रायगढ़। जिले के छाल एसईसीएल प्रभावितों के पुनर्वास के लिए शासन से मांगी जा रही जमीन को लेकर विवाद जारी है। आश्चर्य यह भी है कि एसईसीएल प्रबंधन ने छाल की जिन जमीनों को आबंटित करने की मांग की है उस संबंध में ग्रामीणों एवं स्थानीय विधायक के द्वारा पहले भी आपत्ति दजऱ् कराई गई है। बावजूद इसके संस्था ने दोबारा उन्ही भूमियों को पुनर्वास के लिए दिए जाने की मांग की है। हालांकि, वर्तमान में भी स्थानीय विधायक और ग्रामीणों ने मांगी गई जमीन को लेकर विरोध दजऱ् कराया है।
उपलब्ध विवरण के अवलोकन से पता चलता है कि छाल पटवारी के द्वारा पुनर्बसाहट के लिए मांगी गई जमीन को दखल रहित बताया गया है। साथ ही ग्राम वासियों के द्वारा इन जमीनों पर खेती बाड़ी और लघु वनोपज के सहारे जीवन यापन किए जाने की बात का उल्लेख किया गया है।
बता दें कि करीब दो साल पहले भी एसईसीएल प्रबंधन ने इन्ही जमीनों को आबंटित किए जाने की मांग की थी। जिस पर विधायक लालजीत राठिया और ग्रामीणों द्वारा आपत्ति जताई गई थी। विधायक और ग्रामीणों की आपत्ति दजऱ् कराए जाने के बाद पूर्व के मामले को नस्तीबद्ध कर दिया गया था। हालांकि, केस नस्तीबद्ध किए जाने के पीछे का कारण प्रबंधन का प्रकरण में रुचि नहीं लेना बताया गया था। छाल एसईसीएल सीम 3 के प्रभावितों के पुनर्वास हेतु प्रबंधन द्वारा एक ही प्रकरण की पुनरावृति समझ से परे है। हालांकि, जनहित से जुड़े प्रबंधन की गतिविधियों पर विधायक लालजीत राठिया और ग्रामीण पैनी नजऱ बनाए हुए हैं और उनके द्वारा फिर से विरोध किए जाने के बाद पिछले दो माह से संबंधित प्रकरण की स्थिति यथावत बनी हुई है।
गनीमत है कि छाल एसईसीएल के सीम 3 परियोजना के प्रभावितों के पुनर्वास से जुड़ा हुआ यह मामला स्थानीय विधायक और ग्रामीणों की नजर में रहा। फिर भी संभव है कि इस प्रोजेक्ट से जुड़े कई ऐसे मामले, जिनका जनता से सीधा सरोकार हो और ऐसे मामलों को सरलता से निपटाने में अपने ही जन प्रतिनिधियों का हाथ हो, गर्त में दबे हो सकते हैं।
एसईसीएल प्रभावितों के पुनर्वास हेतु मांगी गई जमीन को लेकर विवाद
विधायक और ग्रामीणों ने फिर जताई आपत्ति
