कोसीर। चौंके नहीं यह कटू सच्चाई है ग्रापं कोसीर मे 20 20 में उद्यानिकी विभाग द्वारा सामुदायिक मिश्रित फल उद्यान रोपण कार्य प्रारंभ किया गया था। जिसमे ग्राम पंचायत द्वारा लगभग 7 हे. भूमि,15 एकड़ भूमि को प्रस्तावित कर सामुदायिक मिश्रित फल उद्यान लगाने हेतु उद्यानिकी विभाग को दिया गया था। जिसमें विभाग द्वारा कार्य प्रारंभ कर फलदार पौधे लगाए गए थे, जो निम्न प्रकार से हैं मूंनगा 500, नींबू 300, कटहल 400, आम 200, अमरूद 400, काजू 400, पपीता 200, केला 200, सीताफल 200, पौधे लगाए गए थे। विभाग द्वारा लगभग 24 लाख खर्च करके फलदार पौधे लगाए थे। पौधे अच्छे से ग्रोथ करके बढ़ रहे थे और फलने लायक थे जिसे ग्रापं कोसीर के फतेलाल कोसले आ. मनबोधी कोसले एवं उनके साथी घनश्याम कुशवाहा एवं अन्य द्वारा गर्मी के मौसम में 15 एकड़ भूमि पर आग लगाकर सभी फलदार पौधों को नष्ट कर दिया गया। वर्तमान में उक्त भूमि पर धान रोपण कर दिया गया है। इसमें ग्राम पंचायत की मिली भगत हो सकती है, क्योंकि उद्यान विभाग ने पौधे लगाकर देख रेख हेतु पंचायत को हैंड ओवर कर दिया था, लेकिन पंचायत ने फलदार पौधों की देखरेख में अनदेखी की जिसके फल स्वरुप लोगों द्वारा आग लगा कर उस भूमि पर कब्जा कर धान लगा दिया गया। एक और शासन प्रशासन वृक्ष लगाने हेतु लाखों खर्च कर रही है पर दूसरी ओर लाखों खर्च करके लगाए पौधों की कोई सुध नहीं ले रहा है, इसे शासन प्रशासन के रुपए की बर्बादी कहे क्या? शासन प्रशासन और पंचायत की इच्छा होती तो लाखों रु. खर्च करके फलदार पौधे लगाए गए थे उसकी देखरेख होती तो आज हजारों पौधे जलने से नष्ट होने से बच जाते। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया गया है वह आज सार्थक नहीं दिख रहा है। शासन प्रशासन एवं ग्राम पंचायत उक्त भूमि को कब्जा मुक्त करके पौधों को आग लगाकर नष्ट करने वाले व्यक्तियों के ऊपर कार्यवाही करती है की नहीं यह देखने वाली बात है?