बिलाईगढ़। विकासखंड के ग्राम झरनीडीह में श्रीराम साहू वरिष्ठ आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी, श्रीमती चंद्रिका देवी साहू एवं उनके परिवार द्वारा विश्व कल्याण हेतु श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया,? कथा वाचिका सुश्री डॉ. प्रियंका त्रिपाठी ने संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ करती हुई कथावाचिका ने बताई कि भोगों का उपभोग करने से कभी भी तृप्ति नहीं मिलती है। भोग सामग्रियों का जितना उपभोग करते जाते हैं उतने ही मन में लालच और बढ़ते जाता है। मन शांत नहीं होता है। अधिक भोग करने से शरीर रोगी भी हो जाता है। त्याग से शांति मिलती है। गो. तुलसीदासजी विनय पत्रिका में लिखे हैं कि बुझै कबहुं कि काम अगिनघृत विषय भोग बहु घीतें। भोग सामग्रियों का विवेक पूर्वक समय अनुसार आवश्यक मात्रा में सदुपयोग करने से ही सुख के सामग्री व्यक्ति के लिए सुखदाई होता है।अन्यथा भोग की सामग्री व्यक्ति को कष्ट पहुंचाता है।
आगे श्रीराम जन्म कृष्ण जन्म की कथा सुनाती हुई बताई कि राम कथा का द्वार शिव कथा और कृष्ण कथा का द्वार श्रीराम कथा है। श्रीकृष्ण की लीला प्रेम और माधुर्य से भरी है,जबकि राम की लीला में मर्यादा है। जो धर्म की मर्यादा में रहता है उसके मन में ही प्रभु प्रेम जगता है। इसी से भागवत में मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा पहले आती है और प्रेम पुरुषोत्तम की कथा बाद में आती है। श्रीराम जी त्याग व वैराग्य की प्रतिमूर्ति है। रामो विग्रहवान धर्म जो मोह रूपी रावण का वध करे, अहंकार रूपी कुंभ करण को या तो सुला दे या नष्ट कर दे,और कामरुपी मेघनाथ पर विजय प्राप्त करे उसी का हृदय रामराज्य कहलाता है,श्री कृष्ण प्रेमरस के स्वरूप हैं।श्री कृष्ण मन का आकर्षण करके प्रेम रस का दान करते हैं। गोपियों का मन श्री कृष्ण में आसक्त रहता है इसी से गोपियों की सहज समाधि व सुकदेवजी स्वयं गोपियों कथा कह रहे हैं। सुकदेव जी सन्यासी महात्माओं के आचार्य हैं, पर गोपियों की प्रशंसा करते हैं। गोपियों का वस्त्र- संन्यास नहीं है, गोपियों का प्रेम सन्यास है। वस्त्र संन्यास से प्रेम सन्यास श्रेष्ठ है। श्रीकृष्ण लीला में इंद्रियों को सहज समाधि की ओर ले जाकर परमानंद की अनुभूति कराने के लिए ही भगवान नारायण नररूप से गोकुल में प्रकट होते हैं। गोपियां बधाई देती हुई गाती हैं ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की’ और बृजवासी गाते हैं ‘नंदजी के अंगना में बज रही आज बधाई’ ग्राम झरनीडीह में आसपास के गांव धनसीर, धौराभाठा, सुतीउरकुली, कारीपाट, बांसउरकुली, अर्जुनी खैरझिटी से हजारों की संख्या में लोग उपस्थित होकर इस कथा का लाभ उठा रहे हैं।
भोगों का उपभोग करने से कभी भी तृप्ति नहीं मिलती है : सुश्री डां प्रियंका
