारी वाहनों के चपेट में आने का खतरा, सरकार बदलते ही योजना भी हो गई बंद
