रायगढ़। जिले की सुप्रसिद्ध समाजसेवी व अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्रीमती रेखा महमिया, श्रीमती सुनीता अग्रवाल, सुप्रसिद्ध समाजसेवी सुनील लेंध्रा, श्रीमती सीमा लेंध्रा की अभिनव पहल से शहर के रेड क्वीन परिसर में आज कार्तिक शुक्ल पक्ष का महापर्व एकादशी तिथि जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस पावन अवसर पर जिले के इतिहास में पहली बार एकादशी व्रतियों के लिए सामूहिक व्रत उद्यापन का भव्य धार्मिक आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों व्रतियों ने बड़ी श्रद्धा से भाग लिया। वहीं इस व्रत पूजा उत्सव की खुशी में भगवान शालिग्राम की ऐतिहासिक शोभा यात्रा निकाली गई जिसे देखकर लोगों को यह भान हुआ कि वास्तव में भगवान शालिग्राम की बारात निकली है। पूजा का यह धार्मिक कार्यक्रम वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध भागवत आचार्य पं शिवम विष्णु पाठक के सानिध्य में चलता रहा।
गांधी गंज से निकली बारात
देवउठनी एकादशी व्रत की खुशी में आज सामूहिक एकादशी उद्यापन करने वाले सभी श्रद्धालु व्रतियों ने गांधी गंज से शाम पांच बजे ढ़ोल नगाड़े, आतिशबाजी व जयकारे के साथ मंदिर में भगवान शालिग्राम की पूजा अर्चना कर बारात निकाली गई। मथुरा से आए नृत्यांगना टीम के कलाकारों ने भी सभी को हर्षित किया। वहीं यह शोभा यात्रा शहर की परिक्रमा करते हुए रात सात बजे रेड क्वीन परिसर पहुंची जिसे दुल्हन की तरह सजाया गया है। जिसकी शोभा देखते ही बन रही है। वहीं भगवान शालिग्राम के बारात में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए और समूचा शहर जयकारे से गूंजित हो गया। इसी तरह श्रद्धालुगण भगवान शालिग्राम के बारात में मधुर भक्ति गीतों के साथ भाव विभोर होकर झूमे। जो हर किसी के लिए बेहद आकर्षण रहा। इसी तरह भगवान शालिग्राम के बारात में शामिल सभी श्रद्धालुओं का शहर के हर चौक चौराहे में आत्मीय स्वागत किया गया।
परिसर में हुआ तुलसी विवाह
रेड क्वीन परिसर में सभी व्रतियों ने पूजा अर्चना के कार्यक्रम में शामिल हुए। वहीं व्यासपीठ पर विराजित वृंदावन से पधारे देश के सुप्रसिद्ध कथा वाचक पं शिवम विष्णु पाठक ने तुलसी विवाह कथा का वाचन मधुर भक्ति गीतों के साथ कराया। इसके पश्चात वैदिक परंपरानुसार परिसर में भगवान शालिग्राम का विवाह कराया गया और परिसर भगवान शालिग्राम व माता तुलसी के जयकारे से गूंजायमान हो गया। इस धार्मिक आयोजन में शहर के अतिरिक्त देश के अन्य राज्यों के भी श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वहीं सभी व्रतियों व श्रद्धालुओं के लिए परिसर में खाने – पीने की शानदार व्यवस्था की गई थी। वहीं इस सामूहिक एकादशी व्रत उद्यापन की सभी लोगों ने बेहद सराहना की।
आज होगा हवन यज्ञ महाभंडारा
श्रीमती रेखा महमिया ने बताया कि सामूहिक एकादशी उद्यापन पूजा के बाद आज सुबह हवन यज्ञ का आयोजन सुयोग्य पंडितों के सानिध्य में होगा। जिसमें सभी व्रतिगगण और श्रद्धालुगण भाग लेंगे। इसके पश्चात महाभंडारा का आयोजन होगा।
भव्यता देने में जुटे सदस्य
वहीं इस भव्य धार्मिक आयोजन को भव्यता देने में समाजसेवी सुनील भैया लेंध्रा, अनिल गर्ग, संजय तायल सुभाष चिराग,पूनम महमिया, श्रीमती रेखा महमिया, गोपाल बालाजी, कमल सुहागन, नरेंद्र रतेरिया, सीमा लेंधरा सुनीता अग्रवाल, सुमन सांवरिया, वन्दना बंसल, रानू, नीमा, सीमा, शीतल गंज, प्रिया अग्रवाल, ममता, सरोज, संतोष, रीना, सीमा, शीतल सहित अनेक सदस्यगण जुटे हैं।
आज से शुरू हो जाएंगे शुभ मुर्हूत
फल व गन्ने की जमकर हुई खरीदी
रायगढ़। गुरुवार को देवउठनी एकादशी पर शहर सहित अंचल में देर रात तक घर-घर में जहां महिलाएं तुलसी विवाह कार्यक्रम में जुटी रहीं तो वहीं बच्चे पटाखे जलाते नजर आए। इस दौरान पूरे दिन इस त्यौहार को लेकर जुटे रहे और शाम को धूमधाम से एकादशी पर्व मनाया गया।
उल्लेखनीय है कि इस बार देवउठनी एकादशी गुरुवार को होने के कारण लोगों में गजब का उत्साह रहा, लोगों का मानना था कि गुरुवार को मां लक्ष्मी और श्रीहरि का दिन माना जाता है, ऐसे में देव उठनी एकादशी गुरुवार को पडऩे के कारण काफी शुभ माना गया, ऐसे में इस त्यौहार को लेकर एक दिन पहले से ही बाजार में बड़ी मात्रा में गन्ना पहुंच गया था, जिसे लोग एक दिन पहले से ही खरीदी शुरू कर दिए थे। इस बार रायगढ़ जिला के अलावा अंबिकापुर और जशपुर से भी व्यवसायी गन्ना लेकर पहुंचे थे जो लोगों को खुब पसंद आया। इस संबंध में लोगों कहना है कि हिंदू धर्म में कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव जागरण का पर्व माना गया है। इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जाग जाते हैं। इस पावन तिथि को देवउठनी ग्यारस या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। चार महीने से विराम लगे हुए मांगलिक कार्य भी गुरुवार से शुरू हो गए है। साथ ही कार्तिक पंच तीर्थ महास्न्नान भी इसी दिन से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।
गन्ना व पूजा सामान से सजा था बाजार
देवउठनी एकादशी पर हिंदु धर्म में माता तुलसी के समक्ष गन्ना का मंडप बनाकर पूजा की जाती है, जिससे गन्ना, सकरकंद, सिंघाड़ा सहित अन्य फलों की विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस बार एक दिन पहले से ही बाजार पूरी तरह से सज गया था। साथ ही जिले के आसपास सहित अन्य जिले से भी व्यवसायी गन्ना लेकर पहुंचे थे, जो गुरुवार शाम तक जमकर बिक्री हुई है।
देवउठनी एकादशी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी व्रत का फल एक अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूर्य यज्ञ के बराबर होता है। एकादशी तिथि का उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व संततिदायक है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार किसी भी कारण से चाहे लोभ के वशीभूत होकर या मोह के कारण जो एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का अभिनंदन करते है वे समस्त दुखों से मुक्त हो जाते हैं। इसी मान्यता को लेकर गुरुवार को घर-घर में तुलसी विवाह का कार्यक्रम संपन्न हुआ।
शुरू हो गए मांगलिक कार्य
विगत चार माह से मांगलिक कार्य बंद थे, लेकिन अब पंचांग के अनुसार गुरुवार को देवउठनी एकादशी से भगवान विष्णु पूरी सृष्टि का कार्यभार संभाल लिए हैं और इसी दिन से शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी शुरू हो गए है। जिस दिन भगवान विष्णु जागते हैं उस दिन सभी भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे में एकादशी पर्व पर हिंदु धर्म में पूरे दिन उपवास रखकर शाम को श्रीहरि और माता तुलसी की शादी कराने की परंपरा है। जिससे गुरुवार को देर रात तक सभी घरों में तुलसी विवाह कराया गया।