रायगढ़। प्रसूताओं की बेहतर देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मातृ-शिशु केयर यूनिट भवन की मांग चल रही थी, जिसे सीजीएमएससी द्वारा दो माह पहले तैयार कर हैंडओवर कर दिया गया है, लेकिन सुविधाओं व स्टाफ की कमी के चलते अभी तक शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में अब भवन होने के बाद भी मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मदर एण्ड चाइल्ड 100 बेड का अस्पताल शुरू किया गया था। ताकि यहां गर्भवती महिलाएं व बच्चों को बेहतर उपचार हो सके, लेकिन दिनों-दिन बढ़ रहे मरीजों की संख्या को देखते हुए अब यह 100 बेड का अस्पताल भी छोटा पडऩे लगा है। ऐसे में मरीजों की उपचार व देख-रेख में दिक्कतें होने लगी थी। जिससे एमसीएच के बाजू में करीब 30 बेड का एक नया मातृ-शिशु केयर सेंटर बनाने की मांग चल रही थी। जिसके लिए करीब एक साल पहले ही शासन से भवन बनाने के लिए राशि जारी हो गई थी, जिसे सीजीएमएससी द्वारा निर्माण कराया जा रहा था।
ऐसे में भवन तैयार होने के बाद सीजीएमएससी द्वारा अक्टूबर माह में ही सीएचएमओ को हैंडओवर कर दिया गया, लेकिन इसके बाद भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। वहीं बताया जा रहा है कि इस सेंटर को शुरू करने के लिए बेड व स्टाफ के साथ अन्य सुविधाओं की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए विभाग के पास अभी तक कोई कार्ययोजना ही नहीं है, जिसके चलते भवन बनने के बाद भी खाली पड़ा है। जिससे इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है।
ऐसे में अब भवन होने के बाद भी मरीजों प्रसुताओं को तीन दिन में ही छुट्टी दी जा रही है। जिससे उनको सप्ताहभर बाद फिर से अस्पताल आना पड़ता है। ऐसे में अगर मातृ-शिशु केयर शुरू हो जाता तो प्रसुता पूरी इलाज के बाद घर जाते, ऐसे में दूर-दराज से आने वाले मरीजों को काफी समस्या हो रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों कि मानें तो एमसीएच में हर दिन दर्जनभर से अधिक गर्भवती महिलाएं पहुंचती है, जिससे यहां डिलिवरी होने के बाद नए मरीज आने से दिक्कत होता है। ऐसे में अब यहां डिलिवरी होने के बाद स्थिति में सुधार होते ही प्रसुता व शिशुओं को मातृ-शिशु केयर में शिफ्ट किया जाएगा, ताकि एमसीएच में बेड खाली होने पर नए मरीजों को भर्ती कर उपचार हो सकेगा।
मरीज व परिजन होते थे परेशान
उल्लेखनीय है कि रायगढ़ में एमसीएच व मेडिकल कालेज अस्पताल शुरू होने के बाद यहां रायगढ़ जिला के अलावा सारंगढ़, सक्ती, जांजगीर, जशपुर व पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी मरीज बेहतर उपचार के लालसा में पहुंचते हैं, जिससे 100 बेड का एमसीएच भी छोटा पडऩे लगा है। जिससे डिलिवरी होने के बाद तीन दिन में ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है, जिससे मरीजों को सप्ताहभर बाद फिर से चेकआप के लिए आना पड़ता है। ऐसे में अगर मातृ केयर अस्पताल शुरू हो जाता तो पूरी इलाज के बाद ही अपने घर जाते, ऐसे में मरीज व परिजन दोनों को परेशान होना पड़ रहा है।
सुविधाओं का है टोटा
इस संबंध में सूत्रों की मानें तो एमसीएच में पहले से ही स्टाफ की कमी है, जिसके लिए लगातार मांग की जाती है, लेकिन अभी तक स्टाफ की भर्ती नहीं हो सका है। इसके बाद भी अब नया भवन तैयार होने के बाद यहां भी स्टाप लगेगा, जिसके चलते शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कब तक मातृ-केयर अस्पताल शुरू होगा, यह तो अधिकारी भी नहीं बता पा रहे।
सुविधाओं के अभाव में शुरू नहीं हुआ मातृ शिशु केयर अस्पताल
दो माह पहले ही सीजीएमएससी ने कर दिया हैंडओवर, स्टाफ व सुविधाओं का दे रहे हवाला
